Charcha Patra 2022 : दिसम्बर माह के चर्चा पत्र में क्या है जानें

charcha patra : हर माह में शाला में विभिन्न गतिविधियाँ होते रहते हैं । तो उन सब कार्यक्रमों, गतिविधियों व शाला संबंधी योजनाओं को चर्चा पत्र पर जगह दिया जाता है | Edudepart.com द्वारा चर्चा पत्र का विश्लेष्ण कर आसान तरीके से उपलब्ध कराया जा रहा है । जिससे कि विभाग के हर गतिविधि से हर कोई अपडेट रहें । तो देखें और अपने आपको Update रखें।

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Charcha Patra

चर्चा पत्र दिसम्बर-2022 में क्या है खास ?

[Charcha Patra]

चर्चा-पत्र Charcha Patra
चर्चा-पत्र Charcha Patra

एजेंडा एक:- कक्षा में रचनात्मक लेखन का महत्व एवं प्रक्रियाएं ।

Charcha Patra : भाषा शिक्षण की कक्षागत प्रक्रिया में पढ़ना और लिखना साथ-साथ चलने वाली प्रक्रियाएं हैं। लिखने को पढ़ने के साथ ही जोड़कर देखना होगा। आमतौर पर लिखने को अक्षरों और मात्राओं की नकल ही समझा जाता है । लेखन प्रक्रिया की शुरुआत से ही कैसे रचनात्मक लेखन की ओर बढ़ा जाए यह समझना होगा। इस प्रक्रिया को पाठ्य सामग्री के साथ जोड़कर कार्य किया जाए तो बच्चा धीरे-धीरे रचनात्मक लेखन कौशल में माहिर होता है और उसकी रचनात्मकता भी बढ़ती जाती है। [और अधिक जानें ]

एजेंडा दो:- सीखने के नुकसान की भरपाई के लिए गणित विषय पर कक्षा में कार्य कैसे करें ?

  • बच्चों को पाठ सीखने के दौरान आ रही कठिनाइयों पर चर्चा ।
  • शिक्षकों द्वारा उन कठिनाइयों को दूर करने के लिए अपनाए गए कारगर तरीके।
  • पाठ योजना निर्माण करते समय शिक्षक और संकुल समन्वयक सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा ।
  • कक्षाओं में बच्चों के सीखने का स्तर पहले की तुलना में कम हैपर चर्चा ।
  • इन सभी कक्षाओं के लिए पाठ योजना कैसे बनाएं उसके कुछ उदाहरण लिंक में दिए गए हैं। [और अधिक जानें ]

उपरोक्त पांच सामग्री निर्माण के लिए शिक्षकों से उनके आलेख लिए जाने हैं इस हेतु गूगल ड्राइव उपलब्ध करवाया जा रहा है| गूगल ड्राइव के माध्यम से शिक्षकों से प्रत्येक सामग्री के लिए आइडिया एवं आलेख लेते हुए उसे संकलित कर इन सामग्रियों को अंतिम रूप देकर फील्ड ट्रायल कर मुद्रण किया जाना है |

एजेंडा चारः सुघ्घर पढ़वईया

Charcha Patra : राज्य के स्कूलों में उच्च स्तर की गुणवत्ता प्राप्ति की दिशा में प्रयास एवं प्रेरित किए जाने के उद्देश्य से एक नई योजना सुघ्घर पढ़वईया लागू की जा रही है | इस योजना के संबंध में प्रमुख विवरण इस प्रकार हैं –

  • यह पूर्णतः स्वैच्छिक योजना है और इसमें शामिल होने के लिए कोई बाध्यता नहीं है |
  • वे स्कूल जो यह मानते हैं कि उन्होंने अपनी मेहनत से बच्चों की उपलब्धि में सुधार किया है, और आगे भी अपन स्कूल को बच्चों की उपलब्धि के मामले में और बेहतर करते रहेंगे, वे इन योजना में शामिल हो सकते हैं ।
  • इस योजना में स्कूलों का मुकाबला अन्य स्कूलों से न होकर स्वयं अपने आपसे होगा ताकि वे अपने पूर्व प्रदर्शन से और बेहतर कर बच्चों की उपलब्धि में सुधार ला सके
  • स्कूलों द्वारा चुनौती देने पर उनके स्कूल में बच्चों के आकलन हेतु बाहर से एक टीम आएगी जो दो से तीन दिनों तक उस स्कूल के प्रत्येक बच्चे का आकलन कर चुनौती की सत्यता का परीक्षण कर सकेगी ।
  • विभिन्न लर्निंग आउटकम के आधार पर पूछे जाने हेतु पर्याप्त संख्या में प्रश्न तैयार किए जाएँगे और मुख्यतः टेलीप्रेक्टीज एवं निक्लर एप्प के माध्यम से पूछे जाएंगे पोर्टल में चुनौती देने वाले स्कूलों को अपने क्षमता विकास हेतु ऑन डिमांड प्रशिक्षण की मांग करने की छूट रहेगी |
  • इसके आधार पर उन्हें उनकी मांग अनुसार प्रत्यक्ष अथवा आनलाइन प्रशिक्षण दिया जा सकेगा ।
  • विभिन्न लर्निंग आउटकम को कैसे बच्चों में अच्छे से हासिल किया जाना है, इसके लिए भी शिक्षकों द्वारा तैयार विभिन्न संसाधनों को उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि सीखने-सिखाने के बेहतर तरीकों की पहचान की जा सके ।
  • प्रत्येक दक्षता पर सभी बच्चों को अच्छे से जवाब देना आवश्यक होगा तभी उन्हें उस दक्षता पर स्कोर मिल सकेंगे ।
  • इस योजना के अंतर्गत स्कोर किसी शिक्षक या बच्चों को नहीं मिलेगा बल्कि स्कूल के नाम से स्कोर मिल सकेंगे लेकिन पुरस्कार देते समय स्कूल के सभी शिक्षक पुरस्कार के हकदार होंगे क्योंकि इस योजना में पुरस्कार एक टीम के रूप में सभी विषयों में कार्य करने पर ही मिलना संभव हो सकेगा
  • बच्चों की उपलब्धि के आधार पर पुरस्कार के रूप में प्लेटिनम, गोल्ड एवं सिल्वर कार्ड दिया जा सकेगा
  • अधिक से अधिक स्कूल अपने प्रत्येक बच्चे को नियमित उपस्थिति के साथ-साथ बढ़िया प्रदर्शन करने हेतु खूब मेहनत कर अपना आवेदन या चुनौती पोर्टल पर देवें | तो फिर तैयार हैं ना आप – सुघ्घर पढ़वईया बनने के लिए ?

सुघ्घर पढ़वईया उत्कृष्ट विद्यालयों के प्रमाणीकरण की योजना छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़

एजेंडा पांच: FLN के अंतर्गत डिप-स्टिक स्टडीज

  • प्राथमिक स्तर के कक्षा तीन से पांच के पचास बच्चों का असर टूल के आधार पर आकलन स्वयं किया जाएगा |
  • इसके लिए कम से कम दो से तीन दिनों का समय लेकर उससे प्राप्त डाटा के आधार पर सभी चयनित संकुल समन्वयक अपने अपने अनुभव एवं रिपोर्ट लिखते हुए स्थिति में सुधार के लिए प्रयास करना प्रारंभ करेंगे |
  • अपने रिपोर्ट को वे पूरे विकासखंड में संकुल समन्वयकों को साझा करते हुए उन्हें भी स्थिति में सुधार के लिए कार्य प्रारंभ करने हेतु प्रेरित करेंगे |
  • उपरोक्त कार्य संपन्न होने पर संकुल समन्वयक को रूपए एक हजार जारी किए जाएंगे |

Charcha Patra : अंग्रेजी में भाषाई कौशल विकसित करना: प्रत्येक विकासखंड में अंग्रेजी में कार्य कर रहे दो विशेषज्ञ पी एलसी को इस कार्य हेतु चयन करते हुए उन्हें तीन हजार रूपए उपलब्ध करवाए जाएँगे इस बजट से उन्हें कम कम दस प्राथमिक कक्षाओं में अंग्रेजी पढ़ने एवं बोलने की दिशा में बच्चों के साथ कार्य करते हुए किए गए सुधार की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी | इन दस शालाओं में कार्य प्रारंभ करते समय बच्चों की स्थिति संबंधी डाटा आंकड़ों एवं वीडियो के रूप में एकत्र कर कार्य की समाप्ति पर भी इसी प्रकार से डाटा कार्य की प्रभाविता के साक्ष्य के रूप में एकत्र किया जाएगा | राज्य में तैयार अंग्रेजी के दस सप्ताह के पाठ्यक्रम को भी इसमें शामिल किया जा सकेगा | बच्चों से इस कार्यक्रम में खूब अभ्यास करवाया जाएगा और बेहतर परिणाम दिखाए जा सकेंगे |

वर्कशीट्स एवं अभ्यास के माध्यम से गणितीय कौशल का विकास: प्रत्येक विकासखंड में गणित में कार्य कर रहे दो विशेषज्ञ पी एलसी को इस कार्य हेतु चयन करते हुए उन्हें तीन हजार रूपए उपलब्ध करवाए जाएँगे इस बजट से उन्हें कम से कम दस प्राथमिक कक्षाओं में गणित के मूलभूत कौशलों में अभ्यास हेतु वर्कशीट्स एवं अभ्यास हेतु गतिविधियाँ उपलब्ध करवाई जाएँगी बच्चों के साथ कार्य करते हुए किए गए सुधार की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी | इन दस शालाओं में कार्य प्रारंभ करते समय बच्चों की स्थिति संबंधी डाटा आंकड़ों एवं वीडियो के रूप में एकत्र कर कार्य की समाप्ति पर भी इसी प्रकार से डाटा कार्य की प्रभाविता के साक्ष्य के रूप में एकत्र किया जाएगा शाला अनुदान की राशि से और अधिक बच्चों के साथ ये भ्यास कार्य करवाए जा सकेंगे | शालाओं में बच्चों को प्रदत्त गणित के अभ्यास पुस्तिकाओं का उपयोग भी इस कार्य हेतु किया जा सकेगा | इस कार्यक्रम में खूब अभ्यास करवाया जाएगा और बेहतर परिणाम दिखाए जा सकेंगे |

शालाओं का सामाजिक अंकेक्षण : ऐसी शालाएं जो अपने बच्चों के सभी मूलभूत कौशलों में दक्ष होने का दावा कर अपने यहाँ सामाजिक अंकेक्षण करवाना चाहते हों, ऐसी एक प्राथमिक एवं एक उच्च प्राथमिक शाला का चयन कर उनकी शाला में सामजिक अंकेक्षण के लिए एक टीम बनाकर सामाजिक अंकेक्षण के लिए एक प्रभावी टूल बनाकर अवकाश के किसी एक दिन का निर्धारण कर शाला में बच्चों के दक्षता एवं गुणवत्ता का सामाजिक अंकेक्षण कार्य समुदाय की उपस्थिति में आयोजित करें | इस अनुभव के आधार पर आप अपने विकासखंड के अन्य शालाओं में भी सामाजिक अंकेक्षण कर स्थिति में सुधार हेतु दबाव बना सकते हैं पूरे अनुभव का दस्तावेजीकरण करवाएं |

उपरोक्त सभी कार्य माह दिसंबर में संपन्न कर रिपोर्ट एकत्र कर जिले के माध्यम से राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा जाना है | अतः इच्छुक साथी इस कार्यक्रम से जुड़कर डिप-स्टिक स्टडी में अपना योगदान देवें

एजेंडा छह: FLN-TLM और लर्निंग आउटकम

Charcha Patra : राज्य में इस वर्ष राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के अंतर्गत FLN – TLM मेले का आयोजन कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम के अंतर्गत किए जाने हेतु प्रत्येक विकासखंड को रुपए 30 हजार का बजट उपलब्ध करवाया गया | सभी विकासखंडों में इन मेलों का आयोजन करते हुए जिला स्तर पर भी TLM मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में बहुत ही रोचक एवं आकर्षक सहायक सामग्री शिक्षकों द्वारा बनाई जा रही है और अभी जिले स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है | जिले एवं विकासखंड स्तर पर ये सभी मेले यथाशीघ्र संपन्न करवाया जाना सुनिश्चित करें इन मेलों के आयोजन के संबंध में कुछ फीडबैक इस प्रकार है-

इन प्रतियोगिताओं में तैयार हो रही सामग्री में एक प्रमुख कमी उनका लर्निंग आउटकम के साथ शिक्षकों द्वारा मिलान नही किया जा सकना है | शिक्षकों द्वारा तैयार रोचक एवं आकर्षक टी एल एम को संबंधित लर्निंग आउटकम के साथ जोड़ा नही जा पा रहा है | ऐसे में उसके माध्यम से बच्चों के समक्ष इन टी एल एम का उपयोग कर उन्हें सीखने में सही दिशा में अपेक्षित सहयोग मिलने में मुश्किलें आयेंगी | इस समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित कार्यवाहियाँ सुनिश्चित करें-

  1. जिले स्तर पर प्रस्तुत की जा रही सामग्रियों को प्रतियोगिता के दौरान ही लर्निंग आउटकम के साथ जोड़ने की गतिविधि आयोजित किया जाना सुनिश्चित करें एवं सभी के साथ इसे साझा करें
  2. संकुल स्तर पर मासिक बैठकों के दौरान विभिन्न सहायक सामग्री पर चर्चा आयोजित करते हुए उन्हें शिक्षकों द्वारा अपनी अपनी शालाओं के लिए शाला अनुदान की राशि से बनाया जाना सुनिश्चित किया जाना होगा |
  3. संकुल स्तर पर इन सहायक सामग्री निर्माण संबंधी बैठकों में भी प्रत्येक सहायक सामग्री को विभिन्न लर्निंग आउटकम के साथ जोड़े जाने हेतु आवश्यक चर्चाएँ आयोजित करें |
  1. माह दिसंबर, 2022 में सभी शालाओं में शाला अनुदान की राशि से पर्याप्त संख्या में सहायक सामग्री निर्माण कर उनका कक्षाओं में नियमित उपयोग प्रारंभ हो जाना चाहिए |
  2. इस बार आप अपने स्कूल में प्रिंट-रिच वातावरण बनाना चाहें तो पहले चयनित चित्र या सामग्री के माध्यम से कौन सा या कौन कौन से लर्निंग आउटकम हासिल हो सकेंगे, इसका पता लगाते हुए बनाए गए डिजाइन के नीचे लर्निंग आउटकम का विवरण भी अवश्य लिखें ताकि उस पर समझ बन सके

मुझे पहचानो – [और अधिक जानें ]

एजेंडा सात: हमारी शिक्षा कैसी हो: बच्चों के विचार

Charcha Patra : बाल दिवस के दौरान हमने राज्य में शिक्षा व्यवस्था कैसी हो, इस पर बच्चों के विचार जानने का प्रयास किया | कुछ विचार – 19. हमारी पीढ़ी को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि जिससे उनके एक अलग व ओजस्वमय व्यक्ति का निर्माण हो शिक्षा सके और एक अच्छे नागरिक बन सके। 25. पर्याप्त शिक्षक होना चाहिए, हर विषय के लिए ।

  1. मल्टीमीडिया और प्रोजेक्टर का उपयोग किया जाना चाहिए।
  2. पढ़ाई में ज्यादा से ज्यादा प्रायोगिक कार्य होना चाहिए।
  3. हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे राष्ट्र निर्माण हो सके और बच्चे आत्मनिर्भर बन सके।
  4. Preparations for competitive exams at schools (Free coaching).
  5. जो बच्चे स्कूल नहीं जाते उसके मन में हम स्कूल आने के लिए प्रेरित करें, ऐसी शिक्षा हो ।
  6. प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शाला में भी खेलकूद के शिक्षक होने चाहिए ताकि वह बच्चे भी बेहतर प्रदर्शन कर सके।
  7. बच्चों पर परीक्षा का दबाव नहीं होना चाहिए और स्कूलों में कौशल विकास का कोर्स भी होना चाहिए।
  8. स्कूल में नीति शिक्षा, संस्कार शिक्षा तथा छत्तीसगढ़ी भाषा होना चाहिए।
  9. स्कूल में Games Period ज्यादा लंबा होना चाहिए ताकि बच्चे अच्छे से अभ्यास कर सकें।
  10. शिक्षक को विषय का ज्ञान होना चाहिए तभी उस विषय में पढ़ाने का मौका दें।
  11. सेल्फ डिफेंस के लिए स्कूल में किसी भी प्रकार का ट्रेनिंग दिया जाना चाहिए।
  12. सभी स्कूलों में कंप्यूटर लैब या कंप्यूटर सिखाने की सुविधा होनी चाहिए।
  13. सभी स्कूलों में English Speaking को महत्व देना चाहिए और बच्चों को English बोलने को प्रेरित करना चाहिए ।
  14. सभी स्कूलों में नैतिक शिक्षा एवं अनुशासन की विशेष कक्षा होनी चाहिए।
  15. In all school self defense classes are necessary for gilrs.
  16. आमचो स्कूल ने जोन बले विषय आसे हुनके आमचो स्थानीय भाषा बोली ने अच्छा ते सागा ।
  17. शिक्षा में जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, सभी बच्चों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
  18. स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ हमारे कामगारों की जानकारी मिलनी चाहिए ।
  19. रोजगार का नहीं अपितु सार्थक जीवन का आधार होना चाहिए ।
  20. जीवन का एकमात्र आधार शिक्षा है अतः हम सबको ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे हमारे भविष्य का निर्माण हो
  1. मेरे स्कूल में पढ़ाई बहुत अच्छी होती है, खेल में अच्छा मौका मिले तो हम और अच्छा कर सकते हैं।
  2. स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षाओं की अलग से कक्षा होनी चाहिए ।
  3. स्कूल में आवश्यक संसाधन उपलब्ध होना चाहिए।
  4. कोर्स का लिमिट तय पहले से नहीं करना चाहिए ।
  5. शिक्षा प्रायोगिक ज्ञान के आधार पर होना चाहिए ।
  6. हमें स्कूल में पूर्व बच्चों की आवश्यकता-मनोभाव को देखकर पढ़ाई होनी चाहिए।
  7. खेल खेल में शिक्षा होनी चाहिए ।
  8. देश में बढ़ते औद्योगीकरण के विषय में भी बच्चों को जागरूक करना चाहिए ताकि बच्चे आगे जाकर बेरोजगारी का सामना ना करना पड़े ।

एजेंडा आठ: जंगल का स्कूल

Charcha Patra : हुआ यूँ कि जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर सबको Certificate बांटेगा। [और अधिक जानें ]

शिक्षा – अपने बच्चों की क्षमताओं व प्रतिभा की कद्र करें चाहे वह पढ़ाई, खेल, नाच, गाने, कला, अभिनय, व्यापार, खेती, बागवानी, मकेनिकल, किसी भी क्षेत्र में हो और उन्हें उसी दिशा में अच्छा करने दें। जरूरी नहीं कि सभी बच्चे पढ़ने में ही अव्वल हो ! बस जरूरत हैं उनमें अच्छे संस्कार व नैतिक मूल्यों की जिससे बच्चे गलत रास्ते नहीं चुने

एजेंडा नौ: सामुदायिक सहभागिता के मेरे अनुभव

Charcha Patra : इस बार आपके समक्ष बिलासपुर की शिक्षिका दीप्ति दीक्षित की कलम से उनके अनुभव आपके साथ साझा कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कुछ वर्षों पूर्व चर्चा पत्र के माध्यम से दानोत्सव पर आलेख पढ़कर अपने सामुदायिक सहभागिता के कौशल को निखारा और उन्होंने अपने पुराने स्कूल में समुदाय से विभिन्न संसाधन एकत्र करने में सफलता पाई | स्थानान्तरण के पश्चात नए स्कूल में उन्होंने कैसे इस दिशा में कार्य किया, पढ़िए उनके अनुभव !

सितंबर माह में स्थानांतरण के पश्चात मैने शासकीय प्राथमिक शाला धनरास में कार्यभार ग्रहण किया। मैंने सबसे पहले एसएससी के सदस्यों और पालकों को विद्यालय से जोड़ने का काम प्रारंभ किया जिससे मुझे समय-समय पर उनका सहयोग मिल सके और मैं विद्यालय को बेहतर बना सकूं। इसके लिए मैंने सर्वप्रथम सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से दो सिलाई मशीन की व्यवस्था की जिसमें माताएं और ग्राम की महिलाएं सिलाई सीख सकें ताकि वह बीच-बीच में विद्यालय आती रहें और हमें उनका सहयोग मिलता है रहे सिलाई सिखाने के लिए भी हमने उन्हीं के बीच से एक महिला को चुना जो उनको सिलाई सिखा सकें जिसके लिए हमारी एसएमसी के अध्यक्ष श्रीमती सोनाक्षी यादव जी सहर्ष तैयार हो गई है। अब लगभग 12 से 15 महिलाओं का एक समूह बन गया और वे नियमित विद्यालय आने लगी, हमने उनका समय भी दोपहर 2:00 से 4:00 के बीच रखा जिससे वे 4:00 बजे अपने बच्चों को अपने साथ लेकर घर जा सके। यह महिलाएं हमारे विद्यालय के बच्चों को प्रोजेक्ट कार्य कराने, पोर्टफोलियो निर्माण, हिंदी कार्नर निर्माण, खिलौने निर्माण, शिक्षा विद श्रीमती रजनी आनवडे जी के द्वारा कंप्यूटर शिक्षा, अंग्रेजी शिक्षा तथा शनिवार को बस्ता विहिन विद्यालय की गतिविधि में लगातार हमारा सहयोग कर रही हैं। इन सबके द्वारा विद्यालय के विकास लिए प्रयास किया जा रहा है जिसमें सर्वप्रथम उन्होंने विद्यालय के जर्जर भवन को प्रस्ताव पारित कर डिस्मेंटल कराया जो बच्चों के लिए बहुत खतरनाक था इसके पश्चात सभी महिलाओं ने बच्चों के पोर्टफोलियो निर्माण के लिए थैला भी सिला जिससे सभी बच्चों के द्वारा बनाए गए चित्र एवं कलात्मक सामग्री को इकट्ठा किया जा सके उनके द्वारा बीच-बीच में बच्चों की कक्षा भी ली जाती है जिससे बच्चों की उपलब्धि का पता चल सके जब यह महिलाएं अन्य बच्चों के साथ कार्य करती हैं उस समय मुझे थोड़ा समय मिलता है जिसमें मैं अपने विद्यालय की कमजोर बच्चों को उपचारात्मक शिक्षण दे पाती हूं। इस प्रकार इनके सहयोग से हम बच्चों में FLN संबंधित दक्षता का विकास करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और यह दक्षता धीरे धीरे हमारे बच्चों में नजर भी आ रही है। [और अधिक जानें ]

एजेंडा दस: इस माह किए जाने हेतु महत्वपूर्ण कार्य

राज्य में स्कूलों में इस माह इन कार्यों को प्राथमिकता के तौर पर पूरा करें-

  1. बच्चों में मूलभूत भाषाई एवं गणितीय कौशलों के विकास हेतु पूरे तन-मन-धन से मेहनत करें और उसमें सुधार लाएं
  2. सभी बच्चों में अपेक्षित दक्षता विकसित करते हुए “सुघ्घर पढ़वईया” कार्यक्रम में चुनौती देवें
  3. मुस्कान पुस्तकालय को सक्रिय करते हुए बच्चों को नियमित रूप से पुस्तकें पढने का अवसर देवें
  4. अपने आसपास स्कूलों एवं कार्यालयों में जितने भी अभ्यास पुस्तिकाएं उपलब्ध हों, उन्हें खोजकर संबंधित कक्षाओ में बच्चों के उपयोग हेतु वितरित करें
  5. FLN को विकसित करने प्रत्येक प्राथमिक स्कूल को PFMS के माध्यम से प्रदत्त रूपए 2500/- का उपयोग कर अपनी शाला/ गाँव को प्रिंट- समृद्ध बनाकर बच्चों से उनका नियमित उपयोग करवाएं
  1. प्राथमिक से लेकर हायर सेकन्डरी स्तर तक प्रत्येक शाला के लिए इस बार प्राथमिक स्तर पर एक हजार एवं उच्च प्राथमिक से हायर सेकन्डरी स्तर तक कुल ढाई हजार रूपए जारी किए गए हैं | इनका तत्काल उपयोग कर लेवें
  1. शालाओं को प्रदत्त शाला अनुदान का भी उपयोग आवश्यक कार्यों के लिए करते हुए उसका पूरा उपयोग करें बचत राशि पूर्व की भाँति आपके खाते में नहीं बचेगी वह लैप्स हो जाएगी इसलिए उसका समय पर उपयोग कर लेवें
  1. राज्य में संचालित 32 हिन्दी माध्यम स्वामी आत्मानंद स्कूलों को प्रति स्कूल रूपए दस लाख के मान से बजट जारी किया गया है | इसका उपयोग उन्हें स्कूल की आवश्यकतानुसार संसाधन उपलब्ध करवाए जाने हेतु किया जाना है
  2. व्यवसायिक पाठ्यक्रम वाली हेतु चयनित शालाओं में प्रति शाला ₹118800 प्रति शाला के मान से ई लर्निंग मैटेरियल क्रय हेतु राशि शालाओं को प्रदान की गई है
  1. बच्चों के शैक्षणिक भ्रम शैक्षणिक भ्रमण हेतु प्रारंभिक स्तर पर प्रति जिला 200 विद्यार्थियों हेतु प्रति विद्यार्थी ₹500 एवं सेकेंडरी स्तर पर प्रति जिला 200 बच्चों हेतु प्रति विद्यार्थी ₹1000 जारी की गई है उक्त मद से दिनांक 14 नवंबर को राज्य स्तर पर होने वाले कार्यक्रम का यात्रा देयक प्राप्त किया जा सकता है।
  2. व्यवसायिक शिक्षा से परिचय हेतु जिलों के 30-30 उच्च प्राथमिक शालाओं को प्रति शाला 10,000 रुपए जारी किए गए हैं जिसके माध्यम से उन्हें बस्ताविहीन कक्षा, शैक्षिक भ्रमण एवं प्रदर्शनी आयोजित करनी है
  3. प्रत्येक हाई एवं हायर सेकन्डरी स्कूल एवं कुछ चयनित 203 उच्च प्राथमिक स्कूल को रूपए पांच हजार के मान से गणित एवं विज्ञान क्लब में बजट उपलब्ध करवाया गया है इन क्लबों के संचालन हेतु विस्तृत दिशानिर्देश आपको उपलब्ध करवाए गए हैं | माह दिसंबर तक इस राशि का पूरा उपयोग सुनिश्चित करें
  4. इस वर्ष प्रारंभ बालवाडी में प्रति बालवाडी ₹15000 की दर से बाला फीचर एवं प्रिंट- रिच सीखने का वातावरण तैयार करने हेतु बजट जारी किया गया है जिसे माह दिसंबर तक व्यय किया जाना है 14. 592 व्यवसायिक शाखा संचालित करने वाले शालाओं को ₹20000 की राशि कार्यालयीन व्यय एवं कंटीन्जेन्सी के लिए उपलब्ध करवाई गयी है ।
  1. बालवाडी के साथ संचालित प्राथमिक शालाओं को बालवाडी संचालन हेतु समुदाय के साथ मिलकर बोटम अप प्लानिंग के आयोजन हेतु ऐसे प्रति प्राथमिक शाला को रूपए 400/- जारी किया गया है इसका उपयोग हो गया होगा 16. उपचारात्मक शिक्षण हेतु उच्च प्राथमिक एवं हाई- हायर सेकन्डरी स्कूल को इंटरनेट रिचार्ज हेतु रूपए 2500/, विशेष कोचिंग कक्षाओं के संचालन हेतु मानदेय देने रूपए प्रति विद्यार्थी 150/- प्रतिमाह तीन माह के लिए, निक्लर एवं टेली- प्रेक्टीज के नियमित उपयोग हेतु प्रति विद्यार्थी 20/- जारी किया जा रहा है इस योजना में परीक्षा की तैयारी के लिए आनलाइन कक्षाएं लेने वाले शिक्षकों को प्रति कक्षा 450/- का मानदेय दिया जाएगा। इसके अलावा बेसलाइन आकलन के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की राशि भी परिणाम प्राप्त होते ही क्रोस चेक कर जारी करें | [और अधिक जानें ]

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