शाला प्रबंधन समिति एवं उसके कार्य
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ने शालेय स्तर पर शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों से विद्यार्थियों के शत-प्रतिशत नामांकन शाला त्याग एवं शाला में बनाए रखने जैसी समस्या के कारणों पर एवं उसके उपयोग पर खुली परिचर्चा कर उनकी शाला के लिए समाधान ढूंढ़ने का प्रयास प्रारंभ किया है। और सामुदायिक सहभागीता की आवश्यकता महसूस की।

अप्रैल 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया जिसके तहत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को अनिवार्य निशुल्क शिक्षा देने हेतु निर्देशित किया गया।
- शाला प्रवेश शाला त्यागी एवं ठहराव की समस्या दूर करने में शाला प्रबंध समिति की भूमिका प्रस्तावना-
- शाला प्रबंधन समिति के उद्देश्य:-
- विद्यार्थियों को शाला में बनाए रखने हेतु निम्नलिखित रणनीति अपनाई जा सकती है:
- शालेय प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता:-
- सामुदायिक सहभागिता का अर्थ
- प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संचालित योजनाएँ:-
- केंद्र सरकार की योजनाएँ :-
- शाला प्रबंधन समिति की अंतर्गत सदस्य कुल 16 सदस्य होते है
- शाला प्रबंधन समिति की भूमिका:-
- शाला प्रबंधन समिति के कार्य:-
शाला प्रवेश शाला त्यागी एवं ठहराव की समस्या दूर करने में शाला प्रबंध समिति की भूमिका प्रस्तावना-
शाला प्रबंधन समिति मैनुअल | Download Here |
शाला प्रबंधन समिति के उद्देश्य:-
- सभी बच्चों के लिए नि शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करना।
- शाला प्रबंधन समिति में अभिभावकों व शिक्षकों की भागीदारी को मजबूत करना।
- सरकार व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त स्कूल अनुदानों सुविधाओं के उपयोग के निर्णय कार्यान्वयन के लिए अभिभावक, शिक्षक समुदाय को सशक्त करना।
- विद्यार्थियों के शैक्षणिक उपलब्धि स्तर में सुधार हेतु सामुदायिक भागीदारी बढ़ाना।
- स्कूल विकास एवं प्रबंधन हेतु सामुदायिक सहनागिता सुनिश्चित करते हुए समुदाय को स्कूल गतिविधियों से परिचित करवाना।
- प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन करना ।
- शाला में दर्ज सभी बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- नामांकित बच्चों को शाला त्यागी ना बनने देना।
- शाला प्रबंध समिति द्वारा जन सहयोग से शाला त्यागी बच्चों को अध्ययन की मुख्यधारा से जोड़ना ।
- समुदाय में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना।
- बच्चों के नियमित उपस्थिति में आने वाली समस्याओं का चिंतन करना एवं समाधान हेतु प्रयास करना।
- शाला प्रबंध समिति से शाला की बुनियादी सुविधा लेने हेतु पहल करना।
विद्यार्थियों को शाला में बनाए रखने हेतु निम्नलिखित रणनीति अपनाई जा सकती है:
- ऐसे विद्यार्थियों को चिन्हांकित करे जिनके ड्रॉप आउट होने की आशंका सर्वाधिक है।
- शाला, पालक एवं समुदाय को परस्पर मिलजुलकर इस लक्ष्य पर काम करना।
- विद्यालय वातावरण में परिवर्तन लाना जैसे शिक्षकों में शिक्षण में शिक्षक छात्र संबंध में व शाला में बुनियादी सुविधाओ में।
- विद्यार्थियों को वांछित (जो भी चाहते हैं) सहयोग प्रदान करने में समुदाय व जनप्रतिनिधियों से सहयोग लेना संसाधन जुटाना।
- विद्यालय में उपस्थिति के लिए पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करना ।
- समाज एवं डब के सहयोग से अभिभावकों में जागरूकता अभियान चलाना।
- छात्रवृत्ति की योजनाओं से बच्चों को लाभान्वित करना
शालेय प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता:-
- सामुदायिक सहभागिता के सहयोग से विद्यालय प्रबंधन करना।
- सामुदायिक सहभागिता के सहयोग से विद्यालय का शैक्षणिक एवं भौतिक विकास करना।
- सामुदायिक सहभागिता के सहयोग से विद्यालय का सरलता पूर्वक संचालन करना ।
- सामुदायिक सहभागिता के सहयोग से विद्यालय के लिए वित्त की व्यवस्था करना।
सामुदायिक सहभागिता का अर्थ
ग्रामीण एवं शहरी परिक्षेत्र में विद्यमान विद्यालय अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों का विद्यालय के विकास के प्रति सहयोग, सामुदायिक सहभागिता कहलाता है। एक वाक्य में कहे तो- समुदाय की भागीदारी का अर्थ शिक्षा उद्देश्यों तथा आर्थिक एवं सहयोगात्मक समर्थन की
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संचालित योजनाएँ:-
विद्यालयों में संचालित योजनाएँ: प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संचालित योजनाओं का मुख्य उद्देश्य, शिक्षा और प्रशिक्षण के मानक और कौशल दृष्टिकोण में समय के अनुसार आवश्यक सुधार के लिए निम्न लिखित योजनाएँ संचालित किया गया है |
मध्यान भोजन योजना ( एम डी एम ) :- इस योजना में प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के साथ साथ स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति तथा नामांकन में वृद्धि करने के उद्देश्य से किया गया है।
सर्व शिक्षा अभियान (एस एस. ए) :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों के सभी सामाजिक वर्गों के बच्चों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने उद्देश्य से किया गया है।
एन पी ई जी ई एल :- इस योजना बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 :- आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के 6 से 14 साल के बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत दाखिला दिलाने का प्रावधान किया गया है।
सर्व शिक्षा अभियान (एस एस ए ) :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों के सभी सामाजिक वर्गों के बच्चों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने, समयबद्ध कार्यान्वयन करने के उद्देश्य से किया गया है ।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ :- यह सामाजिक कुरीतियों ( पुत्र प्राप्ति की चाह), रूढ़िवादिता को समाप्त करने का अभिनव योजना है,
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (के जी बी व्ही) :- इस योजना अंतर्गत समाज के वंचित समूहों की बालिकाओं जिनमें गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की 25 प्रतिशत और 75 प्रतिशत एस. सी / एस. टी / अपिव. एवं अल्पसंख्यक समुदायों के बालिकाओं को आवासीय विद्यालयों में रखकर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान 2009 :- इसके तहत समाज के सभी वर्गों के बच्चों को प्राथमिक स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सुरक्षित है।
जवाहर नवोदय विद्यालय:- यह केंद्र सरकार की योजना है जिसके अन्तर्गत सी बी एस ई पाठ्यक्रम संचालित है जहाँ कक्षा 6 से 12 तक अध्यापन कराया जाता है। यह पूर्णतया आवासीय विद्यालय है, जिसमें 80 प्रतिशत ग्रामीण एवं 20 शहरी क्षेत्र के बच्चे अध्धयन करते है |
एकलव्य आवासीय विद्यालय:- अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिम जाति वर्ग के कक्षा 6 से 12 वीं तक पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान कर मुख्य धारा में जोड़ने का अभिनव पहल है।
प्रयास विद्यालय :- अनुसूचित क्षेत्रों में शिक्षा से वंचित आर्थिक रूप से कमजोर वाले बच्चों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रोत्साहित करने स्कूली शिक्षा के साथ नीट / जे ई ई परीक्षा की तैयारी के लिए प्रयास विद्यालय खोला गया ।
पढ़ई तुंहर द्वार:- कोविड-19 में लॉक डाउन लगने के कारण पढ़ाई प्रभावित ना हो इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आन लाइन पढ़ाई कराने पढ़ई तुहर द्वार योजना शुरू किया गया ।
पढ़ई तुंहर पारा :- कोविड- 19 में लॉक डाउन लगने के कारण बच्चों को आन लाइन पढ़ाई कराने में कोई परेशानी ना हो इसीलिए 2020 में पढ़ई तुहर पारा योजना के अंतर्गत मोहल्ला क्लास शुरू किया गया ।
सी जी स्कूल डॉट इन पोर्टल :- प्राथमिक उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चत्तर माध्यमिक तथा महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिये उनके कक्षाओं से संबंधित पाठ्यवस्तु का आडियो वीडियो तैयार कर अपलोड किया गया है।
समग्र शिक्षा अभियान 2.0 :- देशभर में साक्षरता अनुपात को बढ़ाने, शिक्षा के स्तर को सुधारने भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 प्रारंभ किया गया है, जिसे 4 अगरत 2021 को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दी गई।
छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना : कोविड 19 में प्रभावित अनाथ बच्चों की शिक्षा एवं आर्थिक सहायता के लिए योजना शुरू किया गया ।
केंद्र सरकार की योजनाएँ :-
- कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना मध्यान भोजन योजना.
- बालिका प्रोत्साहन योजना.. साक्षर भारत कार्यक्रम
- सर्व शिक्षा अभियान / समग्र शिक्षा अभियान,
- राष्ट्रीय साधन सह प्राविण्य छात्रवृत्ति योजना. कस्तूरबा गांधी बालिका योजना,
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना.
- छात्रवृत्ति योजना.
- प्रतिभावान छात्रवृत्ति योजना.
- अस्वच्छ धंधा छात्रवृत्ति,
- राज्य सरकार की योजनाएँ :
- मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना.
- निःशुल्क पाठ्यपुस्तक योजना,
- निःशुल्क गणवेश योजना.
- सरस्वती सायकल योजना,
- छात्र दुर्घटना बीमा योजना.
शाला प्रबंधन समिति की अंतर्गत सदस्य कुल 16 सदस्य होते है
- अध्यक्ष
- उपाध्यक्ष
- सचिव
- कोषाध्यक्ष
- शेष 12 सभी सदस्य होते हैं।
शाला प्रबंधन समिति की भूमिका:-
- विद्यालय के भौतिक संसाधन (जैसे भवन मैदान, खेल, नल-जल योजना ) ●
- बच्चों के आर्थिक एवं सामाजिक परिवेश में मदद करना।
- बच्चों की सतत उपस्थिति में मदद करना।
- बच्चों को स्वच्छता पर्यावरण के लिए जागरूक करना व कार्य क्रम में सहयोग प्रदान करना।
- बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रम में सहयोग करना।
- बच्चों को शाला त्यागी अप्रवेशी होने से बचाना।
- विद्यालय रंग-रोगन, सजावट में योगदान प्रदान करना।
- समिति विद्यालय में नियुक्त शिक्षक / शिक्षिकाओं की विद्यालय में उपस्थिति होने में नियमितता सुनिश्चित करना।
- समय-समय में पालको और संरक्षकों के साथ नियमित बैठके करना।
- विद्यालय की अन्य सभी गतिविधियों में हिस्सेदारी निभाना।
- सभी बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करे इस ओर ध्यान देना।
- समागीय एसएमसी की गठन प्रक्रिया में सदस्यों के कर्तव्य व भूमिका की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।बना सके व बच्चों की शिक्षा के महत्व को समझे।
- 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी से जोड़ना तथा 6 से 14 वर्ष के बच्चों को विद्यालय से जोड़ना
- एसएमसी द्वारा बालकों के शिक्षा के अधिकारों के संबंध में शिकायत समाधान प्रक्रिया से अवगत होंगे।
- विद्यालय विकास योजना तैयार कर उनकी अनुशंसा करते हुए उसका क्रियान्वयन करना।
- भौतिक संसाधनों की उपलब्धता एवं रखरखाव सुनिश्चित करना।
- विद्यालय की गतिविधियों में नियमित समीक्षा कर गुणात्मक सुधार लाना।
- एसएमसी सदस्य विद्यालय स्वयं की भूमिका के महत्व समझ पायेंगे।
शाला प्रबंधन समिति के कार्य:-
- नामांकन व ठहराव एसएमसी सदस्य एवं शिक्षक मिलकर अभिभावकों से बातचीत करके नामांकन पूर्व ठहराव हेतु प्रयास कर सकते है।
- हैण्डपम्प खराब- एसएमसी सदस्य स्थानीय प्रशासन सहयोग से ठीक करा सकते है।
- मिड-डे-मील- एसएमसी सदस्य यह सुनिश्चित कर सकते हैं, कि साफ स्वच्छ जगह पर सभी को खाना दिया जाये।
- विद्यालय में दो कक्षाओं को एक साथ शिक्षण कराने के बजाय बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षण कराया जा सकता है।
- सुविधाओं जैसे क्रियाशील शौचालय की व्यवस्था को स्थानीय सहयोग से सुनिश्चित करवाना |
- एसएमसी की प्रतिमाह बैठक हो एवं एसएमसी का गठन लोकतांत्रिक तरीके से किया गया हो।
- सरकार द्वारा विद्यालय को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के अतिरिक्त एसएमसी स्थानीय संसाधनों के उपयोग द्वारा समस्या समाधान हेतु प्रयास कर सकते है।
- शाला प्रबंधन समिति के पुनर्गठन के लिए प्रारूप तैयार करना भी जरूरी है।
विद्यालयीन अनुशासन में एसएमसी की भूमिका:-
विद्यालय में अनुशासन विद्यार्थियों के लिए पहले सीख होती है अनुशासन ही सफलता की सीढ़ी होती है एसएमसी के देखरेख एवं जागरूकता से विद्यालय का अनुशासन सुद्ध किया जा सकता।
- एसएमसी इस तरह से सहयोग कर सकती है
- विद्यालय की समस्त गतिविधियों का अवलोकन करके
- आसपास के बच्चों की देखरेख कर के बाहरी हस्तक्षेप को नियंत्रित करके
- विद्यार्थियों को गलत रास्ते में जाने से रोक कर
- विद्यार्थियों की गलत आदत के बारे में शाला प्रमुख और शिक्षकों को अवगत करा कर
- विद्यार्थियों को नशीले एवं मादक पदार्थों के सेवन आदि रोकने में सहयोग करके
पूर्व व्यवसायिक शिक्षा में शाला प्रबंधन समिति की भूमिका:-
हमें व्यवसायिक शिक्षा से जुड़ी इस सामाजिक चारणा को दूर करना है और अधिक से अधिक छात्रों तक व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान पहुचाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना है और इस कार्य में शाला प्रबंधन समिति की भूमिका अहम होगी।
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर के विद्यार्थी व्यवसायिक शिक्षा से परिचित हो पायेगें।
- बच्चों में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति रूचि जगा पायेगें।
- पालकों और बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी
- बच्चों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर पायेगे।
- बच्चों में उनकी रूचि अनुसार विभिन्न कौशल का विकास कर पायेगें।
FOLLOW – Edudepart.com
शिक्षा जगत से जुड़े हुए सभी लेटेस्ट जानकारी के लिए Edudepart.com पर विजिट करें और हमारे सोशल मिडिया @WhatsApp @Twitter @Telegram@Facebook @ Youtube को जॉइन करें। शिक्षा विभाग द्वारा जारी किये आदेशों व निर्देशों का अपडेट के लिए हमें सब्सक्राइब करें।