ASER Report 2021 असर रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष

ASER Report 2021 असर रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष

ASER Report 2021 असर रिपोर्ट (ग्रामीण) ‘प्रथम फाउंडेशन’ द्वारा 17 नवंबर, 2021 को प्रकाशित की गई थी। चूंकि महामारी काल में असर की टीम बच्चों के घर नहीं जा पाए, इसलिए 2020 और 2021 में ‘असर‘ की जानकारी फोन पर ली गई।

ASER survey 2022
ASER survey 2022

ASER Report 2021

ASER 2021 रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, 2018 और 2020 के बीच सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों के अनुपात में समग्र वृद्धि हुई थी। नामांकन 64.3% से बढ़कर 65.8% हो गया। लेकिन 2021 में नामांकन अचानक बढ़कर 70.3% हो गया।
  • पिछले साल की तुलना में निजी स्कूलों में नामांकन दर में कमी आई है। 2020 में, नामांकन दर 28.8% थी जो 2021 में घटकर 24.4% हो गई।
  • भले ही 2018 में 36.5% की तुलना में 2021 में स्मार्टफोन की उपलब्धता बढ़कर 67.6% हो गई, निजी स्कूलों में लगभग 79% बच्चों के पास घर पर स्मार्टफोन था, जबकि सरकारी स्कूल में 63.7% बच्चों के पास स्मार्टफ़ोन तक पहुँच थी।
  • स्कूल बंद रहने के दौरान ट्यूशन लेने वाले स्कूली बच्चों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई।
  • असर ने बच्चों का शिक्षा स्तर परखने के लिए जिले के 30 गांव के स्कूलों में सर्वे कराया था।
  • रिपोर्ट से सामने आया है कि बच्चे बढ़ती कक्षा के साथ पढ़ाई में कमजोर होते चले जाते हैं।
  • जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक कक्षा तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों को कक्षा दूसरी के भाषा को पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है। इसमें केवल 36 प्रतिशत बच्चे ही पढ़ सके हैं। ऐसे ही तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों को गणित में घटाव का सवाल दिया गया इसमें 36 प्रतिशत बच्चे सफल हो सके। इसी तरह कक्षा छठवीं से आठवीं तक के बच्चों का भाषा में लर्निंग लेबल देखा गया जिसमे कक्षा दूसरी के भाषा को पढ़ने कहा गया। हालांकि इसमें प्राइमरी के बजाय मिडिल स्कूलों के 65 प्रतिशत बच्चे सफल हुए। दिलचस्प बात ये है कि इन बच्चों को गणित के सवाल में भाग करने के लिए दिया गया था जिसमें केवल 31 प्रतिशत बच्चे ही सफल हो सके।
  • 31 फीसदी बच्चे ही हल कर सके पूछे गए गणित के प्रश्नों को ।

ASER Report 2021 असर रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की स्थिति –

  • छोटे से सैंपल लेकर बड़ा खुलासा करने के मामले में असर संस्था हर साल छत्तीसगढ़ में रिपोर्ट प्रस्तुत कर रही है। इस साल प्रदेश के महासमुंद जिले में हुए सर्वे में असर की रिपोर्ट ने एक बार फिर बच्चों को पिछड़ा करार दिया है। रिपोर्ट का दावा है कि 40 प्रतिशत बच्चों को भावनाओं की समझ ही नहीं है। साथ ही वे पढ़ने-लिखने की समझ में कमजोर हैं।
  • महासमुंद में सर्वेक्षण करके असर की रिपोर्ट बताया कि सभी सर्वेक्षित जिलों में आयु वर्ग 8 के केवल 60.5 प्रतिशत बच्चों ने ही प्राथमिक भावनाओं (खुशी, क्रोध, भय, उदास) की सही पहचान की थी, जबकि महासमुंद जिले के 62.4 प्रतिशत बच्चों ने चारों भावनाओं की सही पहचान की थी। इस प्रकार महासमुंद में आयु वर्ग के 8 बच्चों का सभी भावनाओं (खुशी, क्रोध, भय, उदास) की पहचान का प्रतिशत अन्य सभी सर्वेक्षित जिलों (राष्ट्रीय औसत) से भी अधिक है। लेकिन पढ़ना एवं सरल गणित हल कर पाने की दक्षता अभी भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं।
  • असर टीम ने बताया कि जिन बच्चों की माताएं पढ़ी-लिखी हैं, उनके नामांकन की स्थिति और शैक्षणिक गतिविधियों में प्रदर्शन अन्य बच्चों की तुलना में बेहतर है।
  • जिन बच्चों का संज्ञानात्मक विकास की गतिविधियों में प्रदर्शन अच्छा है । उनका प्रारंभिक भाषा और गणित में प्रदर्शन बहुत अच्छा दिखाई दे रहा है। इस आधार पर शिक्षा सत्र के शुरुआत में कुछ माह अकादमिक गतिविधियों के स्थान पर संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास पर केंद्रित होना चाहिए।
  • जिन बच्चों का नामांकन उनके आयु के अनुरूप कक्षा में हुआ है, उनका प्रदर्शन कम उम्र में नामांकन लेने वाले बच्चों की तुलना में बेहतर है।
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ASER Report 2021 असर रिपोर्ट कमजोर होने के पीछे हैं ये तीन बड़े कारण

  1. बच्चों में आत्मविश्वास की कमी :- अधिकांश स्कूली बच्चों में आत्मविश्वास की कमी भी एक वजह है जिसके कारण बच्चे कमजोर हो जाते हैं। बच्चों में लगातार आत्मविश्वास की कमी के कारण वे कुछ नया नहीं कर पाते। उनको लगातार मोटिवेट करने की जरूरत है।
  2. रेगुलर स्कूल नहीं आते बच्चे :- गांवों में अब भी कई स्कूल ऐसे हैं, जहां पढ़ने वाले बच्चे नियमित स्कूल नहीं आते हैं। कई बार निरीक्षण के दौरान अफसर ये देख भी चुके हैं। बच्चों को नियमित स्कूल भेजने पालकों को समझाइश देना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा है।
  3. शिक्षकों की दिलचस्पी कम :- जिले के स्कूलों में प्राचार्य व शिक्षकों की पढ़ाने के प्रति कम रूचि बच्चों के कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। शिक्षक समय पर आते तो हैं लेकिन बच्चों की पढ़ाई के प्रति उनका ध्यान नहीं रहता। जिसके चलते बच्चों का पढ़ाई में कमजोर होना लाजमी है।
  4. शिक्षक प्रशिक्षण में सिर्फ खानापूर्ति :- ट्रेनिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। कड़ाई से ट्रेनिंग और उसका पालन करने से स्थिति सुधर सकती है।
  5. बच्चों की नींव मजबूत होने से वे आगे के लिए तैयार होंगे। बच्चों को सरल से सरल तरीके से पढ़ाया जाए, शिक्षक इस पर फोकस करें।

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