कक्षा 1 हिन्दी में सीखने के प्रतिफल (Class 1 Hindi Learning Outcomes)

Class 1 Hindi Learning Outcomes में ऐसा क्या-क्या विषय वस्तु शामिल है ? ऐसी जिज्ञासा हमारे मन में जरुर आती हैं . उम्र के अनुसार बच्चों को सीखना और सिखाया जाना बहुत महत्वपूर्ण है . अपने साथियों की अपेक्षा यदि वे कम जानते हो, तो उनमें हीन भावना आने लगती है . कक्षा पहली के हिन्दी विषय में कौन कौन सी अधिगम क्षमतायें होनी चाहिये? जानिए,

कक्षा 1 हिन्दी में सीखने के प्रतिफल (Class 1 Hindi Learning Outcomes)

कक्षा 1 हिन्दी में सीखने के प्रतिफल (Class 1 Hindi Learning Outcomes)

CLASS-1-HINDI
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पहली हिन्दी में सीखने के अधिगम क्षमतायें, योग्यतायें व दक्षताएँ

  • विविध उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा अथवा/और स्कूल की भाषा का इस्तेमाल करते हुए बातचीत करते हैं, जैसे– कविता, कहानी सुनाना, जानकारी केलिए प्रश्‍न पूँछना, निजी अनभुवों को साझा करना।
  • सुनी सामग्री (कहानी, कविता आदि) के बारे में बातचीत करते हैं, अपनी राय देते हैं, प्रश्‍न पूछते हैं।
  • भाषा में निहित ध्वनियों और शब्दों के साथ खेलने का आनंद लेते हैं, जैसे – इन्ना, बिन्ना, तिन्ना
  • प्रिंट (लिखा या छपा हुआ) और गैर-प्रिंट सामग्री (जैसे, चित्र या अन्य ग्राफ़िक्स) में अंतर करते हैं।
  • चित्र के सूक्ष्म और प्रत्यक्ष पहलुओं पर बारीक अवलोकन करते हैं।
  • चित्र में या क्रमवार सजाए चित्रों में घट रही अलग-अलग घटनाओ, गतिविधियों और पात्रों को एक संदर्भ या कहानी के सत्र में देखकर समझते हैं और सराहना करते हैं।
  • पढ़ी कहानी, कविताओ आदि में लिपि चिह्नों/शब्दों/वाक्यों आदि को दखकर और उनकी ध्वनियों को सनकर, समझकर उनकी पहचान करते हैं।
  • संदर्भ की मदद से आस-पास मौज प्रिंट के अर्थ और उद्देश्य का अनमान लगाते हैं, जैसे– टॉफ़ी के कवर पर लिख नाम को ‘टॉफ़ी’, ‘लॉलीपॉप’ या ‘चॉकलेट’ बताना।
  • परिचित/अपरिचित लिखित सामग्री (जैसे– मिड-डे मील का चार्ट, अपना नाम, कक्षा का नाम, मनपसंद किताब का शीर्षक आदि) में रुचि दिखाते हैं, बातचीत करते हैं और अर्थ की खोज में विविध प्रकार की व्यक्‍तियों का इस्तेमाल करते हैं,
  • जैसे– केवल चित्रों या चित्रों और प्रिंट की मदद से अनमान लगाना, अक्षर- ध्वनि संबंध का इस्तेमाल करना, शब्दों को पहचानना, अनुभवों और जानकारी का इस्तेमाल करते हुए अनमान लगाना।
  • लिखना सीखने की प्रक्रिया के दौरान अपने विकासात्मक स्तर के अनसारु चित्रों, आड़ी-तिरछी रेखाओ , अक्षर आकृतियों, स्व-वर्तनी और स्व-नियंत्रित लेखन के माध्यम से अपने मन की बातों को अपने तरीके से लिखने का प्रयास करते हैं।
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