Charcha Patra 2025 : एक स्कूल को NEP Ready School बनाने संबंध में पढ़े विस्तार से….
Charcha Patra – जनवरी 2025
एजेंडा एक : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख उद्देश्य
- सर्वांगीण विकासः विद्यार्थियों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास पर जोर.
- समानता और समावेशिताः सभी विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान करना.
- गुणवत्ता शिक्षाः शिक्षा गुणवत्ता में सुधार कर उसे वैश्विक मानकों के अनुरुप बनाना.
- भाषाई विविधताः मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देना, विशेषकर छोटी कक्षाओं में.
- तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षाः तकनीकी और व्यवसायिक कौशल प्रदान करना.
- शिक्षा का सार्वभौमीकरण: 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन प्राप्त करना.
- शिक्षा में नवाचारः शिक्षा में नवीनतम तकनीकों एवं पद्धतियों का समावेश.
- शिक्षा का वहनीयताः: शिक्षा को सभी तबको के लिए वहनीय एवं सुलभ बनाना.
- शिक्षा में उत्तरदायित्वः शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना.
- वैश्विक नागरिकः विद्यार्थियों में भारतीय होने का गर्व विकसित करना.
एक स्कूल को NEP Ready School बनने हेतु निम्नलिखित कार्यवाहियां अपेक्षित हैं:
एजेंडा दोः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप स्कूल
- शैक्षणिक संरचना में बदलाव: NEP ने 10+2 की पुरानी शैक्षणिक संरचना को 5+3+3+4 से बदल दिया है.
- आधारभूत चरण (Foundational Stage) – 3-8 आयु वर्ग के बच्चे. इसमें आंगनबाडी से कक्षा 2 तक के बच्चे शामिल,
- प्रारंभिक चरण (Preparatory Stage) – 8-11 आयु वर्ग के बच्चे. इसमें कक्षा 3 से 5 तक के बच्चे शामिल.
- मध्य चरण (Middle Stage)-11-14 आयु वर्ग के बच्चे. इसमें कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे शामिल,
- द्वितीयक चरण (Secondary Stage) – 14-18 आयु वर्ग के बच्चे, इसमें कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे शामिल,
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा आवश्यकः
- मूलभूत भाषाई एवं गणितीय कौशल विकास (FLN):
- शाला त्याग दर को न्यून करना (Drop Out rate):
- संसाधनों की साझेदारी हेतु ट्विनिंग ऑफ़ स्कूल (Twinning of Schools):
- स्कूलों में एलुमिनि समूह बनाकर उन्हें जोड़ना (Alumni Group):
- शिक्षा में कौशल विकास पर जोर (Emphasis on Skill development/ World of Work- wow):
- शाला संकुल की अवधारणा को लागू करना (School Complex):
- स्कूल खुलते ही 90 दिनों का स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम (School Readiness Program):
- शिक्षक-पालक सम्मेलनों का आयोजन (Parent Teacher Meet- PTM):
- समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन (Inclusive Education):
- देशी ज्ञान को बढ़ावा देना Preserving Indigenous Knowledge:
- बस्ताविहीन शनिवार (Bagless Saturdays)
- शालाओं में पोषण-वाटिका (Kitchen garden in Schools)
एजेंडा तीनः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षण विधियां
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में शिक्षण पद्धति को बहुत महत्व दिया गया है।
- विद्यार्थी-केंद्रित शिक्षाः विद्यार्थी की जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं पर ध्यान दें
- खेल-आधारित शिक्षा (आयु 3-8): खेल के माध्यम से संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल विकसित करें ।
- खिलौना-आधारित शिक्षा (आयु 3-11): खिलौनों के माध्यम से सीखना ।
- क्रिया-आधारित शिक्षा (आयु 8-11): विद्यार्थियों को हाथों-हाथ गतिविधियों, परियोजनाओं और प्रयोगों में शामिल करें ।
- अनुभव-आधारित सीखना (आयु 11-18)- विद्यार्थियों को सीखने का अनुभव लेने का अवसर प्रदान करें ।
- परियोजना-आधारित शिक्षा (आयु 11-18): विद्यार्थियों को वास्तविक दुनिया की परियोजनाओं पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करें, जिसमें कई विषयों का एकीकरण हो ।
- फ्लिप्ड क्लास रूमः पारंपरिक व्याख्यान-गृहकार्य प्रारूप को उल्टा करें, और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कक्षा के बाहर निर्देश दें ।
- कहानियों के माध्यम से सीखना
- भिन्नता-आधारित शिक्षाः विद्यार्थियों की विविध जरुरतों को पूरा करने के लिए निर्देश को अनुकूलित करें ।
- प्रौद्योगिकी एकीकरणः शिक्षण, अधिगम और मूल्यांकन को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएं ।
- सहयोगी अधिगमः विद्यार्थियों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे सामाजिक कौशल और टीम वर्क को बढ़ावा मिले ।
- रूपरेखा और योगात्मक मूल्यांकनः निरंतर मूल्यांकन का उपयोग करके निर्देश को सूचित करें और छात्र अधिगम का मूल्यांकन करें ।
एजेंडा चारः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यार्थी
स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने पर विद्यार्थियों को निम्नलिखित सुविधाएं मिलनी चाहिए / कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए:
- कक्षा पहली में प्रवेश लेने के पूर्व बच्चों को पूर्व-प्राथमिक एवं बालवाड़ी में सीखने का अनुभव / अवसर मिलना चाहिए।
- कक्षा पहली में बच्चों को 90 दिनों का शाला के लिए तैयारी कार्यक्रम से गुजरना चाहिए।
- शाला भवन एवं परिसर आकर्षक होना चाहिए प्रिंट-रिच वातावरण होना चाहिए।
- पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद को महत्व एवं खिलौनों से भी सीखने देना चाहिए।
- शाला से बाहर कोई भी बच्चा नहीं होगा चाहिए, सभी मुख्यधारा से जुड़े रहना चाहिए।
- बच्चों को एक दूसरे से सीखने के अवसर प्रदान करना चाहिए।
- पीछे छूट रहे बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था।
- माताओं का उन्मुखीकरण कर उन्हें घर पर बच्चों को सीखने में सहयोग देने तैयार करें।
- प्रत्येक बच्चे में मूलभूत भाषाई एवं गणितीय कौशल का विकास समय पर करें।
- बच्चों को उनके स्थानीय संस्कृति एवं परंपराओं से परिचित करवाए जाने स्कूल म्यूजियम।
- बच्चों को मुस्कान पुस्तकालय से पुस्तकें पढ़ने के अवसर एवं रुचि विकसित करें।
- बच्चों को शैक्षिक भ्रमण के अवसर देना व शनिवार को बढ़ता विहीन शनिवार के रूप में मनाएं।
- समय समय पर बड़े-बुजुर्गों को आमंत्रित कर उनके माध्यम से स्थानीय कहानियाँ सुनाएं।
- बच्चों को उनके घर की भाषा में संवाद करने का प्रयास कर उनसे करीबी बढाएं।
- बच्चों को उनके अनुभवों से सीखने के अवसर प्रदान करें।
- बच्चों को विभिन्न व्यवसायों से परिचित करते हुए उनके रूचि अनुरूप कौशल विकास करें।
- स्कूल में एक म्यूजिकल बैंड की स्थापना भी करें और बच्चों को अभ्यास करवाएं।
- स्कूल का अपना एक मासिक दीवार पत्रिका का प्रकाशन बच्चों द्वारा किया जाना।
- प्रत्येक स्कूल में बच्चों के सहयोग से क्लब का संचालन किया जाना चाहिए।
- बच्चों के 360 डिग्री आकलन के लिए समग्र प्रगति कार्ड में प्रविष्टि करनी चाहिए।
एजेंडा पांचः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आकलन
- समेटिव के स्थान पर नियमित फोर्मेटिव आकलन पर जोर,
- दक्षता-आधारित एवं हायर ऑर्डर थिकिंग स्किल वाले प्रश्न विश्लेषण,
- क्रिटिकल थिंकिंग एवं अवधारणात्मक सोच पर फोकस.
- रट कर उत्तीर्ण होने के बदले समझ कर सीखने पर जोर.
- समग्र प्रगति कार्ड (Holistic Progress Card-HPC) के माध्यम से बच्चे का 360 डिग्री आकलन.
- समग्र प्रगति कार्ड में स्व-आकलन, सहपाठी द्वारा आकलन, पालकों द्वारा अभिमत एवं विभिन्न स्रोतों से बच्चों की प्रगति पर नजर.
- परीक्षाओं को सरल बनाने का प्रयास. एक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन,
- आकलन टूल को लर्निंग आउटकम एवं दक्षताओं के साथ मैप किया जाएगा.
एजेंडा छहः राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रुपरेखा 2023
- सभी प्रकार के पढ़ाई भारतीय लोकाचार एवं मूल्यों से गहराई से जुड़ी होंगी.
- विद्यार्थियों को सामाजिक विज्ञान के माध्यम से स्थानीय से लेकर वैश्विक दृष्टि तक की संपूर्ण समझ विकसित किया जाएगा.
- बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार आयोजित की जाएंगी ताकि विद्यार्थियों को अच्छा प्रदर्शन करने का अवसर मिल सके,
- परीक्षा में रट कर याद करने की बजाय सभी विषयों की बुनियादी अवधारणाओं का आकलन किया जाएगा.
- कक्षा 11 एवं 12 में एक भाषा के स्थान पर दो भाषाएँ सीखना अनिवार्य किया जाएगा.
- ये दोनों कक्षाएं सेमेस्टर आधारित होंगी एवं विद्यार्थियों को विषय चुनने की स्वतन्त्रता होगी,
- शिक्षण संरचना 5+3+3+2 का पालन करते हुए चार चरणों में शिक्षा को विभाजित किया जाएगा-
- प्रथम चरण आयु 3-8 के लिए आधारभूत चरण, आयु 8-11 के लिए प्रारंभिक चरण, आयु 11-14 के लिए मध्य चरण एवं आयु 14-18 के लिए माध्यमिक चरण.
- बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता, रचनात्मक, नैतिक, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों को विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा.
- बहुविषयक एवं एकीकृत शिक्षा जिसके तहत विज्ञान, सामजिक विज्ञान, मानविकी, कला और खेल पर एक समान महत्व दिया जाएगा,
- माध्यमिक स्तर पर विषयों को चुनने में लचीलापन के साथ ही शारीरिक शिक्षा, कला एवं हस्तकला, व्यवसायिक कौशल को भी शामिल किया जाएगा.
- हस्तकला, व्यवसायिक कौशल को भी शामिल किया जाएगा.
एजेंडा सातः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कौशल विकास
- मिडिल स्तर में बस्ताविहीन कक्षाओं का प्रावधान किया गया है।
- स्थानीय लोक कलाकारों, कारीगटों की सेवाएं एवं सहयोग लेते हुए बच्चों को विभिन्न कौशलों से परिचित करवाया जाना है।
- कक्षा 9-12 तके लिए व्यवसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है
एजेंडा आठः परीक्षा पे चर्चा 2025
- परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में सहभागिता हेतु एक प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 14 दिसंबर से 14 जनवरी, 2025 तक किया जा रहा है ।
- इस लिंक से भाग लें – https.//innovateindial.mvqov.in/
- इस प्रतियोगिता में विद्यार्थी, शिक्षक, पालक शामिल हो सकते हैं।
- सर्टिफिकेट माह फरवरी, 2025 में जारी किया जाएगा।
एजेंडा नौः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पालक
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मंशानुरूप आप अपने विद्यार्थियों के पालकों के साथ बैठक लेकर उनके बच्चों को इन क्षेत्रों में सहयोग लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं
- स्थानीय हाट-बाजार में खरीददारी:
- सरकारी सूचनाओं / विज्ञापन को पढ़कर सुनानाः
- बैंक के काम में सहयोगः
- स्थानीय कहानियों को सुनकर लिखनाः
- कैलेण्डर में महत्वपूर्ण तिथियों के रिकार्ड रखनाः
- गाँव का नक्शाः
- सांस्कृतिक विरासत एवं परंपराओं की जानकारी:
- तीज-त्यौहार एवं विवाह आदि की तैयारी:
- छोटी कक्षाओं के बच्चों को सीखने / उल्लास कार्यक्रम में बड़ों के सीखने में सहयोग देना.
- गाँव के इतिहास का लेखनः
- आसपास के पेड़-पौधे एवं जानवरों से परिचयः
- मोवाइल का उपयोगः
- बाहरी व्यक्तियों के लिए अनुवादक का कामः
- कचरा प्रवन्धनः
- बच्चों को बाजार में मोलभाव, सामग्री के वजन का अनुमान लगाना, लाभ-हानि भी सिखाएं.
- ऐसा कर पालक अपने बच्चों से स्कूल में सीखे बातों का व्यवहारिक जीवन में उपयोग कर सकेंगे
एजेंडा दसः मेरा स्कूल कितना NEP Ready है?
इन बिंदुओं के आधार पर तय करें कि क्या मेरा स्कूल NEP Ready है?
- 5+3+3+4 संरचना अनुरुप कार्य संचालन
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा सुलभता
- मूलभूत भाषाई एवं गणितीय कौशल विकास (FLN)
- शाला त्याग दर को न्यून करना (Drop Out rate)
- संसाधनों की साझेदारी (Twinning of Schools)
- स्कूलों में एलुमिनिं समूह बनाकर उन्हें जोड़ना
- शिक्षा में कौशल विकास पर जोर
- 90 दिनों का शाला के लिए तैयारी कार्यक्रम का आयोजन
- शाला संकुल का क्रियाशील होना
- शिक्षक-पालक सम्मेलनों का आयोजन
- समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन
- देशी ज्ञान को बढ़ावा
- बस्ताविहीन शनिवार
- पोषण वाटिका (Kitchen garden)
- NEP based शिक्षण प्रविधियों का उपयोग
- बच्चों को जोड़ी में सीखने के अवसर देना
- प्राथमिक कक्षाओं में खिलौना कार्न
- रस्कूल म्यूजियम
- मासिक दीवार पत्रिका
- बच्चों के क्लब का संचालन
Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra,Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra, Charcha Patra
चन्द्रप्रकाश नायक , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में नि:शुल्क मुख्य संपादक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे हैं .