Charcha Patra 2024 : दिसंबर माह के चर्चा पत्र में क्या है जानें

Charcha Patra 2024 : वर्ष 4 दिसंबर, 2024 को परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण का आयोजन तय किया गया है।

Charcha Patra – दिसंबर 2024

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Charcha Patra

एजेंडा एकः परख के लिए तैयारी

  • हमें अपनी शिक्षण पद्धति में किस प्रकार के बदलाव लाने होंगे ?
  • बच्चों में बिना समझें रटंत पद्धति को हतोत्साहित करने हेतु क्या उपाय करने होंगे ?
  • ऐसा क्या कुछ करें कि बच्चे स्वयं चिंतन कर अपने उत्तर ढूँढने में अभ्यस्त हो जाएँ?
  • बच्चों को एक दूसरे से सीखने हेतु उचित माहौल कैसे बनायेंगे ?
  • निजी स्कूल इस सर्वेक्षण में कैसे रूचि लेकर अपने स्कूल में इसे लागू करें ?
  • कैसे सभी शिक्षक इसके परिणामों को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न मानते हुए स्थिति में सुधार हेतुनियमित रूप से मेहनत करें ?

एजेंडा दोः राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण में पिछड़ने के मूल कारण

  • हम अपनी कक्षाओं में प्रायः स्मृति-आधारित प्रश्न (Memory-based questions) पूछने के लिए अभ्यस्त हैं।
  • हम प्रायः बच्चों को श्यामपट में प्रश्नोत्तर लिखवाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं।
  • बच्चों को उन्हें यादकरके आना होता है और परीक्षा में उन्हीं में से सवाल किए जाते हैं।
  • निजी स्कूलों में यह स्थिति और भयावह हैं।
  • हम अपने बच्चों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अवसर बहुत कम या नहीं के बराबर देते हैं।
  • अभी विगत वर्ष से हमने बच्चों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए प्रति सप्ताह टॉपिक देकर अपने मन से लिखने का अवसर दिया है।
  • हम अपने विद्यार्थियों को अकेले में जोर से पढ़ने और उन्हें सुनने का अवसर नहीं लेते |
  • प्रत्येक बच्चे को स्वतंत्र पठन का अवसर देते हुए उनके द्वारा पढ़े गए पैराग्राफ के आधार पर समझ आधारित प्रश्न पूछते रहना चाहिए, यह बहुत कम होता है।
  • हम बच्चों को सामान्य रूप से स्मृति-आधारित प्रश्न ही पूछते हैं जबकि हमें उनसे हायर ऑर्डर थिंकिंग वाले प्रश्न्नपूछकर उनसे जवाब सुनने का अवसर देना चाहिए।
  • बच्चों को कभी भी OMR शीट भरने का अवसर नहीं मिलता जिससे वे उसे सही तरीके से भरने में असमर्थ होते।
  • बच्चों को सभी प्रश्नों को हल करना चाहिए, यह जज्बा हम विकसित नहीं कर पाते इसलिए बहुत से बच्चे बहुत से प्रश्न ऐसे ही छोड़कर चले आते हैं।
  • विगत वर्षों में बच्चों ने लगभग औसतन 25% प्रश्नों को हल ही नहीं किया।

एजेंडा तीनः परख रेडी स्कूल कैसा हो ?

  • बच्चों के साथ अच्छे संबंध बनाते हुए उन्हें अपनी शंकाओं के समाधान हेतु प्रश्न पूछने का अवसर देवें।
  • आपकी शाला के बच्चों में प्रश्न पूछने की झिझक या डर बिलकुल भी नहीं होना चाहिए।
  • बच्चों को हर चीज सीधे-सीधे न बताते हुए उन्हें सीखने के लिए संघर्ष करने या सोचने-चिंतन करने का अवसर प्रदान करें (no to spoon-feeding)बच्चों को एक दूसरे से सीखने के पर्याप्त अवसर देवें, उन्हें छोटे-छोटे समूह में बैठकर कार्य करने का अवसर देवें (peer learning)बड़ी कक्षा के बच्चों को छोटी कक्षा के बच्चों को सीखने में सहयोग देने का अवसर प्रदान करें।
  • इसके लिए buddy system लागू करें।बच्चों के पठन कौशल पर विशेष ध्यान देते हुए समझ के साथ पढना सिखाएं।बच्चों को सीखने के अनुभव कुछ इस प्रकार से देवें कि वे उन्हें अपने दैनिक जीवन से जोड़कर अपनी समझबना सके और सीख को लागू कर सके।
  • प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित लर्निंग आउटकम एवं दक्षताओं पर ध्यान देते हुए शिक्षण एवं अभ्यास कार्य करवाएं।
  • बच्चों में समय प्रबन्धन, आत्मविश्वास एवं बेहतर करने की लालसा हो।
  • बच्चों को सीखी हुई चीजों को दैनिक जीवन में लागू करने का अवसर देवें।

एजेंडा चारः परख रेडी स्कूल में शिक्षक कैसा हो ?

  • मैं संघर्ष करता हूँ मैं प्रयास करता हूँ और में सीखता हूँ (I struggle-I try-I learn)सीखने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण मन्त्र अंतिम लाइन में दिया गया है।
  • जब तक हम बच्चों को सीखने के लिए संघर्ष का अवसर नहीं देंगे तब तक सीखना स्थाई नहीं होगा।
  • आपने तितली की कहानी सुनी होगी। एक आदमी तितली को बाहर निकलने हेतु संघर्ष करते देख उसकी मदद करता है तो वह तितली अपाहिज हो जाती है क्योंकि उसके संघर्ष कर निकलने के अवसर को आपने रोक दिया, उसके पैर मजबूत होने से शुरू में ही रुक गए।
  • नए आइडियाज का स्वागत करें-सदैव सीखना जारी रखेंः
  • लक्ष्य निर्धारित करते समय उसकी प्राप्ति के लिए समयसीमा भी तय करें:
  • प्रयास करना निरंतर जारी रखें:

एजेंडा पांचः परख में सुधार हेतु प्रधानाध्यापक की भूमिका

  • शिक्षकों को समय का अधिक से अधिक उपयोग बच्चों के सीखने (time on task) में लगवाएं।
  • प्रत्येक कक्षा में उस कक्षा का लर्निंग आउटकम अवश्य प्रदर्शित करवाएं।
  • शिक्षकों को दक्षता-आधारित अध्यापन एवं अभ्यास हेतु सक्षम बनाएं ।शिक्षकों को एक दूसरे से सीखने हेतु प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी में सक्रिय करें।
  • बड़ी कक्षा के बच्चों को छोटी कक्षा के बच्चों के साथ जोड़ी बनाकर एक दूसरे से सीखने में सहयोग लेते हुए buddy system विकसितSTEP BY STEPDon’t focus on going from 0 to 100 Focus on going from 0 to 10 Then 10 to 20.
  • Then 20 to 40 And so on and so on until you get to 100 Trust the process. Enjoy the process Step by step. You will be thereकर उसका लाभ लेवें।
  • बच्चों को अभ्यास पुस्तिकाओं पर नियमित कार्य करवाएं एवं उन पर फीडबैक भी दें।
  • बच्चों की नियमित उपस्थिति पर विशेष ध्यान देते हुए उनके पालकों के संपर्क में रहें।मुस्कान पुस्तकालय से प्रत्येक बच्चे को पुस्तक लेकर पढ़ने का अवसर देवें।
  • श्यामपट पर नियमित रूप से मोक टेस्ट लेकर परख का अभ्यास करवाएं।
  • सभी पाठों, तथ्यों एवं लर्निंग आउटकम को ठीक से समझकर उसे दैनिक जीवन से जोड़कर पढ़ाया जाना एवं उन पर चर्चा किया जाना सुनिश्चित करें |
  • अगला परख तीन वर्ष के अंतराल से होगा पर अभी से धीर-धरि कर अपने कक्षा शिक्षण एवं सीखने-सिखाने की प्रक्रियाओंमें सबके साथ मिलकर आशातीत बदलाव लाएं ।
  • आप अपनी शाला में एकदम से बदलाव नहीं ला सकते।
  • आपको छोटे-छोटे लक्ष्य लेकर उसे टाइमलाइन तय कर प्राप्त करतेहुए आगे बढ़ें।

एजेंडा छहः परख में सुधार हेतु कक्षा में सीखने-सिखाने के स्तर

  • चित्र को ध्यान से देखकर कक्षा शिक्षण की सर्वोत्कृष्ट प्रक्रिया को देखने-समझने का प्रयास करें। सबसे कमजोर शिक्षण आपको विषय को रटवाने का प्रयास करते हैं।
  • उससे कुछ बेहतर शिक्षक बच्चों को विषयवस्तू को समझाने के स्तर तक लेकर जाते हैं, कुछ और मेहनत करने वाले शिक्षक बच्चों को सीखी हुई बातों को क्रियान्वित करने,
  • उनका विश्लेषण करने एवं आकलन करने की दृष्टि से विद्यार्थियों को तैयार करते हैं।
  • सबसे बेहतर शिक्षक सीखे हुए तथ्यों को सृजन (create) करने की क्षमता विकसित करता है।

एजेंडा सातः हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनीचाहिए

  • आप अभ्यास करते हैं और आप बेहतर हो जाते हैं। यह बहुत सरल है।

एजेंडा आठः परख में सुधार हेतु कक्षा में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया

  • STEM रीडिंग कार्यक्रम (Science-Technology-Engineering-Math
  • Cloze Test: बच्चों में तर्कशक्ति के विकास के लिए यह एक प्रभावी विधि है।
  • Wh-Template: इस विधि का कक्षा में उपयोग करने हेतु एक दीवार पर wh प्रश्नों को लिख देवें. बच्चों में यह आदत विकसित करें कि जब भी उन्हें किसी विषय को पढाया जाए तो उसके संबंध में सभी तथ्यों की समझ विकसित करने, अपनी शंकाओं के स्वयं समाधान ढूँढने एवं स्वयं का परीक्षण करने इस टेम्पलेट के सामने खड़े होकर स्वयं से प्रश्न करते हुए उनके जवाब ढूंढें !
  • Think-Pair-Share: कक्षा में किसी प्रश्न को पूछकर पहले विद्यार्थियों को स्वयं सोचने को कहें, उसके बाद अपने विचारों को अपने साथी से साझा करने का अवसर देवें।
  • अंत में सभी के साथ अपने अपने विचारोंको प्रकट करने का मौका देते हुए अधिक से अधिक चिंतन मनन का अवसर देवें।
  • Document based Questions: इस प्रविधि में किसी पाठ या पैरा को पढने का अवसर देकर उस पर आधारित कुछ प्रश्न पूछें. पाठ पढ़ते समय बच्चों को नोट्स बनाने का अवसर भी देवें।
  • पाठ को शीघ्र पढने एवं उस पर चिंतन कर पूछे जा रहे प्रश्नों का त्वरित उत्तर देने का कौशल विकसित करें।
  • ऐसा करने से रटने की प्रवृत्ति से छुटकारा मिल सकेगा और विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम हो सकेंगे।
  • माइंड-मैप बनानाः किसी विषयवस्तु की अवधारणा को अच्छी तरह से स्पष्ट करने एवं समझ विकसित करने, मस्तिष्क में किसी चीज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने हेतुमाइंड माप एक प्रभावी टूल है।
  • इसे विचारों को चित्रों या प्रतीकों केमाध्यम से याद रखा जाता है। इसमें प्रकरण के मुख्य विचार एवं उससे संबंधित सहायक विचारों को लिया जाता है।
  • समस्त विवरणोंको एक संक्षिप्त नोट के रूप में लिखा जाता है।
  • सारांशीकरणःकिसी भी विषय पर तीव्रता से समझ विकसित करने हेतु इस विधा का उपयोग किया जाता है.
  • इस विधा के उपयोग से मूलभूत कौशलों जैसे पढ़ना, समझना एवं लिखने के कौशल का विकास होता है.
  • इसमें किसी प्रकरण को विद्यार्थी को समयसीमा देते हुए पढ़ने का अवसर दिया जाता है।
  • इसके बाद पढ़े हुए प्रकरण पर महत्वपूर्ण बिन्दुओं को शामिल कर नोट बनाया जाता है.
  • इसके बाद पुनः उस नोट के आधार पर उसके भाव को विस्तारित करने का प्रयास किया जाता है और यह जांचा जाता है कि कोई तथ्य छूट तो नहीं गया।
  • स्केच-नोट बनानाःइस विधा में बच्चों को किसी अवधारणा को समझ कर उसे याद रखने एवं किसी साथी को समझा सकने के उद्देश्य से सरल एवं बहुत कम समय में बनने योग्य चित्र बनाया जाता है।
  • बच्चे बहुत जल्दी इस प्रकार के चित्र बनाने में निपुण हो जाते हैं।
  • बच्चों को किसी अवधारणा को लंबे समय तक याद रखने एवं चित्रों की सहायता से उसे याद रखने के लिए स्केच नोट एक अच्छा टूल है.
  • बच्चे कक्षा में लेक्चर को नोट करने के लिए भी इस विधा का उपयोग कर सकते हैं।
  • इसे देखकर जब वे अपने साथियों को सिखाते हैं तो चीजें और भी स्पष्ट हो जाती है।
  • वाद-विवाद: कक्षा में बच्चों को दो भागों में बांटकर समय समय पर कुछ मुद्दे देते हुए उन्हें अपने मुद्दे पर अन्य सभी को सहमत करने के उद्देश्य से तर्क देने का अवसर दिया जाता है, बच्चे इस प्रक्रिया से प्रदत्त मुद्दे पर गहन चिंतन-मनन करते हैं और उससे सम्बंधित विभिन्न लॉजिक पर काम करते हैं. जैसे बोर्ड परीक्षा होनी चाहिए या नहीं ?
  • पुस्तकों पर चर्चाः विद्यार्थियों को नियमित रूप से पुस्तकें पढने हेतु प्रेरित करें।
  • उनके द्वारा विभिन्न पुस्तकों को पढ़ने के बाद एक निर्धारित फोर्मेट में कुछ जानकारी लिखकर जमा करने एवं उस पर बातचीत करने के लिए भी कहा जा सकता है।
  • इस फोर्मेट में उस पुस्तक का विवरण, पुस्तक पढने के बाद कैसे लगा, कौन-कौन सी बातें अच्छी लगी, क्या कुछ नया सीखने को मिला, आप इस पुस्तक को अपने साथी को पढने के लिए सुझाव देंगे तो किन किन बातों का उल्लेख करना चाहेंगे आदि आदि।
  • पुस्तक पढने के लिए एक अलग से कालखंड होना चाहिए, पढी हुई पुस्तक पर बच्चों के मध्य आपस में चर्चा एंव संवाद होना चाहिए, बच्चों को पढने में रूचि विकसित करने एवं प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्टार रीडर ऑफ़ द मन्थ का अवार्ड भी दिया जा सकता है।

एजेंडा नौः परख में सुधार हेतु क्षमता विकास की प्रक्रिया

  • परख में बेहतर स्थान पाने के लिए शार्ट कट कभी काम नहीं आएगा।इसके लिए सभी शिक्षकों को खूब मेहनत करनी होगी।
  • लगातार क्षमता विकास कार्यकम में सक्रिय रूप से शामिल होना होगा। जिस प्रकार से चर्चा पत्र के माध्यम से आपके लिए सतत क्षमता विकास के अवसर प्राप्तअपने अपने क्षेत्र में परख के लिए क्षमता विकास की योजना बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि एक बार प्रशिक्षण देकर छोड़ देने से काम नहीं चलेगा।
  • उदाहरण के लिए मान लीजिये आपने एक कुशल प्रशिक्षक बनने हेतु स्केचनोट काप्रशिक्षण लिया।
  • इसके बाद आपको सभी प्रशिक्षणार्थियों के बीच सी दिन तक विभिन्न विषय देकर उस पर स्केचनोट बनाने का अभ्यास करवाने हेतु चुनौती देना चाहिए।
  • इसी प्रकार आप प्रतिदिन एक क्षमता-आधारित प्रश्न बनाने की चुनौती या प्रतिदिन एक कविता लिखने की चुनौती देकर क्षमता विकास कर सकते हैं!

एजेंडा दसः बच्चों की पसंद

  • मुझे वह शिक्षक पसंद हैं जो गृहकार्य के अतिरिक्त सोच विचार के लिए भी कुछ घर ले जाने देतें हैं।
  • Children need to be taught how to think, not what to think.
  • इस बारे में सोचें और ऐसे शिक्षक बनने हेतु अभी से योजना बनाकर अभी से उस दिशा मेंकाम प्रारंभ करें |
चर्चा-पत्र Charcha Patra
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