Seniorty Ruels – शिक्षकों की वरिष्ठता दो प्रकार की होती है एक तो शाला में वरिष्ठता और दुसरा विभाग में वरिष्ठता ।
शाला में वरिष्ठता – यह वरीष्ठता उस शाला में उनकी वरीष्ठता को दर्शाता है जिसके बारे मे हम इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे ।
विभाग में वरिष्ठता – यह वरीष्ठता उस विभाग में उनकी वरीष्ठता को दर्शाता है जिसके आधार पर उस शिक्षक की नियुक्ति, पदोन्नति, क्रमोन्नति व समयमान जैसे लाभ मिलते हैं ।
टीप :-एल.बी. संवर्ग की विभाग में वरीष्ठता का निर्धारण कैसे होता है जानने के लिये नीचे पोस्ट को पढ़े।
पोस्ट विवरण
[Seniorty Ruels-2024]
शाला में वरीष्ठता निर्धारण नियमावली
- शाला में वरिष्ठता – किसी शाला में शिक्षकों के वरिष्ठता का निर्धारण उस शाला में कार्यभार ग्रहण दिनांक के आधार पर की जाती है। अर्थात शाला में पहले कार्यभार ग्रहण वाला शिक्षक बाद में कार्यभार ग्रहण वाले शिक्षक से वरिष्ठ होता है। शाला में इसी आधार पर अतिशेष शिक्षको की गणना की जाती है।
- विभाग में वरिष्ठता – वहीं किसी विभाग में शिक्षकों के वरिष्ठता का निर्धारण विभाग में नियुक्ति दिनांक के आधार पर की जाती है। अर्थात विभाग में पहले नियुक्त शिक्षक बाद में नियुक्त हुये शिक्षकों से वरिष्ठ होते है। पदोन्नति, स्थानांतरण, Suspension पर वरिष्ठता प्रभावित हो सकती है |शाला में सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा पदस्थापना पर वरीष्ठता का निर्धारण कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाती है।
- अत: शाला में बाद पदस्थ शिक्षक कार्यभार ग्रहण दिनांक के आधार पर अतिशेष माने जायेंगे।
- शाला में अतिशेष शिक्षक वह होगा जो अपने विषय वाले शिक्षक में सबसे कनिष्ठ(Juniur) होगा ।
- अगर किसी एक विषय का 01 पद स्वीकृत है और वहां 02 शिक्षक कार्यरत है तो वरिष्ठ(Senior) को छोड़कर जो एक कनिष्ठ(Juniur) होगा उसे अतिशेष माना जायेगा ।
- स्थानांतरण पर वरीष्ठता – संविलियन से पहले पंचायत विभाग में अन्य जनपद पंचायत या जिला पंचायत से स्थानांतरित होकर स्वयं के व्यय से अन्य जनपद पंचायत या जिला पंचायत में आये थे, तो उनकी वरिष्ठता का निर्धारण नये जनपद पंचायत या जिला पंचायत में कार्यभार ग्रहण दिनांक से किया गया है तों शाला में कार्यभार ग्रहण दिनांक के आधार पर दर्ज संख्या के आधार पर अतिशेष माने जायेंगे अर्थात वरीष्ठता प्रभावित होती है।
- आपसी स्थानांतरण / पति-पत्नि स्थानांतरण एवं स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण होने पर वरिष्ठता शाला में कार्यभार ग्रहण दिनाँक से मानी जाती है। जिससे वरीष्ठता प्रभावित होती है।
- प्रशासनिक स्थानांतरण होने पर शाला में वरीष्ठता का निर्धारण कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाती है। जिससे वरीष्ठता प्रभावित होती है।
- निम्न से उच्च पद में या समान पद में अनुमति या बिना अनुमति के जाने पर वरीष्ठता का निर्धारण उच्च पद में कार्यभार ग्रहण दिनाँक से किया जायेगा। केवल वेतन निर्धारण के लिये वरीष्ठता का निर्धारण निम्न पद से होगा। जिससे वरीष्ठता प्रभावित होती है।
- किसी शिक्षक की नियुक्ति तिथि या पदोन्नति तिथि समान होने पर वरिष्ठता का निर्धारण जन्मतिथी के आधार पर किया जाता है।.
- वर्ष 2014 एवं 2017 में किए गए अतिशेष के तहत युक्तियुक्तिकरण के तहत विषय में भरें गये पद मान्य नहीं हो रहे, शिक्षक का जिस विषय में नियुक्ति हुआ था उसका मूल विषय ही मान्य होगा यानि वह पद जो विकल्प से भरें गए को रिक्त मानकर उन पदों को रिक्त माना जा रहा है।
JD रायपुर का वरीष्ठता निर्धारण दिशा निर्देश | Open |
JD दुर्ग का वरीष्ठता निर्धारण दिशा निर्देश | Open |
- यदि सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के आदेश एक ही दिन जारी होते है तब पदोन्नत व्यक्ति सीधी भर्ती किए गए व्यक्ति से वरिष्ठ होंगे।
- दिव्यांग कोटे के अन्तर्गत नियुक्त शिक्षक को अतिशेष शिक्षक के रूप में नहीं गिना जायेगी।
- दिव्यांग शिक्षक को छोडकर अन्य कनिष्ठ शिक्षक की गणना अतिशेष के रूप में की जायेगी।
- जो शिक्षक परीविक्षा अवधि में हैं, उनकी गणना अतिशेष के रूप में नहीं की जायेगी।
- परीविक्षा अवधि वाले शिक्षकों की परीविक्षा अवधि समाप्ति के पश्चात् ही उनकी संस्था में परिवर्तन संभव है।
प्राथमिक शाला में वरीष्ठता निर्धारण
- शाला में सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा पदस्थापना पर वरीष्ठता का निर्धारण कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाती है।
- वर्तमान में प्रधान पाठक गणना एक शिक्षकीय पद माना गया है ।
- पर प्रत्येक शाला में एक प्रधान पाठक व एक शिक्षक अनिवार्य है अत: प्रधान पाठक अतिशेष नहीं होंगे |
- दो शालाओं का समायोजन होने पर यदि दोनों प्राथमिक शालाओं में प्रधान पाठक पदस्थ है तो जो प्रधान पाठक कनिष्ठ (junior) होगा उसे अतिशेष माना जायेगा ।
- प्राथमिक में अतिशेष शिक्षक की गणना करते समय विषय को नहीं देखा जायेगा |
- मर्ज होने वाले विद्यालयों के छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षको की गणना होगी।
- फिर प्रत्येक 30 छात्र पर 1 शिक्षक का सेटअप दिया गया है |
- 60 दर्ज तक संख्या पर कुल-2=>1HM+1सहायक शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 90 दर्ज तक संख्या पर कुल-3=>1HM+2सहायक शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 120 दर्ज तक संख्या पर कुल-4=>1HM+3सहायक शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 150 दर्ज तक संख्या पर कुल-5=>1HM+4सहायक शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 180 दर्ज तक संख्या पर कुल-6=>1HM+5सहायक शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- जहाँ कोई भी प्रधानपाठक पदस्थ नहीं है वहाँ 2 सहायक शिक्षक पदस्थ होंगे ही होंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- संविदा में की गई नियुक्ति के लिये वरीष्ठता का निर्धारण नियमित करने की तिथी से मान्य किया गया है। जैसे कई शिक्षक साथी जिनकी नियुक्ति 2002, 2003 या 2004 में संविदा के रुप में हुई थी उनकी वरिष्ठता दिनाँक 01-05-2005 होगी ।
- संविदा एवं शिक्षा गारंटी शिक्षक को शिक्षा कर्मी के पद पर 01.05.2005 से शिक्षाकर्मी के पद पर नियमित किया गया है अतः उनकी वरिष्ठता का निर्धारण 01.05.2005 से की जा रही है।
पूर्व माध्यमिक शाला में वरीष्ठता निर्धारण
- शाला में सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा पदस्थापना पर वरीष्ठता का निर्धारण कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाती है।
- वर्तमान में प्रधान पाठक गणना एक शिक्षकीय पद माना गया है ।
- पर प्रत्येक शाला में एक प्रधान पाठक व एक शिक्षक अनिवार्य है अत: प्रधान पाठक अतिशेष नहीं होंगे |
- दो शालाओं का समायोजन होने पर यदि दोनों पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्रधान पाठक पदस्थ है तो जो प्रधान पाठक कनिष्ठ (junior) होगा उसे अतिशेष माना जायेगा ।
- अतिशेष की गणना करते समय प्रधान पाठक सहित शिक्षकों के विषय को ध्यान में रखा जायेगा।
- मर्ज होने वाले विद्यालयों के छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षको की गणना होगी।
- जहाँ कोई भी प्रधानपाठक पदस्थ नहीं है वहाँ 4 शिक्षक पदस्थ होंगे ही होंगे।
- फिर प्रत्येक 35 छात्र पर 1 शिक्षक का सेटअप दिया गया है |
- 105 दर्ज तक संख्या पर कुल-4=>1HM+3शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 140 दर्ज तक संख्या पर कुल-5=>1HM+4शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 175 दर्ज तक संख्या पर कुल-6=>1HM+5शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 210 दर्ज तक संख्या पर कुल-7=>1HM+6शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 245 दर्ज तक संख्या पर कुल-8=>1HM+7शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- 280 दर्ज तक संख्या पर कुल-9=>1HM+8शिक्षक रहेंगे। शेष कनिष्ठ (junior) शिक्षक को अतिशेष माना जायेगा ।
- विषय की गणना करते समय विषय शिक्षकों (प्रधान पाठक सहित) का क्रम होगाः-
- अंग्रेजी
- गणित
- कला
- विज्ञान
- हिन्दी
- संस्कृत/उर्दू/वाणिज्य
हाई/ हायर में वरीष्ठता निर्धारण
- हाई/हायर सेकेण्डरी स्कूल में जहां दर्ज संख्या बहुत कम है, और वहाँ एक ही विषय के दो व्याख्याता कार्यरत है (प्रति व्याख्याता अध्यापन 04 कालखण्ड से कम), तो उनमें से कनिष्ठतम अतिशेष होगा।
- हायर सेकेण्डरी स्कूल में स्वीकृत किसी संकाय में एक भी छात्र/छात्रा अध्ययनरत् नहीं है, तो ऐसी स्थिति में संबंधित संकाय के व्याख्याताओं को अतिशेष माना जायेगा।
- प्राचार्य को अतिशेष की गणना से मुक्त रखा गया है |
- हाई/ हायर सेकेण्डरी स्कूलों में स्वीकृत पद के विरुद्ध एक से अधिक व्याख्याता कार्यरत होने पर दोनों में से जो कनिष्ठ होगा उसे अतिशेष माना जायेगा।
- हायर सेकेण्डरी स्कूलों में हिन्दी, अंग्रेजी संस्कृत, गणित, जीव विज्ञान, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र इतिहास/राजनीति शास्त्र, अर्थ शास्त्र/भूगोल व वाणिज्य के एक-एक व्याख्याता होंगे।
- जिस विषय/संकाय के वर्ग बनेंगे उस विषय के व्याख्याता देय होंगे ।
- 35 विद्यार्थियों की एक कक्षा/वर्ग होगा इससे अधिक होने पर (अधिकतम 10 होने पर) एक अतिरिक्त विषय के व्याख्याता देय होगा।
- यह स्वीकृति वित्त विभाग के द्वारा दिनांक 08.05.2008 दी गई है ।
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नोट :-नीचे दी गयी जानकारी Edudepart.com द्वारा शासन द्वारा समय समय पर जारी विभिन्न निर्देशों के आधार पर केवल जानकारी के लिये दिया जा रहा है |
समायोजन संबंधी अन्य निर्देश-
- अतिशेष शिक्षकों का निर्धारण
- अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्रिया
- शालाओं का युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया
- शिक्षकों व शालाओं का युक्तियुक्तकरण समय सारणी
- शालाओं के समायोजन हेतु निर्देश
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .
पूर्व माध्यमिक शालाओं में अधिकतर वर्षों में नियुक्ति अथवा पदोन्नति कला या विज्ञान के विषय से हुई, फिर वो कला में हिंदी लिटरेचर वाला हो या संस्कृत लिटरेचर वाला हो या अंग्रेजी लिटरेचर वाला हो क्लियर नहीं था, इसी प्रकार विज्ञान में गणित वाला यह विज्ञान वाला क्लियर नहीं फिर वर्तमान में युक्तिकरण अंतर्गत किस प्रकार आप विषय वार चयनित करेंगे, या चक्र क्रमानुसार विषय वार माना जाएगा बताने का कष्ट करें
1 प्र.पा.सहित चार तो रहना ही है। प्रधान पाठक नहीं है तो विषय अँग्रेजी, गणित, कला,विज्ञान रहेगा हिंदी वाला जायेगा विज्ञान वाला आना चाहिए।
1 जब मिडील स्कूलों मे आपके पास पर्याप्त अँग्रेजी, गणित, विज्ञान के शिक्षक हैं तो ही विषय आधारित सँभव हो सकता है ।
2 कला के अधिक हैं उनको कहां समायोजित करेंगे ?
3 अँग्रेजी, गणित, कला,विज्ञान, हिन्दी, सँस्कृत विषय मे भर्ती किये हैं तो ही ये नियम लागू होगा।
4 सँस्था प्रमुख प्रधान पाठक किसी भी स्थिति मे अतिशेष नहीं होना है ।
5 शिक्षक पद की भर्ती स्नातक से होता है और हर स्नातक किसी भी विषय सँकाय का हो मिडील स्कूल मे पढा सकता है विषय मे बाँटने का कोई मतलब नहीं है।
6 1-4, 1-3 विषय आधारित शिक्षक रखते हैं तो गणित,अँग्रेजी, विज्ञान वाला सँस्कृत, हिन्दी, सा.वि.क्यों
पढायेगा क्योंकि वह तो विषय गणित, विज्ञान, अँग्रेजी के लिऐ है ?
7 मिडील स्कूल मे 18 कालखंड होता है शिक्षक भर्ती स्नातक से होता है सब विषय पढा है सभी विषय पढाने मे सक्षम है 60 तक की दर्ज मे 1-3,और 60 से ऊपर 105 तक 1-5 होना ही चाहिए। इसमे भी कम से कम पाँच साल का औषत दर्ज सँख्या देखना चाहिए।
मिडिल स्कूल और प्राथमिक स्कूल का युक्तिकरण के बाद सेट अप क्या होगा सर जी
पूर्व में परिविक्षा अवधि वाले शिक्षकों का अतिशेष कर समायोजन हुआ अब परिविक्षा वाले शिक्षकों को सुरक्षित किया जा रहा है जब पहले से ही शिक्षक थे फिर नया भर्ती कर पुराने शिक्षको अतिशेष किया जा रहा है
Kya 95 middle मे darj hai aur एक maths ek english एक कला और एक हिंदी का टीचर है तो कला और हिंदी को एक विषय man रहे है plz बताइये सर