छत्तीसगढ़ के स्कूलों में साझेदारी (Twinning of Schools)
जब कोई स्कूल अन्य स्कूलों के साथ नेटवर्क स्थापित कर एक दूसरे से सीखने, सहयोग कर कुछ बेहतर करने का प्रयास करें तो इस प्रक्रिया को “स्कूलों में साझेदारी या Twinning of Schools” कहते हैं
Twinning of Schools में पंजीयन-
अपने स्कूल को नजदीकी स्कूल के साथ Twining करने के लिये आपको ssachhattisgarh.gov.in में जाके स्कूल Login में जाके पंजीयन करा सकते हैं ।
Twinning of schools में पंजीयन | Open |
Twinning of Schools के विभिन्न क्षेत्र-
- कुछ स्कूलों के समूह आपस में नेटवर्क बनाकर एक दूसरे की मदद करना।
- एक स्कूल के शिक्षक दूसरे स्कूल के शिक्षकों के यहाँ आना-जाना कर, सीखने में सहयोग करना।
- एक दूसरे के स्कूल में उपलब्ध संसाधनों को साझा या मिलकर उपयोग करना।
- किसी एक परियोजना में दो या अधिक स्कूल मिलकर काम करना।
- कोई स्कूल अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में अन्य स्कूलों को मेंटर कर उनका विकास करना।
- साझेदार स्कूल के बच्चे एक दूसरे के यहाँ आना-जाना करना।
- एक दूसरे की शालाओं के बच्चों का उपलब्धि परीक्षण या आकलन की जिम्मेदारी लेना।
स्कूलों में साझेदारी के प्रकार:-
क्षमता विकास हेतु ट्विनिंग-
- किसी स्कूल में कोई विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल होने पर उस स्कूल में जाकर उस क्षेत्र में क्षमता विकास हेतु शिक्षक जाकर अध्ययन या इंटर्नशिप कर सकते हैं।
- किसी स्कूल में कोई बेहतर कार्यरत मोडल हो जैसे किसी स्कूल में पुस्तकालय बहुत अच्छे से चल रहा हो या माताएं उन्मुखीकरण के बाद बहुत सक्रिय होकर कार्य कर रहीं हों तो उस स्कूल में जाकर पूरी प्रक्रिया का अध्ययन कर अपनी शाला में लागू किया जा सकता है।
- प्रशिक्षण के दौरान जिस स्कूल में प्रशिक्षण से संबंधित बेहतर कार्यरत मोडल हो तो उस स्कूल में प्रशिक्षण का आयोजन कर उस कार्यरत मोडल को दिखाया जा सकता है जैसे यदि एक स्कूल के बच्चे स्मार्ट क्लास से बहुत अच्छा सीख पा रहे हैं तो उस स्कूल को स्मार्ट क्लास पर आधारित प्रशिक्षण के लिए मोडल बनाकर प्रशिक्षण केंद्र का संचालन किया जा सकता है।
सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु-
- चर्चा पत्र पर आधारित बैठक एवं उसमे प्रदत्त सूचनाओं को साझा करने हेतु आयोजित होने वाली बैठकें प्रतिमाह अलग-अलग शालाओं में आयोजित की जा सकती है।
- किसी स्कूल में कम्प्युटर या अन्य आधुनिक सुविधाएं हों जिसकी मदद से विभिन्न आवश्यक सूचनाएं साझा की जा सके तो उस स्कूल में अन्य स्कूल के शिक्षक एवं बच्चे जाकर सूचनाएं ग्रहण कर सकते हैं।
- राज्य में प्राथमिक स्तर के बच्चों को टूनमस्ती कार्यक्रम सुनाने हेतु निकट के उच्च प्राथमिक शालाओं में ले जाकर व्यवस्थाएं की गयी । यह इस प्रकार के ट्विनिंग का एक उदाहरण है
- बच्चों का आकलन कर शाला की रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करने हेतु ।
तकनीकी सहयोग हेतु-
- किसी एक स्कूल के विशेषज्ञ अपने साझेदार स्कूल में जाकर तकनीकी सहयोग करें तो उसक की ट्विनिंग इस श्रेणी में आ सकेगी।
- आपके स्कूल में यदि टेब उपलब्ध कराया गया है और उसमें यदि कोई लर्निंग सोफ्टवेयर डालना है जो कि किसी एक स्कूल के शिक्षक के पास है और वह अन्य स्कूल के शिक्षकों को इस कार्य के लिए तकनीकी सहयोग कर रहा है तो वह इसका उदाहरण होगा।
- लर्निंग ओलंपियाड में शामिल होने बड़ी संख्या में शिक्षकों का पंजीयन करने हेतु कोई एक स्कूल जिसमें इंटरनेट एवं अन्य सुविधाएं हों, वह अन्य शालाओं के शिक्षकों एवं बच्चों को इस कार्य में सहयोग देते हुए बड़ी संख्या में पंजीयन कर सकता है
- किसी एक स्कूल में बढ़िया स्पोर्ट्स शिक्षक है या अलग अलग स्कूलों में अलग अलग खेल में विशेषज्ञ स्पोर्ट्स शिक्षक हों तो वे आपस में एक दूसरे का सहयोग कर सभी स्कूलों में अपना तकनीकी मार्गदर्शन दे सकते हैं।
किसी परियोजना को पूर्ण करने हेतु-
- स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले कुछ परियोजनाओं को पूरा करने में एक दूसरे स्कूलों का सहयोग लिया जा सकता है जैसे ग्रामीण क्षेत्र के बारे में अध्ययन करने संबंधी परियोजनाओं में शहरी निजी स्कूल के बच्चे ग्रामीण सरकारी स्कूलों के बच्चों का सहयोग ले सकते हैं।
- इग्नाईट अवार्ड में बच्चे विभिन्न मुद्दों पर अपने आइडियाज सोचने हेतु एक दूसरे के क्षेत्रों का भ्रमण कर नए आइडियाज सोच सकते हैं जैसे ग्रामीण क्षेत्र में होने वाली विभिन्न परेशानियों के लिए आधुनिक हल शहर के बच्चे सोच सकते हैं या ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे उन्हें अपनी समस्याओं से परिचित कराकर हल सुझाने के बारे में उद्वेलित कर सकते हैं । इसी प्रकार से शहरी समस्याओं के लिए ग्रामीण अपने परंपरागत उपायों को साझा कर सकते हैं
- कुछ बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने हेतु अलग अलग स्कूल मिलकर अपने अपने संसाधन लगा सकते हैं। जैसे मुस्कान पुस्तकालय के लिए अलग अलग स्कूल अलग अलग प्रकार के पुस्तक लेकर बारी- बारी से एक दूसरे के स्कूल से पुस्तकें साझा कर सकते हैं।
ई-ट्विनिंग-
- टेक्नोलोजी की मदद से शालाएं एक दूसरे से आनलाइन माध्यम से मिल सकते हैं
- इस टेक्नोलोजी की मदद से शालाएं न केवल जिले, राज्य वरन अन्य देशों की शालाओं से भी ट्विनिंग कर एक दूसरे के साथ साझेदारी कर सकते हैं ।
- ब्रिटिश कौंसिल के माध्यम से हम अपनी शालाओं के बच्चों एवं शिक्षकों को ब्रिटेन के शालाओं से जोड़कर साझेदारी कर पा रहे हैं
- बच्चों के प्रोजेक्ट्स, शिक्षकों द्वारा तैयार नवाचारी पाठ-योजनाओं, उपयोगी वीडियो एवं पीपीटी आदि को भी स्कूल एक दूसरे के साथ ई-ट्विनिंग के माध्यम से बाँट सकते हैं।
किस प्रकार की शालाएं एक दूसरे से ट्विनिंग कर सकते हैं ?
- निजी शालाएं अपने अलग-अलग कक्षाओं को अलग अलग गाँव के स्कूलों के बच्चों के साथ ताकि वे एक दूसरे के पास उपलब्ध संसाधनों को देखकर, अनुभव कर सीख सकें।
- हायर सेकंडरी शालाएं अपने आसपास के उच्च प्राथमिक एवं प्राथमिक शालाओं के बच्चों के साथ ताकि उनमे पढने एवं आगे अध्ययन के लिए प्रेरित किया जा सके ।
- किसी क्षेत्र में बेहतर प्रयास एवं कार्य कर रहे स्कूलों में जाकर अन्य स्कूल के शिक्षक एवं बच्चे उस माडल को देखकर अपने यहाँ लागू करने की प्रेरणा लेकर वापस आने हेतु
- किसी एक शाला में उपलब्ध संसाधनों को अन्य शाला के शिक्षक भी उपयोग कर सकें, ऐसा अवसर उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से ट्विनिंग
- शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान एवं अन्य तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थान अपने आसपास के कक्षा दसवीं से बारहवीं तक के बच्चों को अपने यहाँ आमंत्रित कर उन्हें उच्च शिक्षा में अपने यहाँ आने हेतु तैयारी करने के लिए प्रेरित करने बाबत
- राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त किसी स्रोत व्यक्ति व्दारा अपने आसपास के स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था जैसे सीसीआरटी से कठपुतली पर प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक अन्य शाला में बच्चों के लिए भी कठपुतली कला दिखाने बाबत ।
- एक दूसरी शालाओं के शाला प्रबन्धन समिति के सदस्य भी आपस में ट्विनिंग कर सकते हैं।
ट्विनिंग हेतु कार्य प्रारंभ करने हेतु प्रक्रिया-
- समान रूचि एवं निकट की शालाएं आपस में जोड़ी बनाएं ।
- किसी एक आइडिया पर एकमत हों जिस पर मिलकर काम कर सकें।
- इस बात के लिए स्वीकृति दें कि आप चयनित कार्य के लिए संकल्पित हैं ।
- स्कूल से स्टाफ का चयन करें जो इस कार्य को आगे बढाने नेतृत्व प्रदान कर सके ।
- टूट्विनिंग के लिए आवश्यक संसाधन की पहचान करें एवं जुटाएं।
- यात्रा की दूरी के अनुसार शाला का चयन एवं तैयारी करें।
- ट्विनिंग के लिए पूरी योजना बनाकर साझा कर सहमति लें एवं दें ।
- ट्विनिंग संबंधित कार्ययोजना का क्रियान्वयन करना प्रारंभ करें ।
- समय समय पर पूरे कार्यक्रम का फीडबैक लेवें ।
- पूरे कार्यक्रम का दस्तावेजीकरण तैयार रखें ताकि अनुभव को साझा किया जा सके ।
सफलतापूर्वक ट्विनिंग हेतु आवश्यक विशेषताएं-
- दोनों साझेदारों के बीच win-win स्थिति होनी चाहिए ।
- दोनों साझेदार ट्विनिंग के क्षेत्र के लिए सहमत एवं एकमत होना चाहिए ।
- दोनों की आवश्यकताओं एवं वास्तविक मांग पर आधारित होनी चाहिए ।
- स्पष्ट एवं फोकस दृष्टि होनी चाहिए एवं इस बाबत ठोस योजना होनी चाहिए ।
- नेतृत्व क्षमता एवं कौशल होना चाहिए एवं आवश्यक संसाधन हेतु पर्याप्त बजट सुलभ होना चाहिए।
- एक दूसरे का सम्मान, कल्चर की समझ एवं सतत संवाद या कम्युनिकेशन होना चाहिए।
सफल ट्विनिंग हेतु कुछ सुझावात्मक क्षेत्र –
- एक दूसरे की शालाओं का शैक्षिक भ्रमण एवं कक्षाओं, शिक्षण पद्धतियों, सुविधाओं से परिचय
- एक दूसरे की संस्कृति, परंपराओं एवं पृष्ठभूमि से परिचय एवं समझ विकसित करना ।
- एक दूसरे के यहाँ उपलब्ध संसाधनों को साझा कर बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना ।
- किसी परियोजना में शामिल होकर मिलकर उसे पूरा करने की दिशा में कार्य करना ।
- विषय विशेषज्ञ शिक्षक से अन्य शिक्षकों एवं बच्चों को मार्गदर्शन या अन्य शालाओं को मेंटरिंग ।
- बेहतर प्रयासों. अभ्यासों को देखकर सीखने के अवसर मुहैय्या कराते हुए सीखना ।
- बच्चों के लिए समर कैम्प के अलावा विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए मिलकर तैयारी करना।
- शाला त्यागी बच्चों को पढाई में मदद करने दानोत्सव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सहयोग देना जैसे बस्ता, ,कपडे एवं अन्य आवश्यक सामग्री एकत्रित कर उपलब्ध कराना ।
- मिलकर कुछ उत्पाद बनाकर बेचकर उससे हुई आय से गरीब बच्चों को सहयोग जैसे किसी शाला के बच्चों द्वारा मिट्टी के दिए बनाकर उसे बेचकर वृद्धाश्रम के लिए वाटर कूलर दान में दिया ।
- अख़बार के साथ आने वाले बाल पत्रिकाओं को एकत्र कर सरकारी स्कूलों के मुस्कान पुस्तकालयों के लिए दान करना ।
- किसी स्कूल में बढिया आधुनिक प्रयोगशाला होने की स्थिति में अन्य शालाओं के बच्चों को
- समय समय पर उस प्रयोगशाला के उपयोग का अवसर उपलब्ध कराना ।
- किसी परियोजना जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम या किसी फिल्म को बनाने में एक दूसरे का सहयोग लेकर उस परियोजना को पूरा करना
- ई-ट्विनिंग के अवसर ढूंढकर अन्य राज्यों एवं देशों के बच्चों के साथ भी साझेदारी के अवसर ।
- ई-ट्विनिंग हेतु इन्टरनेटम स्कैप या अन्य सोशियल मीडिया का उपयोग करना।
- इग्नाईट अवार्ड जैसी प्रतियोगिताओं के लिए एक दूसरे की पृष्ठभूमि से आइडियाज ढूँढना
- सरकारी स्कूलों व्दारा स्थानीय लोक कलाकारों को निजी स्कूलों में बच्चों को लोक कला सिखाने हेतु उपलब्ध कराने में सहयोग देना ।
- अन्य विभाग में कार्यरत कर्मचारी या उनके परिवार के सदस्य शालाओं में विद्यार्थियों को कोई विशेष विषय या एनी रचनात्मक के सिखाने में रूचि लेते हो, उनका सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .