शारिरिक प्रताड़ना निषेध नियम [Corporal Punishment] -कई बार कुछ बच्चे स्कूल में अभद्र भाषा और गाली गलौज करने लग जाते हैं, इसलिए बच्चों को दंड देना पड़ता है। बच्चों को लाख समझाने के बाद भी नहीं सुधरते हैं, जिस कारण सजा दी जाती है। वैसे स्कूल में बच्चों को मानसिक या शारीरिक दंड देना आरटीई की धारा 17 के तहत दंडनीय अपराध है। जानते हैं कि क्या है शारिरिक प्रताड़ना निषेध नियम [Corporal Punishment]
शारीरिक सज़ा या फिजिकल सज़ा एक ऐसी सज़ा है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को शारीरिक पीड़ा पहुंचाना है। जब यह नाबालिगों को होता है, खासकर घर और स्कूल में, तो इसके तरीकों में पिटाई या पैडलिंग शामिल हो सकता है। जब यह वयस्कों पर लगाया जाता है, तो इसे कैदियों और दासों पर भी लगाया जा सकता है ।
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शारिरिक प्रताड़ना निषेध नियम [corporal punishment]
कॉर्पोरल पनीशमेंट क्या है
शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 की धारा-17 के अनुसार, किसी भी तरह का शारीरिक दंड, किसी भी तरह की प्रताड़ना जिससे बच्चा मानसिक रोग से ग्रस्त हो सके। किसी भी तरह का भेदभाव जिसके तहत बच्चे के साथ उसकी जाति, धर्म व आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किया जाए।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा-17 किसी भी तरह के शारीरिक दंड, मानसिक प्रताड़ना व भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। इसके साथ ही जुबेनाइल जस्टिस एक्ट-2015 की धारा-82 में भी यह परिभाषित हैै।
एस. एस. पटेल , जो कि वर्तमान में BRCC के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .