Gratuity राशि क्या है ? इसकी गणना कैसे करें ?
Gratuity (ग्रेच्युटी) क्या है?
Gratuity, एक प्रकार की प्रोत्साहन राशि या इनाम की राशि तरह होती है | कोई कंपनी या नियोक्ता अपने कर्मचारी को लंबे समय तक जुड़े रहने के बदले में इनाम के रूप में इसे देती है। इसे सेवा उपादान की राशि भी कहते हैं |
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कितने दिन की मिलती है Gratuity–
कर्मचारी के अंतिम वेतन व मूल के आधार पर Gratuity का निर्धारण किया जाता है, मूल वेतन का मतलब कर्मचारी के पिछले 10 महीने की वेतन के औसत वेतन से है । महिने में रविवार के 4 दिन की छुट्टी होने के कारण 26 दिनों को गिना जाता है और 15 दिन के आधार पर Gratuity का केलकुलेशन किया जाता है ।
Gratuity Calculation कैसे करें-
Gratuity कैलकुलेट करने का फॉर्मूला = { अंतिम माह का मूल वेतन + DA } x कुल सेवा वर्ष x 15/26
कैलकुलेशन करें ऐसे-
माना आपकी कुल सेवा अवधि 25 साल है तथा अंतिम वेतन ₹78100 {मूल वेतन+DA} है। ऐसे में फॉर्मूले के अनुसार Gratuity =78100x 25x 15/26 कैलकुलेट करने के बाद कुल रकम ₹11,26,442 होगा । लेकिन वर्तमान वेतन आयोग के अनुसार 20 लाख रुपए से ज्यादा ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती।
वेतनमान अनुसार Gratuity की सीमा-
वर्तमान 7वाँ वेतनमान में Gratuity की अधिकतम राशि 20 लाख स्वीकृत की गयी है ।
ज्यों ज्यों वेतनमान बढ़ता जाता है ,Gratuity की सीमा में वृद्धि होती जाती है ।
- 5 वाँ वेतनमान में Gratuity की सीमा 3.5 लाख थी।
- 6 वाँ वेतनमान में Gratuity की सीमा 10 लाख और
- 7 वाँ वेतनमान में Gratuity की सीमा 20 लाख की गई है।
1 साल के लिए 15 दिन का मिलता है Gratuity-
दरअसल, 5 साल के बाद नौकरी छोड़ने पर ग्रेच्युटी मिलती है। हर साल की नौकरी के लिए 15 दिन का वेतन के बराबर ग्रेच्युटी दी जाती है।आपको मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम का निर्धारण दो तथ्यों पर निर्भर करता है-
- आपकी मिलने वाली अंतिम सैलरी कितनी थी ।
- आप कितने साल नौकरी कर चुके हैं ?
- यहां सैलरी से मतलब सिर्फ आपके मूल वेतन (Basic Salary) और महंगाई भत्ता (DA) के योग (Basic+DA) से होता है। और, अंतिम वेतन से मतलब आपकी अंतिम 10 महीनों की सैलरी के औसत से है।
4 साल 7 महीने को भी 5 साल के बराबर होता माना जाएगा–
अगर आपकी नौकरी के 4 साल 7 महीने भी पूरे हो गए हैं तो भी आप ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते हैं। दरअसल नौकरी (Service) कि अवधि की गणना में महीनों की संख्या को निकटतम वर्ष के हिसाब से माना गया है। नौकरी की 6 महीने तक की अवधि को अतिरिक्त वर्ष के रूप में नहीं माना जाएगा, लेकिन 7 महीने तक की अवधि पूरी हो जाने पर, उसे 1 अतिरिक्त वर्ष के रूप में गिना जाता है ।
बीच में मृत्यु होने पर भी पहले मिल सकती है ग्रेच्युटी–
5 साल तक न्यूनतम नौकरी का नियम, कर्मचारी की मौत या अपंगता की स्थिति में, अनिवार्य नहीं होता। ऐसा होने पर 5 साल से कम नौकरी पर भी ग्रेच्युटी, उसके nominee या कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगा। नौकरी ज्वाइन करते समय form F भरकर आप अपने नॉमिनी या उत्तर अधिकारियों का नाम दर्ज करा सकते हैं ।
कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी ग्रेच्युटी का पैसा उसके नॉमिनी या आश्रित को मिलेगा। लेकिन ऐसी रकम पर इनकम टैक्स की गणना, ग्रेच्युटी पाने वाले व्यक्ति पर लागू इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार होगी। ग्रेच्युटी के रूप में मिली रकम को उस व्यक्ति की को अन्य स्रोतों से प्राप्त हुई आमदनी के रूप में माना जाएगा।
ग्रेच्युटी की पूरी रकम पर टैक्स छूट मिलती है–
आपको मिलने वाली Gratuity की रकम पूरी तरह से tax-free होती है। लेकिन उतनी ही जितनी कि निर्धारित फॉमूले के हिसाब से आपकी Gratuity बनती है। formula के हिसाब से गणना करने के बाद जो भी अतिरिक्त रकम होगी, उस पर tax की गणना होगी। इसके अलावा भी यह ध्यान रखें कि 20 लाख से अधिक ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट नहीं मिल सकती, भले ही वह फॉर्मूले के हिसाब से ज्यादा बैठती हो।
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .