द्रोपदी मुर्मू – भारत गणराज्य की 15 वीं राष्ट्रपति
द्रोपदी मुर्मू भारत गणराज्य की 15 वीं और वर्तमान राष्ट्रपति हैं। वे इससे पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य रही हैं । अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को भारी मतों से हराकर विजयी हुई हैं । 25 जुलाई 2022 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली । भारत गणराज्य के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति हैं। द्रोपदी मुर्मू, प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला हैं। प्रबुद्ध सोसाइटी के द्वारा द्रौपदी मुर्मू को प्रबुद्ध महिला सम्राट से अलंकृत किया गया है । राष्ट्रपति पद को संभालने वाली ओडिशा की द्वितीय व्यक्ति हैं और देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। मुर्मू भारत की आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले 2000 से 2004 के बीच ओड़िशा सरकार के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों में सेवा दे चुके हैं । 18 मई 2015 से 12 जुलाई 2021 तक झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में सेवा दे चुके हैं ।
जीवन परिचय –
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ । उनके पिता का नाम श्री बिरंचि नारायण टुडु है। एक पिछड़े क्षेत्र में और एक आदिवासी परिवार में पैदा होने के बावजूद, उनके परिवार के सदस्य शिक्षित थे और गाँव में उनका अच्छा स्थान था, उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे। मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ, जिससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। दुर्भाग्यवश दोनों बेटे और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी । उनकी पुत्री इतिश्री मुर्मु विवाहिता हैं और दामाद गणेश हेम्ब्रम के साथ भुवनेश्वर में रहतीं हैं। इतिश्री ओडिशा में ही एक बैंक में कार्यरत हैं। एक एस.टी परिवार से उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया और रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक स्कूल शिक्षक के रूप में कार्य करने के बाद अपनी उच्च शिक्षा ओड़ीशा राज्य के भुवनेश्वर में स्थित रमा देवी महिला महाविद्यालय से पूरी की। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची।
द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं।
राजनीतिक जीवन –
- द्रौपदी मुर्मू 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया ।
- उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।
- द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं।
- ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में 2000 से 2002 के बीच वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं और बाद में मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया।
- सैयद अहमद की जगह द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई । झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी।
- झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं।
- भारत के राष्ट्रपति पद के लिये द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रस्तावक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अनुमोदक बने।
- 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति के निर्वाचन का परिणाम घोषित हुआ जिसमें मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को भारी मतों से हराकर विजयी हुई हैं ।
- भारत के 14 वें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पश्चात 25 जुलाई 2022 को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया ।शपथ समारोह सुबह 10:15 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ. सीजेआई एन. वी. रमणा ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. इसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी ।
एस. एस. पटेल , जो कि वर्तमान में BRCC के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .