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शाला प्रबंधन समिति (SMC) का गठन
[School Management Committee SMC 2024]
शाला प्रबंधन समिति क्या है ?
शाला प्रबंधन समिति (SMC) का गठन [School Management Committee SMC]
शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के अनुभाग 21 में शाला प्रबंधन समिति(SMC) का गठन सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में अनिवार्य किया गया है।
समिति का हिस्सा कौन होते हैं ?
स्कूल प्रबंधन समिति में स्कूल के हेडमास्टर, अध्यापक, बच्चों के माता-पिता और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी होते हैं, जो स्कूल की योजना बनाने का और स्कूल के कार्यों और गतिविधियों पर निगरानी रखते हैं।
यह प्रावधान कब और कैसे लागू हुआ ?
निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम अंतर्गत 6 से 14 आयु वर्ग आयु के समस्त बच्चों के लिए शाला प्रबंधन समिति का गठन किया जाना है । निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में शाला प्रबंधन समिति का गठन निःशुल्क बाल शिक्षा अधिनियम 2009 अंतर्गत बनाये गये नियम 2010 के नियम 3 के अनुसार किया जाना है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 | Click Here |
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 | Click Here |
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 | Click Here |
स्कूल प्रबंधन समिति के उद्देश्य-
- बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करना।
- प्रारंभिक शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा निति द्वारा निर्धारित उपलब्ध नामांकन ठहराव एवं शैक्षणिक उपलब्धि के लक्ष्यों प्राप्ति सुनिश्चित करना।
- स्कूल प्रबंधन समिति में अभिभावकों व शिक्षकों की भागीदारी को सशक्त करना।
- सरकार व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त स्कूल अनुदानों, सुविधाओं के उपयोग के निर्णय कार्यान्वयन व् अनुश्रवण हेतु अभिभावक शिक्षक समुदाय को सशक्त करना।
- विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि स्तर में सुधार हेतु सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना।
- स्कूल विकास एवं प्रबंधन हेतु सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करते हुए समुदाय को स्कूल गतिविधियों से परिचित करवाना।
शाला प्रबंधन समिति (SMC) का गठन कैसे करें ?
- SMC का गठन ढाई साल के लिये होता है ।
- जब्कि SMC का पुनर्गठन प्रतिवर्ष करना है।
- SMC का सत्र में 10 बैठक होना होता है।
- SMC के सदस्य 3 बैठक में शामिल नहीं होने पर उसके जगह दूसरे सक्रिय सदस्य को SMC का सदस्य बनाया जा सकता है।
- SMC के 3 अनिवार्य बैठक होना ही है।
SMC गठन संबंधी दिशा निर्देश | Click Here |
शाला प्रबंधन समिति (SMC) की संरचना –
- शाला प्रबंधन समिति का गठन निम्नानुसार होगा :-
शाला प्रबंधन समिति में सदस्यों की संख्या – कुल 16 सदस्य होंगे, जो निम्नानुसार प्रवर्ग के होंगे :-
- अध्यक्ष – 01 ( माता-पिता/पालक सदस्यों में से 1 निर्वाचित सदस्य / शासन द्वारा समय समय पर जारी निर्देशानुसार मनोनित सदस्य)
- उपाध्यक्ष – 01 ( माता-पिता/पालक सदस्यों में से 1 निर्वाचित )
- संयोजक – विद्यालय का प्रधान पाठक/ प्रभारी प्रधान पाठक (पदेन)
- कोषाध्यक्ष – विद्यालय का वरिष्ठ शिक्षक (पदेन)
- समिति के 75 प्रतिशत सदस्य अर्थात् 12 सदस्य बच्चों के माता-पिता या पालक होंगे।
समिति के शेष 25 प्रतिशत सदस्यों का चयन निम्नानुसार किया जायेगा :-
- 25 प्रतिशत अर्थात् 4 का एक तिहाई अर्थात् 1 सदस्य विद्यालय के अध्यापकों में से होगा। जिसका चयन विद्यालय के अध्यापकों द्वारा किया जायेगा। (SMC के पदेन कोषाध्यक्ष)
- 25 प्रतिशत अर्थात् 4 का एक तिहाई सदस्य अर्थात् 1 सदस्य स्थानीय प्राधिकरण (पंचायत/नगरीय संस्था) के निर्वाचित सदस्यों में से होगा। जिसका चयन स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किया जायेगा।
- 25 प्रतिशत अर्थात् 4 का एक तिहाई अर्थात् 1 सदस्य स्थानीय शिक्षाविदो/विद्यालय के बालकों में से होगा। जिसका चयन समिति में माता-पिता/पालकों द्वारा किया जायेगा।
टीप :- शाला प्रबंध समिति में उपरोक्तानुसार 16 सदस्यों में से 50 प्रतिशत अर्थात् 8 पदों पर महिला सदस्य होंगी।
शाला प्रबंधन समिति (SMC) की बैठक –
- शाला प्रबंधन समिति माह में कम से कम 1 बार व सत्र में 10 बार अपनी बैठक करेगी और बैठकों के कार्यवृत्त तथा विनिश्चिय समुचित रूप से तय करेगी|
- कोरम – बैठक हेतु पालक सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य अर्थात् 4 तथा चयनित सदस्यों में से कम से कम 1 सदस्य की उपस्थिति आवश्यक होगा।
शाला प्रबंधन समिति (SMC) का कार्यकाल – समिति का गठन ढाई साल के लिये होता है। तत्पश्चात समिति का पुनर्गठन प्रतिवर्ष किया जाना है|
शाला प्रबंधन समिति (SMC) पद से मुक्ति –
- कोई भी सदस्य, सदस्य संयोजक को त्यागपत्र देकर अपनी सदस्यता समाप्त कर सकेगा।
- बिना पर्याप्त कारण के लगातार 3 बैठकों में अनुपस्थित रहने से सदस्यता समाप्त हो जायेगी। इसकी सूचना सदस्य संयोजक द्वारा दी जायेगी।
- पालक सदस्य की सभी संतानों/पाल्यों के स्कूल छोड़ देने पर अथवा लगातार 1 माह अनुपस्थित रहने पर उसकी सदस्यता समाप्त हो जायेगी, इसकी सूचना सदस्य संयोजक द्वारा दी जायेगी। बच्चों की शारीरिक अस्वस्थता में यह शिथिलनीय होगा।
- किसी भी सदस्य की सदस्याता समाप्त होने पर शेष पालक सदस्यों द्वारा उसी प्रकार के सदस्य का चयन किया जायेगा, जिस प्रकार के सदस्य की सदस्यता की समाप्त हुई हो।
सक्रिय SMC हेतु सुझाव बिंदु:-
- SMC का गठन समिति की प्रक्रिया SMC के अनुरूप हो|
- SMC के सदस्यों को अपने अधिकार व कर्तव्य का बोध हो
- शाला अनुदान व SDP में सक्रिय भागीदारी हो।
- SMC के सदस्यों द्वारा शाला कार्यो में भागीदारी, कार्यविभाजन व नियमित निगरीन हो।
- SMC सदस्यों को विविध कार्यों के लिये शाला कार्यक्रम में सम्मानित किया जाये|
- समिति के महिला व पुरुष सदस्यों को समान अवसर दिया जाये।
- सभी सदस्यों के सिखने में विशेष दक्षता का उपयोग करना।
- शाला के बेहतरी के लिए स्वयं के नियम बनाकर उस पर अमल किया जाये ।
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .
Nice information sir