कक्षा में पीछे छूट रहे बच्चों की शिक्षा कैसे हो?
कक्षा में पीछे छूट रहे बच्चों की शिक्षा कैसे हो? इस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है.
कक्षा में पीछे छूट रहे बच्चों की शिक्षा कैसे हो?
इस पोस्ट में हम कक्षा में पीछे छूट गए बच्चों की शिक्षा कैसी हो इस पर चर्चा करने वाले हैं। यदि आपको हमारा प्रयास अच्छा लगा हो तो नीचे जरूर कमेंट करें और इसके अतिरिक्त अन्य जानकारी हो तो भी आप साझा कर सकते हैं।
शिक्षक अपनी कक्षा में बहुत अच्छा पढ़ाते हैं ? सभी बच्चों के साथ खूब मेहनत करते हैं। लेकिन कक्षा में कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनके साथ कितना भी मेहनत कर लो, उनकी समझ में कुछ नहीं आता | ऐसे बच्चों में कुछ को तो पढ़ने में
बिलकुल भी रूचि नहीं होती और कुछ को तो कितना भी पढ़ने की कोशिश करें, समझ में नहीं आता | हम इस पोस्ट में ऐसे बच्चों की बात करेंगे जो सीखना तो चाहते हैं पर सारी कोशिशों के बावजूद सीख नहीं पाते हैं।

पीछे छूट रहे बच्चों की दशा
> आपने ऐसा नल देखा होगा जिससे बूंद बूंद कर पानी व्यर्थ बहता रहता है ।ऐसे नल जिस टंकी से जुड़े होते हैं उन्हें ये कुछ घंटों में खाली कर देते हैं|
> आपने ऐसे बिजली की लाइन देखी होगी जिसे बीच में चूहों द्वारा भीतर ही भीतर कुतर दिया गया होगा | क्या ऐसी लाइन से बिजली आगे बढ़ सकेगी?
> आपने ऐसी सायकल देखी होगी जिसके स्पोक टेड़े-मेढे होने से चक्का डगमगाता रहता होगा | ऐसे साइकल को चलाकर क्या आप तेजी से आगे बढ़ सकते हैं?
कुछ ऐसा ही हमारी कक्षाओं में कुछ बच्चों के साथ हो सकता है | वे मेहनत तो करना चाहते हैं और करते भी हैं पर उनकी मेहनत सही दिशा में अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाती ।
पीछे छूट रहे बच्चों की पहचान
बच्चों में ऐसी गड़बड़ियाँ प्राय: तब होती हैं जब उनका तंत्रिका तंत्र ठीक से कम नही कर पाता एवं इन तंत्रों का ठीक से विकास नहीं हो पाता | ऐसे बच्चों की पहचान इन लक्षणों के आधार पर की जा सकती है –
- शब्दों को उल्टा पढ़ना जैसे b को d, p को q या पलट कर पढ़ना। जैसे u को n, w को m आदि |
- ऐसे बच्चों को पढने-लिखने, गणित एवं भाषा संबंधी बहुत सी कठिनाई हो सकती है |
- ठीक से नकल नहीं कर पाना, पढ़ते समय जम्हाई लेना, जल्दी-जल्दी जगह भूल जाना, शब्दों में अंतर नहीं समझना, लाइनों को दोबारा पढ़ना या छोड़ देना, शब्दों को दिखाने पर नहीं पहचान पाना आदि ।
कक्षा में ऐसे बच्चों की पहचान जल्दी से करते हुए शुरू से ध्यान देने पर इन्हें अन्य बच्चों के समान सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है ।
इस हेतु निम्नानुसार कुछ प्रयास किए जा सकते हैं –
- ऐसे बच्चों की रूचि के क्षेत्रों को ध्यान में रखकर उनकी रूचि सीखने की ओर विकसित करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। स्कूलों में विशिष्ट सुधारात्मक कार्यक्रम लागू करवाना चाहिए। सीमित निर्देश देने का प्रयास करना चाहिए।
- ऐसे बच्चों को छोटे- छोटे कार्य देते हुए, उनके संपन्न होने पर प्रोत्साहन एवं बधाई देना चाहिए।
- अभिभावकों से संपर्क कर घर पर बच्चों के साथ व्यवहार में ध्यान दिए जाने योग्य बातों को साझा करना चाहिए।
- मदद के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों/डॉक्टर्स से भी सलाह-मशवरा करवाने में सहयोग करना चाहिए ।
- ऐसे बच्चों को श्यामपट के समीप बिठाने की आवश्यकता है। और शिक्षक-विद्यार्थी संपर्क समय को भी बढ़ाया जाना चाहिए ।
- ऐसे बच्चों की व्यक्तिगत कठिनाइयों को यथाशीघ्र दूर करने का प्रयास करना चाहिए| हीन भावना आने न देना चाहिए |
- समय समय पर मौखिक परीक्षा लेने का प्रयास करते रहना चाहिए। समय समय पर उचित परामर्श की व्यवस्था करना चाहिए।
- शासन स्तर पर ऐसे बच्चों को विशेष प्रोत्साहन एवं छूट देने का प्रयास करवाना चाहिए।
- अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात, ऐसे बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ ही अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करना चाहिए ।