Vetan Punrikshin Niyam : वेतनवृद्धि सामान्यतः कई कारणों से होती है, जैसे:
- वार्षिक समीक्षा: हर साल कंपनी कर्मचारी के प्रदर्शन के आधार पर वेतन बढ़ाने की प्रक्रिया करती है। इसमें कर्मचारियों की उपलब्धियों, लक्ष्यों की प्राप्ति और समग्र योगदान को देखा जाता है।
- प्रदर्शन आधारित वृद्धि: यदि कोई कर्मचारी विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उसे अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिल सकती है। यह आमतौर पर व्यक्तिगत या टीम के लक्ष्यों को प्राप्त करने पर निर्भर करता है।
- पदोन्नति: जब कर्मचारी को उच्च पद पर नियुक्त किया जाता है, तो उसका वेतन भी बढ़ता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जब कोई कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों में वृद्धि करता है।
- बाजार की स्थिति: कभी-कभी, उद्योग के मानकों के अनुसार वेतन वृद्धि की जाती है। यदि अन्य कंपनियाँ समान पदों पर अधिक वेतन दे रही हैं, तो अपनी प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिए कंपनियाँ वेतन बढ़ा सकती हैं।
- महंगाई: महंगाई के कारण भी वेतन में वृद्धि होती है ताकि कर्मचारियों की जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
- कंपनी की नीति: कुछ कंपनियों की नीतियाँ होती हैं, जिनके तहत नियमित अंतराल पर वेतन वृद्धि की जाती है।
इन कारणों के आधार पर, वेतनवृद्धि की प्रक्रिया और समयावधि भिन्न हो सकती है।
वेतनवृद्धि कब व कैसे होती है ?
वेतनवृद्धि क्या है :-
- वेतनवृद्धि का मतलब मूल वेतन (Basic Pay) में नियमित रुप से वर्ष में 1 बार बढ़ोतरी से है।
- सभी शासकीय कर्मचारियों को वेतनवृद्धि वर्ष में एक बार मूल वेतन का 3% दिया जाता है।
- वेतनवृद्धि का मुख्य उद्देश्य कर्मचारी को उसके कार्य के प्रति उत्साहित करना होता है।
Vetan Punrikshin Niyam
वेतन पुनरीक्षण नियम-2017 का अंश | Open |
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वेतनवृद्धि संबंधी केन्द्रीय सिविल सेवा नियमावली-2016 | Open |
अकार्य दिवस/बिना चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश/सेवा टुट पर वेतनवृद्धि आदेश | Open |
वेतनवृद्धि संबंधी भारत सरकार वित्त विभाग का स्पष्टीकरण | Open |
वेतन वृद्धि कब दी जाती है :-
- किसी कर्मचारी को उसकी नियुक्ति, पदोन्नति या स्तरोन्नयन के तारीख के आधार पर या तो 1 जनवरी अथवा 1 जुलाई को केवल एक वार्षिक वेतन वृद्धि की पात्रता होती है।
- पुनरीक्षित वेतनमान/सातवाँ वेतनमान में वार्षिक वेतनवृद्धि वर्ष में 2 तिथि पर दी जाती है 1 जनवरी या 1 जुलाई को ।
- छठवें वेतनमान में यह सिर्फ एक ही बार देय था 1 जुलाई को।
- 1 जुलाई को वेतनवृद्धि :- जिन सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति 2 जुलाई से 1 जनवरी (दोनों दिन शामिल हैं) के बीच में हुई होती है तो उनकी वेतनवृद्धि की तारीख़ 1 जुलाई होती है।
- उदाहरण :-ऐसा कर्मचारी जिसे 2 जुलाई, 2020 और 1 जनवरी, 2021 की बीच की अवधि में नियुक्ति अथवा सामान्य पदक्रम में पदोन्नति दी गई है अथवा वित्तीय स्तरोन्नयन स्वीकृति दी गई है, के मामले में प्रथम वेतनवृद्धि की पात्रता 1 जुलाई 2021 को होगी तथा इसके पश्चात एक वर्ष के अंतराल में वार्षिक वेतनवृद्धि देय होगी।
- 1 जनवरी को वेतनवृद्धि :- जिन सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति 2 जनवरी से 1 जुलाई (दोनों दिन शामिल हैं) के बीच में हुई हो तो उनकी वेतनवृद्धि की तारीख़ 1 जनवरी होती है ।
- उदाहरण :- ऐसा कर्मचारी जिसे 2 जनवरी, 2020 और 1 जुलाई 2020 के बीच की अवधि में नियुक्ति अथवा सामान्य पदक्रम में पदोन्नति दी गई है अथवा वित्तीय स्तरोन्नयन स्वीकृति दी गई है। यदि उसने 1 जुलाई, 2020 को कोई वेतनवृद्धि आहरित नहीं की है, के मामले में, आगामी वेतनवृद्धि की पात्रता 1 जनवरी, 2021 को होगी तथा इसके पश्चात एक वर्ष के अंतराल में वार्षिक वेतनवृद्धि देय होगी।
- परन्तु कोई कर्मचारी जिनके मामले में 1 जनवरी को पुनरीक्षित वेतन संरचना में वेतन निर्धारित करना है, उसका वेतन 1 जनवरी, 2020 को निर्धारित किया गया था। तो उसकी आगामी वेतनवृद्धि 1 जुलाई 2020 को प्राप्त होगी।
- इसके पश्चात 1 जुलाई 2021 को अगला वेतनवृद्धि देय होगी। अत: प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को वेतनवृद्धि दी जायेगी
मौजुदा मूलवेतन का निर्धारण:-
इस कॉलम में वर्तमान में प्राप्त मूलवेतन के आधार पर अगले लेवल के मूलवेतन का निर्धारण किया गया है। चूँकि किसी पद में 6 महिने या 180 दिन से अधिक सेवा अवधि पूरी हो जाती है तो वेतनवृद्धि की पात्रता होती है। इस आधार पर 1 जुलाई 2018 को संविलियन होने के पश्चात हर साल जुलाई माह में इंक्रीमेंट देय होता है। अत: मौजुदा पद के मूलवेतन में 6 माह से अधिक की अवधि हो चुकी है तो पदोन्नति पश्चात इंक्रीमेंट के साथ अगले लेवल के मूलवेतन का निर्धारण होता है।
नीचे टेबल के अनुसार इंक्रीमेंट निर्धारण को जान सकते हैं-
- एक लेवल से दूसरे लेवल में पदोन्नति के मामले में वेतन निर्धारण हेतु जिस लेवल से शासकीय सेवक पदोन्नत होता है उस लेवल में एक वेतनवृद्धि के साथ वेतन का निर्धारण होगा।
- उदाहरण – यदि किसी सहायक शिक्षक का मौजूदा 31200 मूलवेतन है उसके 1 इंक्रीमेंट देय पर मूल 32100 हो जायेगा। जो लेवल-8 में 32100 के बराबर या उससे उच्चतर राशि पर नया मूलवेतन तय होगा । लेवल-8 में वह राशि 35400 होगा जिस पर नये पद का मूलवेतन निर्धारण होगा ।
वेतनवृद्धि पर रोक कब और कैसे :-
- कई कारणो के वजह से वार्षिक वेतनवृद्धि पर रोक लगा दी जा सकती है।
- विभागीय कार्यवाही, कार्य में लापरवाही, रिश्वत लेने बाबत कार्यवाही, बिना अनुमति 6 माह व उससे अधिक छुट्टी या अन्य कारण।
- वेतनवृद्धि रोकने के दो प्रकार होते हैं :-
- संचयी प्रभाव से
- असंचयी प्रभाव से
1️⃣संचयी प्रभाव :-जब किसी कर्मचारी की संचयी प्रभाव से एक वेतनवृद्धि रोकी जाती है तो उसको एक वर्ष की वेतनवृद्धि नही लगती है इसका तात्पर्य हैं कि पूरी जिंदगी उसको आर्थिक हानि होती है। जिस दिन वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी होते है उसके बाद आगामी जुलाई माह में मिलने वाली वेतनवृद्धि नही लगेगी।
- उदाहरण:- जैसे किसी शासकीय सेवक के एक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई है एवं 01-05-2020 को इसके लिये आदेश जारी किए गये तब इस प्रकार वेतनवृद्धि का निर्धारण होगा ।
- 👉 01-07-2020 को 41100
- 👉 01-07-2021 को संचयी प्रभाव से रोकी गई वेतनवृद्धि।
- 👉 01-07-2022 को 42300 इस प्रकार वेतनवृद्धि देय होती है।
2️⃣असंचयी प्रभाव :- असंचयी प्रभाव में एक वेंतनवृद्धि रोकने पर सेवापुस्तिका में इंक्रीमेंट बराबर लिखा जाता है परंतु एक वर्ष तक उसका आर्थिक लाभ नही मिलता है ।
- उदाहरण :- जैसे किसी शासकीय सेवक के एक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई है एवं 01-05-2020 को इसके लिये आदेश जारी किए गये तब इस प्रकार वेतनवृद्धि का निर्धारण होगा ।
- 👉 01-07-2020 को 41100
- 👉 01-07-2021 को 42300 असंचयी प्रभाव से रोकी गई वेतनवृद्धि।
- 👉 01-07-2022 को 43600
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चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .
कृपया (शिक्षा कर्मी) व्याख्याता पंचायत का वेतन निर्धारण सारणी उपलब्ध करावें कब कितना वेतन निर्धारण किया गया था। एवम विकलांग कर्मचारी की भत्ते का आदेश उपलब्ध कराने की कृपा कीजिए