मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान – गणना, पात्रता और महत्व

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान (Death cum Retirement Gratuity) शासकीय सेवकों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ है। यह एकमुश्त राशि है जो सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने या सेवानिवृत्त होने पर प्रदान की जाती है। यह लाभ कर्मचारियों और उनके परिवारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान की गणना, पात्रता और नामांकन के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान क्या है?

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान एक वित्तीय लाभ है जो शासकीय सेवकों को उनकी सेवा के दौरान प्रदान किया जाता है। यह राशि कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने या सेवाकाल में मृत्यु होने की स्थिति में देय होती है। यह लाभ कर्मचारी के परिवार को उसकी अनुपस्थिति में आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करता है।  

उपादान की गणना कैसे करें

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान की गणना कर्मचारी की अंतिम परिलब्धियों और सेवा की अवधि पर निर्भर करती है।  

  • उपादान की गणना के लिए, अंतिम वेतन, महंगाई वेतन और स्वीकार्य महंगाई भत्ता को शामिल किया जाता है।  
  • यदि शासकीय सेवक 33 वर्ष या उससे अधिक की अर्हकारी सेवा पूरी करता है, तो उपादान की राशि साढ़े सोलह महीने के वेतन या अधिकतम 3.50 लाख रुपये, जो भी कम हो, तक होती है।  
  • सेवा में रहते हुए यदि कर्मचारी की 5 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण होने के बाद मृत्यु हो जाती है, तो कम से कम 12 महीने की परिलब्धियों के बराबर मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान देय होता है।  

उपादान गणना का सूत्र  

उपादान = (सेवा के छःमाही टुकड़ों की संख्या / 4) x अंतिम परिलब्धियां

उदाहरण:

मान लीजिए, एक कर्मचारी का सेवानिवृत्ति पर मूल वेतन 6000 रुपये है और उसकी अर्हकारी सेवा 34 वर्ष है।

गणना: मूल वेतन (6000) + महंगाई वेतन (3000) + महंगाई भत्ता (1800) = 10800 रुपये

उपादान = (66 / 4) x 10800 = 1,78,200 रुपये

(यहाँ, अर्हकारी सेवा 33 वर्ष से अधिक होने पर अधिकतम 66 छःमाही ही गणना में ली जाएगी)  

पात्रता और शर्तें

  • मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान के लिए कम से कम 5 वर्ष की अर्हतादायी सेवा आवश्यक है।  
  • यह लाभ सेवानिवृत्ति या सेवाकाल के दौरान मृत्यु, दोनों ही स्थितियों में देय होता है।  
  • यदि कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाती है, तो यह उपादान वैध नामांकित व्यक्ति को दिया जाता है। यदि कोई नामांकन नहीं है, तो यह परिवार के सदस्यों को समान अनुपात में दिया जाता है।  

नामांकन का महत्व

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान के लिए नामांकन करना बहुत महत्वपूर्ण है। नामांकन करने से यह सुनिश्चित होता है कि आपकी मृत्यु की स्थिति में, आपके द्वारा चुने गए व्यक्ति या व्यक्तियों को यह लाभ आसानी से मिल सके। यदि कोई नामांकन नहीं है, तो कानूनी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, जिससे भुगतान में देरी हो सकती है और परिवार के सदस्यों को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।  

निष्कर्ष

मृत्यु सह सेवानिवृत्ति उपादान शासकीय सेवकों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा है। इसकी गणना, पात्रता शर्तों और नामांकन प्रक्रिया को समझना कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए आवश्यक है। यह लाभ न केवल सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सहायता प्रदान करता है, बल्कि सेवाकाल में मृत्यु होने पर परिवार को भी वित्तीय सुरक्षा देता है। इसलिए, सभी शासकीय सेवकों को इस लाभ के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने सही ढंग से नामांकन किया है।

Leave a Comment

You cannot copy content of this page