Green card : एक या दो संतान के बाद नसबंदी कराने उसकी कागजी औपचारिकता व आपरेशन होने के बाद लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा यह ग्रीन कार्ड जारी किया जाता था । जिसके बाद उसे विभाग के समक्ष प्रस्तुत करने पर क्रमशः 1 व 2 वेतनवृद्धि दी जाती थी । आखिर इसे बंद क्यों किया गया जानते हैं ।
पोस्ट विवरण
Green card बंद क्यों किया गया
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में ग्रीन कार्ड योजना को बंद करने का आदेश 2013-14 में जारी किया गया था। निर्देश में कहा गया था कि ग्रीन कार्डधारियों के लिए सरकार ने जो लाभ तय किए थे अब नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव द्वारा सभी विभाग के प्रमुख और कलेक्टर व जिला पंचायत के सीईओ को पत्र जारी कर सुविधाएं समाप्त करने को लेकर आदेश जारी जारी किया गया था
कब शुरू हुई थी योजना
यह योजना अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के द्वारा 26 जनवरी 1985 को शुरू की गई थी। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह योजना पूर्व की तरह चलती रही। इस योजना को लागू करने के पीछे सरकार की मंशा जनसंख्या में हो रही अनियमित वृद्धि पर नियंत्रण करना था। 80 के दशक में जनसंख्या में एकाएक भारी वृद्धि होने के कारण सरकार की चिंता बढ़ गई थी।
क्या थी योजना शुरू करने की वजह
योजना शुरू समय निम्न चीजों की वजह से हुआ-
- योजना में दो या दो से कम बच्चे होने के बाद नसबंदी कराने वाले परिवार को यह ग्रीन कार्ड दिया जाएगा।
- नसबंदी कराने वाले व्यक्ति को ग्रीन कार्ड होने के कारण शासकीय सेवा के लिए उम्र में दो वर्ष की छूट दी जाएगी।
- साथ ही इंटरव्यू के दौरान उन्हें 5 प्रतिशत अंक की सुविधा भी दी जाएगी। इसका लाभ भी काफी लोगों को प्राप्त हुआ।
- ऐसे लोग जिनकी आयु शासकीय सेवा के लिए निर्धारित आयु से अधिक हो गई थी या इसके करीब थी, उन्हें दो वर्ष की छूट दिए जाने के कारण आवेदन करने और नौकरी प्राप्त करने में भी लाभ मिला है।
- वहीं अनेक लोग साक्षात्कार के दौरान 5 प्रतिशत अंक की सुविधा मिलने पर प्रावीण्य सूची में ऊपर आने पर शासकीय नौकरी के लिए चयनित भी हुए है।
- 30 साल तक चली योजना का लाभ ग्रीनकार्डधारियों को मिलता रहा है।
- काफी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्होंने इस योजना का लाभ उठाने के लिए ही दो बच्चे या कम बच्चे होने पर ही नसबंदी करा ली।
- आज वे शासकीय सेवक के तौर पर कार्य कर आर्थिक रूप से भी सक्षम हो गए है।
ऐसे मिलता था कार्ड
ग्रीन कार्ड जारी करने का दायित्व लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को दिया गया था। कोई भी व्यक्ति जब दो संतान या उससे कम में नसबंदी कराने के लिए अस्पताल पहुंचता था तब यह कार्रवाई पूरी करने के बाद और तसल्ली होने के पश्चात ही स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ग्रीन कार्ड जारी करता था। इसकी विभाग के द्वारा सूची भी तैयार कर राज्य कार्यालय को भेजी जाती थी ताकि जरूरत होने पर इस सूची से सत्यापन की कार्रवाई की जा सके।
राज्य बनने के बाद लाभ देने में नहीं दिखी रुचि
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ही ग्रीन कार्डधारियों को शासकीय सेवा में छूट देने के लिए जो प्रावधान रखा गया था, उसका लाभ नहीं मिल पाया। इस योजना को लेकर सरकार में कोई स्पष्ट राय नहीं रही है। इसे समाप्त करने की तैयारी तो पहले से ही कर ली गई थी। इसी वजह से योजना के तहत लाभ देने में कभी रूचि नहीं दिखी। जिसके चलते सरकार ने घोषित तौर पर योजना बंद करने का फरमान जारी किया था।
योजना सफल नहीं रही
जानकारों के मुताबिक यह योजना मध्यप्रदेश सरकार के दौरान भी लंबे समय तक सफल नजर नहीं आई। योजना की घोषणा करते समय कुछ समय तक तो इसका असर दिखा। लोगों ने योजना के प्रभाव में आकर नसबंदी भी कराई। लेकिन बाद में ग्रीनकार्डधारियों को भी सुविधा का लाभ देने में कभी सरकारी विभागों ने तत्परता व गंभीरता नहीं दिखाई। इसी वजह से योजना लंबे समय तक सफल नहीं हो पाई।
योजना को सरकार ने किया बंद
मध्यप्रदेश सरकार ने 1985 में यह योजना शुरू की थी। जनसंख्या में नियंत्रण करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद इसका उचित परिणाम नहीं दिखा जिसके चलते राज्य में ग्रीन कार्ड योजना को समाप्त करने का आदेश जारी किया गया था।
Follow us – Edudepart.com
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .