कविता: बच्चों को सीखने- सिखाने का सशक्त तरीका
कविता: बच्चों को सीखने- सिखाने का सशक्त तरीका
शिक्षक साथियों नमस्कार।
जब कविता की पंक्तियों का जिक्र होती हैं और तब हम बरबस गुनगुनाने लगते हैं-
“चंदा मामा दूर के” “मछली जल की रानी है” या “यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे”।
कविता की दुनिया में खो जाने पर पूरा बचपन या स्कूल की खट्टी-मीठी शैतानियाँ याद आ जाती हैं, हमारे गुरुजी कितने मजे से कविता सिखाते थे-हाव भाव, अभिनय और लयताल के साथ।
बचपन में हम स्कूल में आने के पहले कई तरह की तुकबंदिया सीखते हैं। घर, परिवार, मोहल्ले में, हमारे बचपन के कई खेल बेहतरीन तुकबंदियों के साथ खेले जाते हैं, कहने का आशय यह है कि कविता बचपन का एक मजेदार अनुभव है और आगे चलकर यह प्रक्रिया धीरे-धीरे सीखना-सिखाने में मदद करती है – चीजों को याद रखना, भाषा विकास, तुकबन्दी, नए शब्द सीखना, एक निश्चित क्रम में नपे तुले शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी बात कहना आदि। कविता बच्चों के सीखने-सिखाने के तरीकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
(1) हाव-भाव / अभिनय –
कविता करवाते समय आप हावभाव और अभिनय के साथ कविता करवायें और बच्चों को भी इसी तरह से करने के लिए प्रेरित करें।
( 2 ) लय-
कविता जितनी अच्छी लय से गाई जाएगी, दोहराई जाएगी उतनी ही जल्दी बच्चों को याद भी होगी और बच्चे मजे से गायेंगे।
(3) कविता बदलना एवं बनाना –
कभी कभी आपने देखा होगा कि बच्चे, कविता -गाते-गाते कविता की धुन में कुछ नया गाने लगते हैं या कविता नई बनाकर उसी धुन में गाने लगते हैं।
(4) कविता आगे बढ़ाना –
कई कविताएँ ऐसी होती हैं जिन्हें आसानी से आगे बढ़ाया – जा सकता है, बच्चे कई बार सहज ही कविताओं को आगे बढ़ाते हैं। इस संग्रह में कई कविताएँ ऐसी है जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है।
(5) कविता से पढ़ना सीखना –
आप जब भी कविता करवा रहे हों। बच्चों को समूहों में कविता संग्रह दे दें और बच्चों को कविता के नीचे अंगुली फिराने को कहें। जब आप कविता गा रहें हों तो बच्चे अपने संग्रह में उसी कविता की पंक्ति पर अंगुली फेर रहे हों। इससे बच्चे उन शब्दों से परिचित होंगे जो वो गा रहे हैं और धीरे-धीरे वे शब्द पहचान कर पढ़ने की ओर प्रेरित होंगे। ध्यान रहे कि यह गतिविधि थोड़े समय बाद करनी है।
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