कक्षा 8 हिन्दी सीखने के प्रतिफल (Class 8 Hindi Learning Outcomes)

उच्च प्राथमिक स्तर पर विभिन्न स्थितियों के संदर्भ में अपने आप को लिखित रूप में अभिव्यक्त और अपेक्षित है और लेखन का उद्देश्य भी यही है। उच्च प्राथमिक स्तर पर यह अपेक्षा भी रहती है कि शिक्षार्थी विभिन्न रचनाओं को पढ़कर उसमें झलकने वाली सोच, पूर्वाग्रह और सरोकार आदि को पहचान पाएँ। कुल मिलाकर प्रयास यह होना चाहिए कि इस चरण के पूरा होने तक शिक्षार्थी किसी भाषा, व्यक्ति, वस्तु, स्थान, रचना आदि का विश्लेषण करने, उसकी व्याख्या करने और उस व्याख्या को आत्मविश्वास व स्पष्टता के साथ अभिव्यक्त करने के अभ्यस्त हो जाएँ। वे रचनात्मक और सृजनात्मक ढंग से भाषा को बरतना सीख जाएँ।

कक्षा 8 हिन्दी सीखने के प्रतिफल (Class 8 Hindi Learning Outcomes)
Learning Outcomes

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यहाँ पाठ्यचर्या संबंधी अपेक्षाएँ, सीखने-सिखाने की प्रक्रिया तथा सीखने संबंधी संप्राप्ति को दर्शाने वाले बिन्दु दिए गए हैं। यहाँ यह समझना जरूरी होगा कि हिन्दी भाषा संबंधी जो भाषा-संप्राप्ति के बिन्दु दिए गए हैं उनमें परस्पर जुड़ाव है और एक से अधिक भाषायी क्षमताओं की झलक उनमें मिलती है।

कक्षा 8 हिन्दी सीखने के प्रतिफल (Class 8 Hindi Learning Outcomes)

1. विभिन्न विषयों पर आधारित विविध प्रकार की रचनाओं को पढ़कर चर्चा करते हैं, जैसे- पाठ्यपुस्तक में किसी पक्षी के बारे में| पढ़कर पक्षियों पर लिखी गई बातों को पढ़कर चर्चा करते हैं।

2. हिन्दी भाषा में विभिन्न प्रकार की सामग्री (समाचार, पत्र-पत्रिका, कहानी, जानकारी परक सामग्री, इंटरनेट, ब्लॉक पर छपने वाली सामग्री आदि) को समझकर पढ़ते हैं और उसमें अपनी पसंद-नापसंद, टिप्पणी, राय, निष्कर्ष आदि को मौखिक/सांकेतिक भाषा में अभिव्यक्त करते हैं।

3. पढ़ी गई सामग्री पर चिंतन करते हुए समझ के लिए प्रश्न पूछते हैं।

4. अपने परिवेश में मौजूद लोककथाओं और लोकगीतों के बारे में बताते/सुनाते हैं।

5. पढ़कर अपरिचित परिस्थितियों और घटनाओं की कल्पना करते हैं और उन पर अपने मन में बनने वाली छवियों और विचारों के बारे में मौखिक/सांकेतिक भाषा में बताते हैं।

6. विभिन्न संवेदनशील मुद्दो/विषयों जैसे-जाति, धर्म, रंग, जेंडर, रीति-रिवाजों के बारे में अपने मित्रों, अध्यापकों या परिवार से प्रश्न करते हैं, जैसे-अपने मोहल्ले के लोगों से त्योहार मनाने के तरीके पर बातचीत करना।

7. किसी रचना को पढ़कर उसके सामाजिक मूल्यों पर चर्चा करते हैं। उसके कारण जानने की कोशिश करते हैं, जैसे-अपने आस-पास रहने वाले परिवारों और उनके रहन-सहन पर सोचते हुए प्रश्न करते हैं-रामू काका की बेटी स्कूल क्यों नहीं जाती?

8. विभिन्न प्रकार की सामग्री, जैसे कहानी, कविता, लेख, रिपोतार्ज, संस्मरण, निबंध, व्यंग्य आदि को पढ़ते हुए अथवा पाठ्यवस्तु की बारीकी से जाँच करते हुए उसका अनुमान खोजते हैं। लगाते हैं, विश्लेषण करते हैं, विशेष बिंदु को

9. पढ़ी गई सामग्री पर चिंतन करते हुए बेहतर समझ के लिए प्रश्न पूछते हैं।

10. विभिन्न पठन सामग्रियों में प्रयुक्त शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों को समझते हुए उनकी सराहना करते हैं।

11. कहानी, कविता आदि पढ़कर लेखन के विविध तरीकों और शैलियों को पहचानते हैं; जैसे-वर्णनात्मक, विवरणात्मक, भावात्मक, प्रकृति चित्रण आदि।

Class 8 Hindi Learning Outcomes

12. विभिन्न पठन सामग्रियों को पढ़ते हुए उनके शिल्प की सराहना करते हैं और अपने स्तरानुकूल मौखिक, लिखित, ब्रेल/सांकेतिक रूप में उसके बारे में अपने विचार व्यक्त करते है।

13. किसी पाठ्यवस्तु को पढ़ने के दौरान समझने के लिए जरूरत पड़ने पर अपने किसी सहपाठी या शिक्षक की मदद लेकर उपयुक्त संदर्भ सामग्री; जैसे-शब्दकोश, विश्वकोश, मानचित्र, इंटरनेट या अन्य पुस्तकों की मदद लेते हैं।

14. अपने पाठक और लिखने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अपनी बात को प्रभावी तरीके से लिखते है।

15. पढ़कर अपरिचित परिस्थितियों और घटनाओं की कल्पना करते हैं और उन पर अपने मन में बननेवाली छवियों और विचारों के बारे में लिखित या ब्रेल भाषा में अभिव्यक्ति करते हैं।

16. भाषा की बारीकियों/व्यवस्था का लिखित प्रयोग करते है, जैसे-कविता के शब्दों को बदलकर अर्थ और लय को समझना।

17. विभिन्न अवसरों/संदर्भो में कही जा रही दूसरों की बातों को अपने ढंग से लिखते हैं; जैसे-स्कूल के किसी कार्यक्रम की रिपोर्ट बनाना या फिर अपने गाँव के मेले के दुकानदारों से बातचीत।

18. अपने अनुभवों को अपनी भाषा शैली में लिखते हैं। लेखन के विविध तरीकों और शैलियों का प्रयोग करते है । जैसे विभिन्न तरीकों से (कहानी, कविता, निबंध आदि) कोई अनुभव लिखना।

19. दैनिक जीवन से अलग किसी घटना/स्थिति पर विभिन्न तरीके से सजनात्मक ढंग से लिखते हैं। जैसे-सोशल मीडिया पर, नोटबुक पर या संपादक के नाम पत्र आदि।

20. विविध कलाओं, जैसे- हस्तकला, वास्तुकला, खेती-बाड़ी, नृत्यकला और इनमें प्रयोग होने वाली भाषा (रजिस्टर) का सृजनात्मक प्रयोग करते हैं। जैसे- कला के बीज बोना, मनमोहक मुद्राएँ, रस की अनुभूति ।

21. अपने पाठक और लिखने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अपनी बात को प्रभावी तरीके से लिखते हैं।

22. अभिव्यक्ति की विविध शैलियों/रूपों को पहचानते हैं. स्वयं लिखते हैं, जैसे- कविता, कहानी, निबंध आदि।

23. पढ़कर अपरिचित परिस्थितयों और घटनाओं की कल्पना करते हैं । उन पर अपने मन में बननेवाली छवियों और विचारों के बारे में लिखित/ब्रेल भाषा में अभिव्यक्त करते हैं।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.