School Development Plan : शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत सभी शालाओं में आगामी तीन वर्षों के लिए शाला विकास योजना बनाकर उनके आधार पर काम करना होता है | इस अंक में हम अपनी शाला के लिए शाला विकास योजना बनाने हेतु विभिन्न बिन्दुओं से अवगत करायेंगे ।
स्कूल विजन :– “विजन भविष्य का प्रतिबिम्ब है जो बताता है कि हम कहां है और कहां तक जाना चाहते हैं।” विद्यालय एक लघुकृत समाज है, जहां मानवीय सम्बंधों के ताने बाने रूपी उपकरणों के आधार पर भावी नागरिक और समाज का निर्माण किया जाता है, यदि शाला स्तर पर शिक्षक, समुदाय और बच्चें साझेदारी के साथ स्कूल विजनिंग का कार्य करते हुए “शाला के विकास की योजना बनाते हैं, तब इन सभी सम्बंधितों में शाला के प्रति अपनत्व उत्पन्न कर पाठ्य चर्चा के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।साझेदारी से बनाई गई कोई भी योजना अधिक सार्थक, व्यवहारिक व अपनत्व का बोध कराने वाली होती है. इसी अवधारण को लेकर प्रदेश की शालाओं में शाला विकास योजना का निर्माण कर सकते है।
School Development Plan
एजेंडा एकः वर्तमान स्थिति का आकलन
किसी भी योजना के निर्माण के पहले हमें अपनी स्थिति का आकलन करना होगा।
- हम कहाँ है ?
- हमारे पास क्या साधन है ? और
- हमें कहाँ और कैसे जाना है ?
इन सबको ध्यान में रखते हुए काम करना होता है | यदि हम अपने खेत में काम करने जाना चाहते हैं तो हम कच्चे रास्ते के लिए बैलगाड़ी लेकर जाएंगे. खेत में काम करना है तो कपडे भी उसी प्रकार के पहनेंगे और वहीं यदि हमें शहर जाना हो तो हम दूसरे साधन और अलग से तैयारी करेंगे |अपने खेत में कौन सी फसल उगानी है उसके लिए भी हम मिट्टी, पानी, मौसम और हमारे पास उपलब्ध बजट आदि को ध्यान में रखकर आगे योजना बनानी होती है ।
वर्तमान स्थिति हम अपनी शाला का आकलन कर हमें अपने पास उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग के बारे में सोचना होगा । यदि हम अपने पास उपलब्ध संसाधनों का ठीक से उपयोग नहीं कर पाएंगे तो उन संसाधनों का कोई मतलब नहीं होगा । हमें उन्ही मद में अपना बजट इस्तेमाल करना चाहिए जिसकी वास्तव में शाला को आवश्यकता है वरना बेकार में बजट खर्च कर शाला को कोई फायदा नहीं होगा |
शाला नार्म्स अनुसार हम देख सकते हैं कि:-
- शाला में पर्याप्त शिक्षक हैं,
- बच्चों की संख्या के अनुसार कमरे और बैठने का स्थान है,
- बच्चों के लिए पुस्तकालय में पर्याप्त पुस्तकें,
- खेल का मैदान एवं सामग्री है,
- बच्चों के लिए शुद्ध पानी है,
- बच्चों के लिए शौचालय है,
- बच्चों के लिए सहायक सामग्री है,
- मध्याहन भोजन के लिए सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।
वर्तमान स्थिति के आकलन के लिए शाला की सबसे मजबूत बातें, कमजोर पहलू, अवसर एवं खतरे आदि का भी ध्यान रखना होगा | जैसे किसी शाला की मजबूत पक्ष उसमें बहुत बड़ा मैदान, कमजोर पक्ष उस मैदान में बाउंड्री का न होना| मजबूत पक्ष सामुदायिक सहभागिता से राशि उपलब्ध होना और खतरा बाउंड्री न बनाने पर शाला की जमीन का अवैध कब्जे में चले जाना है । ऐसी लंबी सूची बनाई जा सकती है।
एजेंडा दो: अपनी शाला के लिए मिशन स्टेटमेंट तैयार करना
प्रत्येक शाला में अपना एक विजन और मिशन स्टेटमेंट होना चाहिए। सभी मिलकर सोचें कि आप अपने शाला को कहाँ लेकर जाना चाहते हैं और शाला में क्या होते हुए देखना चाहते हैं । जिस प्रकार हम किसी काम को करने के लिये Road Map बनाते हैं वैसे ही हमें अपनी शाला के लिए एक मिशन स्टेटमेंट तैयार करके इसे ध्यान में रखकर अपने सारे काम करने होंगे।
कुछ मिशन स्टेटमेंट :-
- विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों तथा आवश्यकताओं की स्थिति दर्शाने में लिए स्कूल प्रोफाइल बनाना।
- विद्यालय से जुड़े सभी पक्षों की योजना सब मिलकर बनाना व उस पर अमल करना।
- ग्राम की प्रोफाइल तैयार कर गांव में उपलब्ध मानवीय एवं भौतिक संसाधन मूल्य व्यवसाय की जानकारी होना।
- हमारी शाला के सभी बच्चे नियमित रूप से शाला में उपस्थित हो रहें हो।
- हमारी शाला के बच्चों को गणित में हमेशा बहुत अच्छे अंक मिल रहे हों।
- हमारी शाला में सभी बच्चे सभी आकलन में “ए” ग्रेड प्राप्त करे रहे हों।
- हमारी शाला में सभी बच्चे साफ सुथरे होकर स्कूल आ रहे हों।
एजेंडा तीन: आगामी पाँच वर्षों में शाला को कहाँ लेकर जाना चाहेंगे ?
जब भी हम कोई योजना बनाते हैं तो वे दो प्रकार की हो सकती है। पहली कम अवधि की एवं दूसरी लंबी अवधि की ।
पहली कम अवधि –
- जैसे:-कम अवधि की योजना में हम शाला अनुदान का उपयोग,
- इस वर्ष बच्चों को अर्धवार्षिक परीक्षा में बेहतर स्कोर करना,
- एक शिक्षिका के मातृत्व अवकाश में जाने पर अन्य वैकल्पिक शिक्षक की व्यवस्था करना,
- मध्याहन भोजन के लिए मौसमी सब्जियां खिलाना आदि को मान सकते हैं ।
दूसरी लंबी अवधि –
- लंबी अवधि की योजना में भवन का विस्तार,
- खेलने के लिए शाला में एक बेहतर टीम के गठन के लिए प्राथमिक स्तर से ही अभ्यास एवं शुरुआत करना,
- बोर्ड की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रारंभिक स्तर पर सभी लर्निंग आउटकम को समय पर प्राप्त करना जैसी योजनाओं के बारे में सोच सकते हैं
दोनों प्रकार के कार्यों के लिए अपनी शाला में कुछ मुद्दे खोजें और उन पर ठोस रणनीति के साथ कार्य करने हेतु मिलकर योजना बनाएं |योजना बनाते समय हमें कभी भी आदर्श स्थिति को ध्यान में रखकर अपनी योजना नहीं बनाना होगा । क्योंकि क्रियान्वयन के दौरान हमारे सामने कई बाधाएं आती रहती हैं इसलिए उन सभी बाधाओं को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी योजना बनाना होगा ।
एजेंडा चारः प्राथमिकताएं तय करना
जब हमें फसल बेचने के बाद पैसे मिलते हैं तब हम घर के लिए कुछ लेना हो तो बहुत चीजें लेने के बारे में सोचते हैं। ट्रेक्टर, खाद, कपडे, टीवी, खिलौने से लेकर न जाने क्या क्या | परन्तु जब पैसे खर्च करने की बात आती है तो इन सबमें से हम अपनी प्राथमिकता तय करते हैं क्योंकि इसी पैसे से हमें अगली फसल के लिए तैयारी करनी पड़ती है, मुसीबत के दिनों के लिए भी पैसे बचाने पड़ते हैं और लेने वाले सामान की उपयोगिता के आधार पर भी हमें अपनी प्राथमिकता तय करनी पड़ती है | शाला को प्राप्त होने वाले बजट या आय में से हमें भी अपनी आवश्यकताओं के आधार पर खर्च करने के लिए आइटम तय करना होगा । इस हेतु आपस में चर्चा कर शाला के लिए आवश्यकताओं की सूची बना सकते हैं जैसे पुस्तकें, फर्नीचर, पंखा, भोजन के लिए थाली, पुताई, दीवारों पर प्रिंट-रिच वातावरण, पुरस्कार, मेले का आयोजन, कम्प्यूटर आदि आदि । उसके बाद आपके पास उपलब्ध राशि में से सभी से पूछकर सबसे आवश्यक सामग्री से लेकर प्राथमिकता का क्रम तय करें | कुछ चीजें हम इस वर्ष और कुछ बजट आने पर आगामी वर्षों में क्रय कर सकते हैं ।
एजेंडा पाँच: विभिन्न मुद्दों पर लक्ष्यों का निर्धारण
जब हम अपनी शाला के लिए प्राथमिकताएं तय कर लें तब हमें उन्हें प्राप्त करने के लिए लक्ष्य का निर्धारण कर रणनीतियां तय करनी होगी । प्रत्येक गतिविधि के लिए समयसीमा, उस काम को कौन करेगा और उसकी प्रगति की मानिटरिंग कैसे होगी. इन सब बातों को पेपर में लेते हुए कार्यक्रम को लागू करना होगा जैसे जिन बच्चों को छात्रवृत्ति मिलनी है, उनकी पहचान कर उनका बैंक में खाता खुलवाने की प्रक्रिया पूरी करवाना, आवश्यक जानकारी उच्च कार्यालय तक पहुंचाना और बच्चे को समय पर छात्रवृत्ति मिल गयो या नहीं, इस पर नजर रखना आदि आदि ।
प्राथमिकताएं. लक्ष्य एवं रणनीतियां:-
लक्ष्य | रणनीति | टाइमलाइन | जवाबदेही | मानिटरिंग |
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एजेंडा छह: गुणवत्ता सुधार हेतु मुद्दे
अपनी शाला में बच्चों को गुणवत्ता सुधार के लिए अलग से बहुत अधिक बजट की आवश्यकता नहीं होती | बस हमें पूरी ईमानदारी से कुछ कार्यों को पूरा मन लगाकर करने को आवश्यकता होती है । इन्हीं में से कुछ बातें जिन पर ध्यान देकरअपने शाला को बेहतर बना सकटे है:-
- सभी शिक्षक और बच्चे रोज नियमित समय पर आएं और पूरे समय सक्रिय रहकर सीखें।
- समुदाय से लोग विशेषकर माताएं बच्चों की पढ़ाई का पता कर समय समय पर स्कूल जाएं।
- समय पर बच्चों को मिलने वाली सभी सुविधाएं उनको मिले, इसका ध्यान रखें।
- शिक्षक अनावश्यक गैर-शिक्षकीय कार्य न करते हुए अपना पूरा ध्यान पढाई पर लगाएं।
- शाला में सोखने-सिखाने का बेहतर माहौल बनाया जाए और हतोस्ताहित न किया जाए।
- यदि किसी शिक्षक के ठीक से न पढ़ाने की शिकायत आए तो इस पर तत्काल ध्यान दें।
- बच्चों को कक्षा में पुस्तक के अलावा अन्य सामग्री को पढने का अवसर देकर देखें।
- समय समय पर गणित के सवाल देकर देखें कि वे ठोक से कर पा रहे हैं या नहीं।
- हस्तलेख, सुलेख एवं श्रुतलेख का अभ्यास नियमित रूप से कक्षा में करवाएं।
- बच्चों को नियमित गृहकार्य देकर उनकी जांच कर सुधार करें।
- लेक्चर देने के बदले समूह कार्य एवं गतिविधियों के माध्यम से सिखाएं।
- प्रत्येक बच्चे को कम से कम दस विज्ञान के प्रयोग प्रदर्शन करना आता हो।
- शाला प्रबन्धन समिति की प्रति माह बैठक हो और अकादमिक मुद्दों पर चर्चा हो।
- प्राथमिक शाला में दस स्थानीय कहानियां कमीशीवार्र के माध्यम से सुनाई जाए।
- उच्च प्राथमिक शाला में सक्रिय बाल केविनेट का गठन कर उनके द्वारा कार्य किया जाए।
- मुस्कान पुस्तकालय का बेहतर उपयोग एवं पुस्तकों की संख्या बढाने हेतु प्रयास करें।
- पीछे छूट रहे बच्चों को पढाई में सहयोग करने अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन करें।
- गाँव के पढे लिखे एवं विभिन्न रोजगारों से परिचय हेतु अतिथि व्याख्यान करवाएं।
- माताओं का उन्मुखीकरण करते हुए उन्हें बच्चों की पढाई पर ध्यान देने का आग्रह करें।
- बच्चों को समय समय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल करने सहयोग करें।
एजेंडा सातः विद्यार्थी विकास सूचकांक
सभी कक्षा में प्रतिमाह अपडेटेड विद्यार्थी विकास सूचकांक प्रदर्शित किया जाए और उसकी जांच हो ।
एजेंडा आठः समता और समानता के लिए शिक्षा
लिंग, वर्ग और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों में से सभी को सामान अवसर एवं सुविधा मिले और उन्हें उनकी विशिष्ट आवश्यकता अनुसार सुविधाएं दिए जाने पर विशेष ध्यान दिया जाए ।
एजेंडा नौ: समय पर पाठ्यक्रम और सभी लर्निंग आउटकम हासिल करना
प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक विषय में बच्चों को क्या क्या आना चाहिए. इसकी जानकारी सभी शालाओं में लर्निंग आउटकम की एक पुस्तक देकर उपलब्ध कराई गयी है सभी बच्चों में प्रतिमाह निर्धारित लर्निंग आउटकम पूरी तरह हासिल हो जाए, इसका ध्यान रखना होगा ।
एजेंडा दसः तीन वर्ष के लिए शाला विकास योजना बनाना
उपरोक्त बातों को लागू करने विस्तृत चर्चा करवाएं। अगले माह आपमें से किसी के शाला विकास योजना को नमूने के रूप में आपसे साझा किया जाएगा | अपने योजना को हमसे साझा करें ।
शाला विकास योजना बिन्दु | Download Here |
शाला विकास योजना फार्मेट | Download Here |
- Bagless Day Activities [प्रत्येक शनिवार]
- शाला सुरक्षा कार्यक्रम [प्रत्येक शनिवार ]
- व्यवसायिक शिक्षा [प्रति माह अंतिम शनिवार]
- FLN कार्यक्रम छलांग [प्रत्येक सप्ताह]
- स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम [सत्र में 90 दिन]
- वीरगाथा परियोजना 4.0 [1-31 अक्टूबर 2024]
- पालक-शिक्षक बैठक [अक्टूबर 2024]
- Reading Campaign कार्यक्रम [2-06 अक्टूबर 2024]
- FLN-क्षमता विकास योजना [सितम्बर-2024]
- लेखन कौशल विकास कार्यक्रम [1-30 सितम्बर 2024]
- साक्षरता सप्ताह कार्यक्रम [1-08 सितम्बर 2024]
- उल्लास कार्यक्रम [1-30 सितम्बर 2024]
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चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .