शिक्षा विभाग के अलादीन का चिराग ??

शिक्षा विभाग के अलादीन का चिराग ??

अलादीन का चिराग
अलादीन का चिराग

कौन है अलादीन का चिराग ?

शिक्षा विभाग द्वारा जारी नित नए आदेशों को देखने पर मानो ऐसा लग रहा है जैसे शिक्षा विभाग में संकुल समन्वयक को अलादीन का चिराग समझा जा रहा है जो अपने मूल शाला में तीन कालखंड अध्यापन करने के बाद अन्य शालाओं में अकादमिक निरीक्षण/अवलोकन भी करेंगे एवं समस्त विभागीय कार्यों का भी निर्वहन करेंगे । नियुक्ति के समय आदेश एवं वर्तमान आदेश को देखने से पता चलता है कि एक तरफ समग्र शिक्षा चाहता है कि वे अपनी मूल शाला में तीन कालखंड अध्यापन करते रहें एवं अवलोकन/निरीक्षण के साथ समस्त विभागीय कार्य भी करें वहीं दूसरी ओर डीपीआई के वर्तमान आदेश से स्पष्ट होता है कि संकुल समन्वयक जिस दिन निरीक्षण/अवलोकन के लिए अन्य शाला में जाएंगे उस दिन उस शाला में दिन भर रह कर शिक्षकों एवं बच्चों को अकादमिक सपोर्ट प्रदान करेंगे । आखिर एक व्यक्ति एक तिथि एवं समय में दोनो जगह प्रत्यक्ष रूप से कैसे मौजूद हो सकता है । विभाग को ऐसा क्यों लगता है कि संकुल समन्वयक एक ही तिथि एवं समय में तीन कालखंड भी पढ़ा लेंगे और शालाओं में निरीक्षण के दौरान पूरे दिन वहां उपस्थित रहेंगे और यदि हमारे समझने में त्रुटि हो रही है तो क्या ऐसे दोनों कार्य को एक ही समय में करने वाले व्यक्ति को अलादीन का चिराग नहीं कहेंगे ?

संकुल समन्वयक नियुक्ति नियमावली –

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संकुल समन्वयक हेतु
आवेदन पत्र
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संकुल समन्वयकों को एक माह में कितना अवलोकन करना है इसके लिए भी समय-समय पर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि संकुल समन्वयक अपने संकुल अंतर्गत शालाओं में ऐसा अवलोकन करें की माह में प्रत्येक शाला में कम से कम 2 बार अवलोकन हो जाए । प्रत्येक संकुल में लगभग 10 शालाएं हैं उस हिसाब से देखा जाए तो प्रत्येक संकुल समन्वयक को प्रतिमाह 20 अवलोकन करना है एक माह में कुल 30 से 31 दिन होते हैं उसमें से रविवार की छुट्टी एवं अन्य छुट्टियों को काट दी जाए तो प्रतिमाह शाला लगने के दिवस 22 से 25 होते हैं संकुल समन्वयक 20 दिन अवलोकन हेतु अन्य शालाओं में जाएंगे तो अपने मूल शाला में अध्यापन हेतु अधिकतम 5 दिन ही मिल रहे हैं इन 5 दिनों में यदि 3 कालखंड पढ़ा भी लिया जाए तो क्या उनके द्वारा लिए गए विषय का कोर्स पूरा हो सकता है ? यह यक्ष प्रश्न है ??

संकुल समन्वयक शिक्षा विभाग के कार्यों को तो करते ही हैं, इसके साथ साथ और क्या क्या कार्य करते हैं ?, एक बार उस पर भी आप सबका ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा –

  • राजस्व विभाग के कार्य ।
  • जाति प्रमाण पत्र शिविर ।
  • मतदाता सूची पुनरीक्षण में सुपरवाइजर का काम ।
  • तहसील स्तर पर समय-समय पर आयोजित कार्यक्रमों में ड्यूटी ।
  • जन चौपाल एवं जन समस्या निवारण शिविर में शिविर स्थल पर ड्यूटी ।
  • पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समय-समय पर चलाए जाने वाले कार्यक्रमों एवं शिविरों में ड्यूटी ।
  • राज्य जिला विकासखंड स्तर पर चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मास्टर ट्रेनर की भूमिका में ।
  • छत्तीसगढ़ ओलंपिक जैसे अन्य आयोजनों में ।
  • निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण ।
  • निशुल्क गणवेश वितरण ।
  • मध्यान्ह भोजन कूपन लेने एवं जानकारी जमा करने विकास खण्ड मुख्यालय आना ।
  • विकास खण्ड स्तरीय बैठकों में सम्मिलित होना ।

संकुल समंवयक हैं तो करना पडेगा अतिरिक्त कार्य

1998 में जब संकुल व्यवस्था लागू की गई तो प्रत्येक संकुल समन्वयक के पद विरुद्ध राज्य शासन की ओर से 1 पद स्वीकृत करके उन शालाओं में शिक्षकों का पदांकन किया गया था । संकुल समन्वयकों की नियुक्ति मूल रुप से संकुल अंतर्गत शालाओं में अकादमिक सहयोग हेतु की गई एवं संकुल प्रभारी को अन्य सभी प्रशासनिक दायित्व सौंपा गया किंतु आज अकादमिक सहयोग के अतिरिक्त सभी अन्य कार्य संकुल समन्वयकों से लिये जा रहे हैं ।

गौर करने वाली भी बात है कि राज्य के सभी उच्च प्राथमिक शाला में 4 से 5 शिक्षक लगभग कार्यरत है उस हिसाब से शिक्षक भी तीन कालखंड ही लेते हैं जहां शिक्षक की कमी है वहां कुछ एक शिक्षक को चार या पांच कालखंड लेना पड़ता होगा जो केवल और केवल शैक्षिक कार्य करेंगे । किंतु यदि आप संकुल समन्वयक बन गए तो आपको शैक्षिक कार्य के अतिरिक्त अन्य सभी कार्य भी करना होगा ।

एक तरफ शासन प्रशासन निरीक्षण व्यवस्था में कसावट लाना चाहती है , जो व्यावहारिक दृष्टि से संकुल समन्वयक के बगैर संभव नहीं दिखाई दे रहा है । इसलिए शासन को इस बारे में सोचना होगा कि यदि निरीक्षण व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाना है, तो संकुल समन्वयकों को उनके मूल शाला में तीन कालखंड अध्यापन की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए निरीक्षण में गए शाला में अकादमिक सपोर्ट हेतु फोकस करने से शायद शिक्षा गुणवत्ता में कुछ सुधार आ सके ।

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