NCFSE 2023 : एनसीएफ का पूर्व मसौदा
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NCFSE 2023 एनसीएफ का पूर्व मसौदा जारी
NCFSE 2023 (National Curriculum Framework for School Education) – NCERT द्वारा हाल ही में NCF का नया ड्राफ्ट पेश किया गया है । हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, यह एनसीएफ-एसई का पूर्व मसौदा है, जिसपर अभी नेशनल स्टीयरिंग कमेटी में कई दौर का विचार विमर्श बाकी है। । तैयार किए गए इस ड्राफ्ट में कई सारे ऐसे बदलाव की घोषणा करी गई है जो NCF 2005 के अंतर्गत नहीं थे । आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 द्वारा पेश की गई सिफारिशों के आधार पर ही शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा का निर्माण किया है । जारी किए गए इस ड्राफ्ट के अंतर्गत ऐसे कई सारे बदलाव की मांग की गई है जिनसे भारत की शिक्षा व्यवस्था की संरचना में बदलाव आएगा । राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के शुरुआती मसौदे में साल में दो बार बोर्ड परीक्षा का मौका देने की सिफारिश की है। इसमें छात्र अपनी तैयारी और मांग के आधार पर बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकता है। इस ड्राफ्ट के मुताबिक अब विद्यालयों में हर शनिवार को half day जारी किया जा सकता है ।
बयान में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में छात्रों की विविध जरूरतों, कई शैक्षणिक दृष्टिकोणों और सीखने व शिक्षण सामग्री को देखते हुए छात्रों, माता-पिता, शिक्षकों, शिक्षकों के प्रशिक्षकों, विशेषज्ञों, विद्वानों और पेशेवरों के सुझाव आवश्यक हैं। अधिकारियों ने बताया कि नए एनसीएफ के हिसाब से तैयार किताबें अगले साल से पढ़ाई के लिए उपलब्ध होंगी। ताकि आप भी देश के शिक्षा निर्माण में अपना योगदान दे सकें । अभिभावक, बच्चे और शिक्षक भेजें सुझाव ।
NCFSE 2023 – नया बदलाव
National Curriculum Framework for School Education (NCFSE 2023) के माध्यम से यह निश्चित किया जाता है कि आगामी वर्षों में विद्यालय के अंदर किस प्रकार का सिलेबस निर्धारित किया जाएगा । आपको बता दें कि अभी तक भारत में NCF 2005 की सिफारिशों के आधार पर ही सिलेबस चल रहा है. इसके अंतर्गत ही NCERT द्वारा कक्षा 1 से 12 तक की पाठ्यपुस्तक में बनाई गई हैं । लेकिन अब सरकार नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत दिए गए सुझावों के आधार पर एक नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा बना रही है । इसका ड्राफ्ट बनकर तैयार हो गया है । अभी इसको वेबसाइट पर डॉक्यूमेंट के रूप में अपलोड कर दिया गया है । ताकि देश के सभी नागरिक और विद्वान इस ड्राफ्ट को पढ़कर अपनी राय शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार तक पहुंचाएं । इसके बाद सभी की राय के मुताबिक की शिक्षा मंत्रालय द्वारा अंतिम रुप से NCF तैयार किया जाएगा । जारी किए गए इसके अंतर्गत निम्नलिखित बड़े बदलावों के सुधार देखने को मिल रहे हैं शिक्षा मंत्रालय ने 5 + 3 + 3 + 4 ‘पाठ्यचर्या और शैक्षणिक’ संरचना के आधार पर चार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार किए हैं, जिन्हें नई शिक्षा नीति-2020 ने स्कूली शिक्षा के लिए अनुशंसित किया है। मंत्रालय ने 3 से 8 साल के बच्चे के लिए नींव चरण का एनसीएफ पिछले साल अक्तूबर में जारी किया था। इसी नीति के तहत स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ तैयार किया गया है।
एक कक्षा 40 मिनट की होगी
पुराने करिकुलम फ्रेमवर्क के अनुसार विद्यालय के पास यह छूट थी कि वह अपने अनुसार टाइम टेबल निर्धारित कर सकते हैं । इसमें प्रत्येक क्लास को 45 मिनट का समय दिया गया था । लेकिन नया करिकुलम फ्रेमवर्क एक निर्देश की तरह काम करेगा । इसमें क्लास को पढ़ाने के लिए टाइम टेबल बनाने के निर्देश दिए गए हैं । इनके अनुसार हर क्लास 40 मिनट की होगी. कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं के लिए यह टाइम 50 मिनट होगा ।
साल में दो बार परीक्षाएं
हालांकि विद्यालयों में अभी भी साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित होती है । लेकिन नए करिकुलम फ्रेमवर्क के अंदर इन परीक्षाओं को सेमेस्टर उनके अनुसार डिवाइड करने की सिफारिश कर दी गई है । यानी हर छह महीने बाद परीक्षाएं होंगी । एनसीएफ ने 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किया है। दोनों क्लास में 8 विषय तो पढ़ने होंगे लेकिन इनकी परीक्षाएं एक साथ नहीं होगीं। अब साल में दो बार परीक्षाएं होगीं। पहले सेमेस्टर में 4 विषय और दूसरे में बचे हुए 4 विषयों के पेपर देने होंगे। हालांकि इस पर अभी जनता की राय मांगी गई है ।
प्री प्राइमरी व प्राइमरी लेवल पर क्या बदलाव होंगे?
प्री प्राइमरी लेवल को फाउंडेशनल लेवल भी कहा जाता है। इसमें 3 से 8 साल तक की उम्र के बच्चे होते हैं। नए एजुकेशन सिस्टम में इन बच्चों को पढ़ाने के लिए खेल आधारित शिक्षा पर जोर दिया जाएगा।
- प्रीस्कूल से दूसरी क्लास तक इसी मेथड पर पढ़ाई होगी. बच्चों को पढ़ाने के लिए खिलौने, पजल जैसी चीजों पर फोकस किया जाएगा।
- तीसरी, चौथी और पांचवीं क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए भाषा और मैथ्स की किताबों का इस्तेमाल किया जाएगा. यहां भी एक्टिविटी और खोज आधारित शिक्षा पर जोर रहेगा।
- मिडिल स्टेज यानी छठी, सातवीं और आठवीं क्लास के बच्चों के सिलेबस में सोशल साइंस को भी शामिल किया जाएगा।
सेकेंडरी स्टेज पर क्या बदलाव किए जाएंगे? (9वीं-10वीं)
9वीं और 10वीं क्लास के स्टूडेंट्स को 8 करिकुलर एरिया के तहत 16 कोर्सेज की पढ़ाई करनी होगी। सुझाए गए करिकुलर एरिया में ह्यूमैनिटीज (जिसमें भाषाएं शामिल हैं), मैथ्स और कम्प्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट्स, सोशल साइंस, साइंस और इंटर-डिसिप्लिनरी (Inter Disciplinary) शामिल हैं। 10वीं के फाइनल सर्टिफिकेट के लिए दो सालों का प्रदर्शन देखा जाएगा।
अब 12वीं नहीं 9वीं से भविष्य बनाने में मिलेगी मदद
अब छात्र को कक्षा नौवीं से अपने भविष्य को लेकर तैयारी शुरू करनी होगी। उसे सभी विषयों के बारे में पढ़ाया जाएगा, ताकि वह 12वीं के बाद किस क्षेत्र में भविष्य बनाना है,उसमें उलझन न हो। मसौदे में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं को सेकेंडरी स्टेज में रखते हुए दो भागों में बांटा गया है। इसमें कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। कक्षा 10वीं को पूरा करने के लिए छात्रों को कक्षा नौंवी और 10वीं के दो वर्षों में कुल आठ-आठ पाठ्यचर्या क्षेत्रों में से प्रत्येक से दो आवश्यक पाठ्यक्रम पूरे करने होंगे। उदाहरण के तौर पर अभी 10वीं बोर्ड परीक्षा के छात्रों को कम से कम पांच विषयों की पढ़ाई करनी होती है, लेकिन नई सिफारिश में आठ विषयों को अनिवार्य किया जा सकता है।
अपनी मर्जी से विषय चुनने की आजादी
11 वीं में भविष्य के आधार पर तीन क्षेत्रों में से एक चुनने का विकल्प – मेडिकल, इंजीनियरिंग क्षेत्र में भविष्य बनाने को लेकर अक्सर छात्र तनाव में रहते हैं। इसी कारण महंगी कोचिंग के बाद भी छात्र असफलता के डर से अपना जीवन समाप्त कर देते हैं। इन्हीं दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए नौंवी कक्षा से 12 वीं कक्षा के कोर्स को इस तरह से डिजाइन करने की सिफारिश की गयी है, दसवीं कक्षा तक विभिन्न विषयों को पढ़ने और विस्तार से जानने के बाद उसे 11वीं कक्षा में तीन विकल्प मिलेंगे। पहले विकल्प में ह्यूमैनइटीज, सोशल साइंस, साइंस, मैथमेटिक्स और कंप्यूटिंग विषय होंगे। दूसरे में इंटरडिसिप्लिनरी एरिया ऐसे बच्चों के लिए स्नातक के बाद रिसर्च एरिया में भविष्य बनाना चाहते होंगे। तीसरे वर्ग में ऑटर्स, स्पोर्ट्स और वोकेशनल को चुनने का विकल्प मिलेगा।
- Category 1 : Humanities or Social Science or Science or Mathematics and Computing
- Category 2 : Inter-disciplinary Areas
- Category 3 : Arts or Sports or Vocational Education
हर शनिवार हाफ-डे
अभी तक विद्यालयों में हर महीने के दूसरे शनिवार को Second Saturday के रूप में Holiday के तौर पर जारी किया जाता है । लेकिन नए NCF के अंतर्गत यह सुझाव दिया गया है कि अब एक हफ्ते में केवल 5 दिन और एक आधा दिन यानी 5.5 Working days होने चाहिए । इसके मुताबिक Monday से Friday तक स्कूल पूरे दिन लगेंगे. जबकि Saturday को half day पढ़ाई होगी इसके बाद छुट्टी हो जाएगी । ऐसा इसलिए करा जा रहा है ताकि हर हफ्ते हर विद्यालय में 29 घंटे पढ़ाई हो सके ।
इस ड्राफ्ट के मुताबिक एक स्कूल 1 साल में लगभग 180 दिन पढ़ाई के लिए खुलता है । हालांकि 365 दिन में से विद्यालय कुल 220 दिन खुलते हैं. लेकिन विराट के अंदर सभी प्रकार के अतिरिक्त दिनों को निकाल कर केवल पढ़ाई के दिनों को गिना गया है जो कि 180 बन रहे हैं ।
क्लासरूम की भी बदलेगी सूरत –
मौजूदा दौर में बच्चे क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड और टीचर की तरफ देखते हुए बैठते हैं । एनसीएफ ड्राफ्ट 2023 में सुझाव दिया गया है कि बच्चों को सेमी-सर्कल यानी आधी गोलाई में बिठाना चाहिए । उन्हें ग्रुप में बिठाने की व्यवस्था भी की जा सकती है । इसमें यह भी कहा गया है कि स्मार्ट स्टूडेंट को फ्रंट सीट देने की प्रथा पर भी रोक लगनी चाहिए । शिक्षकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि सभी स्टूडेंट्स पढ़ाई में बराबरी से हिस्सा लें ।
क्रिएटिव होंगी स्कूल असेंबली –
NCF ड्राफ्ट में स्कूल असेंबली के तरीके में बदलाव की बात भी है । इसके मुताबिक, अगर इस समय का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है । स्कूल असेंबली को स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी और क्रिएटिव होना चाहिए । वहां उनका समय बर्बाद नहीं होना चाहिए । असेंबली में कोशिश की जानी चाहिए कि बच्चों को कुछ नया सीखने का मौका मिले और उनका डर खत्म कर कॉन्फिडेंस बढ़ाया जा सके ।
स्कूल ड्रेस और फर्नीचर में भी होगा बदलाव –
एनसीएफ में कहा गया है कि स्कूल यूनिफॉर्म के रंग और डिजाइन को चुनते वक्त कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए । स्कूल अपने हिसाब से पारंपरिक, मॉडर्न या जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म चुन सकते हैं. कई स्कूलों में अभी भी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं । बच्चों को चादर पर बिठाने और टीचर के कुर्सी पर बैठने के रिवाज को भी खत्म किया जाएगा । इसके साथ ही प्रिंसिपल को किसी खास कप में चाय सर्व करने की परंपरा भी बदली जाएगी ।
संस्कृति से जुड़ेंगे बच्चे –
एनसीएफ में स्पष्ट कहा गया है कि स्टूडेंट्स को भारत के गौरवशाली अतीत और इसकी समृद्ध विविधता, भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से अवगत करवाना होगा । इससे बच्चे अपने देश के इतिहास, कला और संस्कृति से जुड़ाव महसूस कर सकेंगे । स्टूडेंट्स को भारत के प्राचीन, मध्यकालीन और मॉडर्न पीरियड के लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए । एनसीएफ में तीन भाषाओं की नीति पर भी जोर दिया गया है ।
इस प्रकार शिक्षा मंत्रालय और NCERT द्वारा तैयार किए गए NEW NCF के अंतर्गत बहुत सारे नए बदलाव की मांग की गई है। जैसे ही सभी विशेषज्ञों द्वारा इस पर अपनी राय दे दी जाएगी । मंत्रालय इस ड्राफ्ट को फाइनल करके लागू कर देगा। फिर भविष्य में इसी के आधार पर विद्यालय में शिक्षा दी जाएगी ।
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एस. एस. पटेल , जो कि वर्तमान में BRCC के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .