कक्षा 7 संस्कृत सीखने के प्रतिफल (Class 7 Sanskrit Learning Outcomes)

कक्षा 7 संस्कृत सीखने के प्रतिफल (Class 7 Sanskrit Learning Outcomes)

भारतीय संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु संस्कृत भाषा का ज्ञान परम आवश्यक है। वैदिक वाङ्मय से आज पर्यन्त साहित्य में अनेक विधाओं पर रचना हो रही है। संस्कृत भाषा अपनी प्राञ्जलता एवं सलोनी शैली से अन्य भाषा को सम्पुष्ट ही नहीं करती प्रत्युत ललाम बन जाती है। अतः विद्यालयीन शिक्षा के पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों के लिए अपरिहार्य है।

कक्षा 7 संस्कृत सीखने के प्रतिफल (Class 7 Sanskrit Learning Outcomes)
Learning Outcomes

कक्षा 7 संस्कृत सीखने के प्रतिफल

  • छात्र श्लोकों को सुनकर समझ सकेंगे। श्लोकों का भाव ग्रहण कर आनन्दानभूति कर सकेंगे।
  • श्रुत सामग्री के मुख्य भाव के समझ सकेंगे तथा आदेशों व निर्देशों का पालन कर तदनुरूप व्यवहार कर सकेंगे।
  • संस्कृत श्लोकों/सुभाषितों को सुनकर भाव ग्रहण करते हुए अनुकरण वाचन, परिचित व सुने गये वर्णन को अपने विचारों में व्यक्त कर सकना।
  • श्रुत कहानी को अपने शब्दों में सुनाना विभिन्न परिस्थितियों में संस्कृत में वार्तालाप करना, संस्कृत प्रश्नों का संस्कृत में उत्तर देना।
  • कण्ठस्थ श्लोकों को उचित गति व हाव भाव के साथ सुनाना, कण्ठस्थ धातु व शब्द रूप को सुनाना
  • चित्रों को देखकर मौखिक रूप से संस्कृत में छोटे-छोटे वाक्य रचना करना।
  • संस्कृत के वाक्यों, एवं अनुच्छेदों को शुद्ध कर सकेंगे। उचित गति, प्रवाह एवं गति के साथ वाचन कर सकेंगे।
  • संस्कृत अनुच्छेदों का मौन वाचन कर उसमें निहित भावों को समझ सकेंगे।
  • सामूहिक व व्यक्तिगत वाचन से झिझक दूर होगी तथा पढ़ने की प्रवृत्ति विकसित होगी।
  • व्याकरणगत विधाओं के अभ्यास से विषयवस्तु की अवधारणा पुष्ट होगी। सूक्तियों व सुभाषितों के सतत पठन से पठन कौशल का विकास होगा।

Class 7 Sanskrit Learning Outcomes

  • शुद्ध, सहज व पठनीय रूप में श्लोकों, अनुच्छेदों व सूक्तियों को लिख सकेंगे।
  • सुलेख, अनुलेख व श्रुतलेख के अभ्यास से लेखन कौशल का सतत विकास होगा।
  • उपसर्ग व प्रत्यय में धातु लगाकर तथा धातु में प्रत्यय व उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाने से संस्कृत व्याकरण पुष्ट होगा तथा विषयगत अवधारणाएँ भी पुष्ट होगी।
  • शब्द रूप व धातु रूप के प्रयोग को समझकर सार्थक प्रयोग कर सकेंगे।
  • अनुच्छेदों में निहित सर्वनामिक शब्दों के सतत अभ्यास से प्रयोग की जानकारी प्राप्त होगी।
  • संज्ञा व सर्वनाम के अनुरूप संख्यावाची विशेषणों का सार्थक प्रयोग कर सकेंगे।
  • समासिक शब्दो के विग्रह तथा विग्रह शब्दों से समास बनाने के अभ्यास से समास का बोधकर सकेंगे।
  • कारक एवं विभक्तियों को समझकर सही प्रयोग कर सकेंगे।
  • अव्यय एवं उपसर्ग के अभ्यास से नए शब्द का निर्माण कर सकेंगे।
  • पाठगत क्रिया पदों के माध्यम से लकार की अवधारणा को जान सकेंगे
  • संधियुक्त शब्दों का विच्छेद व विच्छेद युक्त शब्दों की संधि के विषय में जान सकेंगे।
  • संस्कृत में प्रसारित पत्र-पत्रिकाओं में निहित छद व अलंकारों को समझपूर्वक पढ़कर अपना सुझाव देना व टिप्पणी करने की समता विकसित होगी।

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