स्वतंत्रता दिवस पर आधारित 10 चर्चित कविताएँ

यहाँ स्वतंत्रता दिवस पर आधारित 10 चर्चित कविताएँ हैं, जो स्कूल के छात्रों के साहित्यिक कार्यक्रम के लिए उपयुक्त हैं:

स्वतंत्रता दिवस पर आधारित 10 चर्चित कविताएँ

स्कूल के बच्चों के लिए देशभक्ति गीत

1. देश पर आक्रमण / हरिवंशराय बच्चन

इस कविता में: स्वतंत्रता की महत्वता और एक स्वतंत्र देश की खोज की बात की गई है। यह कविता देश की स्वतंत्रता के प्रति एक भावनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।

कटक संवार शत्रु देश पर चढ़ा,
घमंड, घोर शोर से भरा बढ़ा,
स्वतंत्र देश, उठ इसे सबक सिखा,
बहुत हुई न देर अब लगा जरा।

समस्त शक्ति युद्ध में उड़ेल दे,
ग़नीम को पहाड़ पार ठेल दे,
पहाड़ पंथ रोकता, ढकेल दे,
बने नवीन शौर्य की परंपरा।

न दे, न दे, न दे स्वदेश की भुईं,
जिसे कि नोक से दबा सके सुई,
स्वतंत्र देश की प्रथम परख हुई,
उतर खरा, उतर खरा, उतर खरा।

2. “उठ जाग मुसाफ़िर” – वंशीधर शुक्ल

इस कविता में: स्वतंत्रता की महत्वता और उसके लिए किए गए संघर्ष की बात की गई है। यह कविता स्वतंत्रता की भावना को जागरूक करती है।

वंशीधर शुक्ल

उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा
पल अपने प्रभु से ध्यान लगा,
यह प्रीति करन की रीति नहीं
जग जागत है, तू सोवत है।
तू जाग जगत की देख उड़न,
जग जागा तेरे बंद नयन,
यह जन जाग्रति की बेला है,
तू नींद की गठरी ढोवत है।
लड़ना वीरों का पेशा है,
इसमें कुछ भी न अंदेशा है;
तू किस ग़फ़लत में पड़ा-पड़ा
आलस में जीवन खोवत है।
है आज़ादी ही लक्ष्य तेरा,
उसमें अब देर लगा न ज़रा;
जब सारी दुनिया जाग उठी
तू सिर खुजलावत रोवत है।
उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई
अब रैन कहाँ जो सोवत है।

3. “भारत माता” – सुमित्रानंदन पंत

इस कविता में: भारत माता के प्रति अपने भाव प्रकट किया गया है।

भारतमाता
ग्रामवासिनी।
खेतों में फैला है श्यामल
धूल भरा मैला सा आँचल,
गंगा यमुना में आँसू जल,
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी।
दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग युग के तम से विषण्णा मन,
वह अपने घर में
प्रवासिनी।
तीस कोटि संतान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्र जन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक
तरु तल निवासिनी!
स्वर्ण शस्य पर-पदतल लुंठित,
धरती सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रंदन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित
शरदेंदु हासिनी।
चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,
आनन श्री छाया शशि उपमित,
ज्ञान मूढ़
गीता प्रकाशिनी!
सफल आज उसका तप संयम,
पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम,
हरती जन मन भय, भव तम भ्रम,
जग जननी
जीवन विकासिनी!

4. “पुष्प की अभिलाषा” – माखनलाल चतुर्वेदी

इस कविता में: यह कविता स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करती है।

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ।
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ॥

चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ॥

मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ में देना तुम फेंक॥
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने।जिस पथ जावें वीर अनेक॥

5. “कलम, आज उनकी जय बोल” – -रामधारी सिंह ‘दिनकर’

इस कविता में:


रामधारी सिंह दिनकर की देशभक्ति कविताएं समाज में राष्ट्रवाद का बीज बोन का सफल प्रयास करती हैं। इस श्रृंखला में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता “कलम, आज उनकी जय बोल” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

-रामधारी सिंह ‘दिनकर’

6. “झाँसी की रानी” –सुभद्राकुमारी चौहान

इस कविता में: रानी लक्ष्मीबाई के वीरता और संघर्ष को बयां किया गया है। यह कविता स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी को दर्शाती है।

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
कानपूर के नाना की मुँहबोली बहन ‘छबीली’ थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ
उसको याद ज़बानी थीं।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नक़ली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना ख़ूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी
भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई ख़ुशियाँ छाईं झाँसी में,
सुभट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आई झाँसी में,
चित्रा ने अर्जुन को पाया,
शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥

7. “सरफ़रोशी की तमन्ना” – राम प्रसाद बिस्मिल

इस कविता में: भारत के प्रति बलिदान होने की प्रबल भावना को व्यक्त किया गया है।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है

8. “भारती वन्दना” – कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

इस कविता में: भारत माता के भौगोलिक स्वरुप को चित्रित किया गया है।

भारति, जय, विजय करे
कनक-शस्य-कमल धरे!

लंका पदतल-शतदल
गर्जितोर्मि सागर-जल
धोता शुचि चरण-युगल
स्तव कर बहु अर्थ भरे!

तरु-तण वन-लता-वसन
अंचल में खचित सुमन
गंगा ज्योतिर्जल-कण
धवल-धार हार लगे!

मुकुट शुभ्र हिम-तुषार
प्राण प्रणव ओंकार
ध्वनित दिशाएँ उदार
शतमुख-शतरव-मुखरे!

9. “हम सब भारतीय हैं”सुदर्शन फकीर

इस कविता में: भारतीय संस्कृति और एकता को सशक्त बनाते हुए, हम सब को एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया है।

हम सब भारतीय है, हम सब भारतीय हैं ।
अपनी मंजिल एक है, हा हा हा एक है, हो हो हा एक है,
हम सब भारतीय है ।
कश्मीर की धरती रानी है, सरताज हिमलय है,
सदियों से हमने इसको अपने खून से पाला है ।
देश की रक्षा के खातिर हम शमशीर उठा लेंगे ।
हाँ शमशीर उठा लेंगे ।
बिखरे – बिखरे तारे हैं हम, लेकिन झिलमिल एक है,
हा हा हा हा एक है, हम सब भारतीय है ।
मंदिर गुरुद्वारे भी हैं यहाँ, और मस्जिद भी है जहाँ,
जिरजा का घडियाल कही?ं मुल्ला की कहीं है अजा
एक ही अपना राम है, एक ही अल्ला ताला है,
एक ही अल्ला ताला है ।
रंग बिरंगे दीपक हैं हम, लेकिन महफिल एक हैं,
हा हा हा एक है, हो हो हो एक है ।
हम सब हिन्दी हैं हम सब हिन्दी हैं ।

10. “वह देश कौन-सा है?”रामनरेश त्रिपाठी

इस कविता में: यह कविता देशभक्ति और देश के महान सपूतों प्रति श्रद्धा को प्रकट करती है।


मन-मोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है।
सुख-स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है?
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है?
जिसके बड़े रसीले फल, कंद, नाज, मेवे।
सब अंग में सजे हैं, वह देश कौन-सा है?
मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं।
आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है?
जिसकी अनंत धन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है?
सबसे प्रथम जगत में जो सभ्य था यशस्वी।
जगदीश का दुलारा वह देश कौन-सा है?
पृथ्वी-निवासियों को जिसने प्रथम जगाया।
शिक्षित किया सुधारा वह देश कौन-सा है?
जिसमें हुए अलौकिक तत्त्वज्ञ ब्रह्मज्ञानी।
गौतम, कपिल, पतंजल वह देश कौन-सा है?
छोड़ा स्वराज तृणवत् आदेश से पिता के।
वह राम थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
नि:स्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई भले जहाँ थे।
लक्ष्मण-भरत सरीखे वह देश कौन-सा है?
देवी पतिव्रता श्री सीता जहाँ हुई थीं।
माता पिता जगत का वह देश कौन-सा है?
आदर्श नर जहाँ पर थे बालब्रह्मचारी।
हनुमान, भीष्म, शंकर, वह देश कौन-सा है?
विद्वान, वीर, योगी, गुरु राजनीतिकों के।
श्रीकृष्ण थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
विजयी बली जहाँ के बेजोड़ शूरमा थे।
गुरु द्रोण, भीम, अर्जुन, वह देश कौन-सा है?
जिसमें दधीचि दानी हरिचंद कर्ण से थे।
सब लोक का हितैषी वह देश कौन-सा है?
वाल्मीकि, व्यास ऐसे जिसमें महान कवि थे। श्रीकालिदास वाला वह देश कौन-सा है?
निष्पक्ष न्यायकारी जन जो पढ़े लिखे हैं।
वे सब बता सकेंगे वह देश कौन-सा है?
छत्तीस कोटि भाई सेवक सपूत जिसके।
भारत सिवाय दूजा वह देश कौन-सा है?

ये कविताएँ स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक सारगर्भित और प्रेरणादायक प्रस्तुति के लिए उपयुक्त हैं, और छात्रों को अपने देश की स्वतंत्रता और उसकी महत्वता के बारे में जागरूक करने में मदद करेंगी।

1 thought on “स्वतंत्रता दिवस पर आधारित 10 चर्चित कविताएँ”

Leave a Comment