छत्तीसगढ़ को खेलों का गढ़ बनाने के पहल में शाला में खेलगढ़िया कार्यक्रम की भूमिका महत्वपूर्ण है। अब शाला में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी बहुत महत्व दिया जाना है। हमारे बच्चों के विकास के लिए खेल बहुत आवश्यक है ।
मोबाइल एवं वीडियो गेम्स के आने के बाद शहरों में बच्चे अपना पूरा समय इनमें व्यर्थ गंवाने लगे हैं । अब संचार क्रान्ति के विकास के कारण घर घर में मोबाइल मिलने लगा है और दुनिया अब छोटी होती जा रही है। हमें दुनिया भर की बढ़िया से बढ़िया जानकारी मोबाइल के माध्यम से मिलने लगी है । परन्तु यदि हम समय पर नहीं जागे तो इतनी अच्छी सुविधा का नुकसान भी हमें उठाना पड़ सकता है ।
शाम को या सुबह बच्चे अपने साथियों के साथ खेलते ही हैं, हम उन खेलों को उनकी बेहतरी के लिए करते हुए उनके शारीरिक विकास के साथ साथ चुस्त और तंदुरुस्त रहने एवं खेलों इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए शुरू से ही ग्रामीण प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें तराशने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं ।
खेलो इंडिया कार्यक्रम की जानकारी
भारत सरकार द्वारा खेलों को बढ़ावा देने एवं उभरती प्रतिभाओं को सामने लाते हुए उनके खेल को निखारने के लिए खेल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।
खेलो इंडिया योजना सत्रह वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए है और प्रति वर्ष एक हजार ऐसे खेल प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें प्रतिवर्ष रूपए पाँच लाख की छात्रवृत्ति देते हुए उन्हें आगे पढ़ने के साथ- साथ अपने खेल को निखारने का अवसर भी मिल सकेगा |
खेलो इंडिया योजना से शिक्षकों, पालकों एवं समुदाय को खेल में रूचि होगी और वे अपने बच्चों को इस क्षेत्र में आगे विकास के लिए तैयार कर सकेंगे | खेलो इंडिया योजना के अंतर्गत मुख्यतः इन क्षेत्रों में सहायता मिल सकेगी-
- खेल मैदानों का विकास
- सामुदायिक कोचिंग की व्यवस्था
- राज्य स्तरीय खेलों इंडिया सेंटर
- वार्षिक खेल प्रतियोगिताएं
- प्रतिभा खोज एवं विकास
- खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास
- राष्ट्रीय राज्य क्षेत्रीय खेल अकादमी को समर्थन
- स्कूली बच्चों का फिटनेस पर ध्यान
- महिलाओं के लिए खेल
- दिव्यांग बच्चों के लिए खेल को प्रोत्साहन
- शान्ति एवं विकास के लिए खेल
- स्थानीय ग्रामीण आदिवासी खेलों को प्रोत्साहन
एम.एल. पटेल , जो कि वर्तमान में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं . अभी आप Edu Depart में लेखक के तौर के पर अपनी सेवा दे रहे हैं .